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क्या आपके पास है मोबाइल बैंकिंग या इन्टरनेट बैंकिंग की सुविधा तो ये खबर आपके काम की

www.nvrthub.com न्यूज़: रोहतक हरियाणा:- लम्बी-2 लाइने घंटो इंतजार करना और फिर आपका पैसा जमा होना या कोई पेमेंट लेनदेन की ट्रांजेक्शन करना यही होता था पहले बैंको में लेकिन उसके बाद डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड व इन्टरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग का दौर आ गया आइये आज बात करते हैं इन्टरनेट बैंकिंग के इस्तेमाल व फायदों व नुकसान के बारें में। आज कल प्राय हर बैंक व ग्राहक इन्टरनेट बैंकिंग में विश्वास रखता है लेकिन इसके फायदों के साथ-2 इसमें इन्टरनेट बैंकिंग फ्रॉड के मामलो में भी बढ़ोतरी हुई है हाल में ताज़ा मामला इंडियन पेमेंट प्रोसेसर्स- इलेक्ट्राकार्ड और एनस्टेज हाल जिसमे 4.5 करोड़ डॉलर के क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के लेनदेन में सलिंप्ता के संदेह में पाए गये थे। जिसका असर कई इंडियन और इंटरनैशनल बैंकों पर पड़ा है।

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कैसे हो सकते हैं आप हैकर्स के आतंक के शिकार व कौन कौन हुए हैं इसका शिकार
मई के अंतिम हफ्ते में फिशर्स ने आंध्र प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बैंक खातों से 5 लाख रुपए की रकम निकाल ली। इसके लिए फ्रॉड करने वालों ने 100 फर्जी टिकट बुक किए और फिर इन्हें कैंसल कराके रिफंड के तौर पर यह रकम हासिल की। पिछले महीने साइबर क्रिमिनल्स ने आरपीजी ग्रुप के कंपनी के बैंक खाते को हैक कर लिया और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) के जरिए 2.4 करोड़ रुपए निकाल लिए।
अधिकारी मंत्री सभी को पता है आकड़ो का भी और मामलो का भी
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राज्यसभा में आईटी मिनिस्टर ने कहा था, 'क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड की कुल रकम 2012 में 74 फीसदी बढ़कर 38.4 करोड़ रुपए हो गई।' ये कुछ मामले हैं, जो बताते हैं कि ऑनलाइन फ्रॉड के मामले किस तरह से बढ़ रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग की ग्रोथ के साथ बैंकों के सामने ऐसी ट्रांजैक्शंस बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। जिससे ग्राहक के साथ बैंक की साख भी दाव पर लगी होती है।

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा एक रिपोर्ट्स, इन्टनेट यूजर कम फिर भी इतनी पैसे का गोलमाल

इंडिया में अभी भी कुल ट्रांजैक्शंस में इंटरनेट बैंकिंग की हिस्सेदारी ज्यादा नहीं है। आरबीआई के मुताबिक, 2012-13 में 31.8 लाख करोड़ रुपए के इंटरनेट ट्रांजैक्शन 69.4 करोड़ मामलों में किए गए। वहीं, 64 करोड़ कार्ड ट्रांजैक्शंस के जरिए 18.6 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। 6.85 करोड़ ट्रांजैक्शंस के जरिए 1,026 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम या आरटीजीएस के जरिए हुआ। यंग जेनरेशन बिल पेमेंट और बैंक के दूसरे कामकाज के लिए इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, बैंक कस्टमर्स से लगातार अपील कर रहे हैं कि वे नेट बैंकिंग का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। हालांकि, फ्रॉड के मामले बढ़ने से अब बैंकों और कस्टमर्स दोनों में ही डर बढ़ा है।


जागरूकता ही सबसे बड़ी समझदारी होती है इन्टनेट बैंकिंग में

कस्टमर्स के लिए अवेयरनेस और एजुकेशन सबसे अहम है। बैंकों ने अपने फ्रॉड मैनेजमेंट और इंटरनेट सिक्योरिटी सिस्टम को इंटीग्रेट करना शुरू कर दिया है। बैंक कस्टमर्स के अकाउंट में भी ज्यादा सेफ्टी फीचर्स जोड़ रहे हैं। हाल ही में बैंकों ने 'डिजिटाइज्ड सिग्नेचर' फीचर जोड़ा है। कई प्राइवेट व निजी बैंक तो इन्टरनेट यूजर्स को यूज करने की ट्रेनिंग व टिप्स भी दिए जाते हैं। क्योंकि ज्यादातर फ्रॉड तब होते हैं, जब कस्टमर्स सिक्योरिटी को लेकर लापरवाही बरतते हैं। बैंकों ने अपने फ्रॉड मैनेजमेंट और इंटरनेट-सिक्योरिटी सिस्टम को इंटीग्रेट करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही बैंको ने भी अपने फ्रॉड मैनेजमेंट और इंटरनेट-सिक्योरिटी सिस्टम को इंटीग्रेट करना शुरू कर दिया है।
क्या क्या सावधानी रखे इन्टरनेट युजर्स
कभी भी अपना यूजर नाम व पासवर्ड किसी को ना बताइए और ना ही लिख कर रखे
कभी भी अनसिक्योर्ड ब्राउज़र जैसे की मोज़िला फायरफोक्स या गूगल क्रोम उसे ना करें हो सके तो इन्टरनेट एक्स्प्लोरर ही इस्तेमाल करें कभी भी साइबर कैफ़े या पब्लिक पैलेस के सिस्टम में लॉग इन ना करें यदि करना भी हो तो लॉगआउट करने के बाद हिस्ट्री क्लियर करना ना भूले जोकि Ctrl+shift+delete के द्वारा होती है अपना मोबाइल नंबर जरूर बैंक में रजिस्टर कराए यदि मेसेज आने बन्द हो जाते हैं तो तुरंत अलर्ट हो जाइए और बैंक से सम्पर्क करें क्योकि एक ताज़ा मामला दिल्ली में हुआ था जिसमे की आपके मोबाइल नंबर को बन्द करा कर दुसरी सिम निकलवा लेते और फिर शुरू करते थे हैकिंग का खेल
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किसी भी मेल या फ़ोन काल का जवाब ना दें क्योंकि कभी भी कोई भी बैंक या रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ना तो कोई लाटरी निकालता और ना ही इस तरह के लोभ में आये क्योंकि बगैर मेहनत के कोई करोडपति नही बनता लेकिन रोडपती अवश्य बन सकता है यदि अपने गलती दोहराई तो
प्रिय इन्टरनेट यूजर्स थी ना बात पते की तो हो जाइए अलर्ट क्योंकि अगला शिकार इन हैकर का आप भी हो सकते हैं यदि आपको हमारी पोस्ट पसंद आये तो तुरंत हमे फेसबुक पर लिखे करें सब्सक्राइब करें ट्विटर पे आपको मिलेगीं ऐसी ही बहुमूल्य जानकारिया जो रख सकते आपके खून पसीने की कमाई को सेफ।

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