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एक मक्खी कैसे बनती एक साधारण से आदमी को सरपंच या उपसरपंच

www.nvrthub.com न्यूज़: आज कल की दौड़ती भागती जिन्दगी व सभी लोग पैसे के के चक्कर में लगे रहते हैं लेकिन महारष्ट्र का एक गाँव ऐसा भी है जिसमे पूरी तरह से पक्षपात रहित गावं के मुखिया को निर्विरोध एक मखी के द्वारा चुना जाता है।
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महाराष्ट्र के पुणे जिले के खेड तहसील के सातकरस्थल गांव ने अपना सरपंच चुनने का अधिकार गांव की मक्खी के हवाले कर रखा है। साढ़े पांच हजार लोगों की जनसंख्या वाले गांव ने लोकतांत्रिक दायित्वों के पालन का यह अनोखा तौर-तरीका अपनाया है। पिछले शनिवार एक मक्खी ने तय किया कि गांव की एक सामान्य महिला संजीवनी थिगले को अगली उपसरपंच होंगी। राजगुरुनगर से तीन किलोमीटर दूरी पर बसे सातकर स्थल के उपसरपंच ने पद से इस्तीफा दे दिया था। उपसरपंच पद रोटेशन प्रणाली से घूमता है और सभी इच्छुकों के नाम की पर्ची बनाई जाती है। 

कैसे होती है  मक्खी के द्वारा सरपंच की नियुक्ति


गांव के भैरवनाथ मंदिर में इकट्ठा हुए गांववालों ने पर्ची चुनने की जिम्मेदारी मंदिर की मक्खी पर सौंप दी। तय हुआ कि जिस पर्ची पर सबसे पहले मक्खी बैठेगी, उसी को उपसरपंच बना दिया जाएगा। मक्खी सबसे पहले जिस पर्ची पर बैठी उसमें एक महिला संजीवनी का नाम निकला। सर्वसम्मति से संजीवनी को गांव का उपसरपंच घोषित कर दिया गया। चुनाव के बाद नवनियुक्त उपसरपंच संजीवनी ने मक्खी की मदद से हुए चयन का सर्मथन किया। उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से गांव वाले सरपंच और उपसरपंच के चुनाव में अनोखे तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। गांव के बड़े-बूढ़ों ने बताया कि सरपंच के चुनाव में हिंसा, अपहरण और पैसों के लेनदेन से तंग आकर लोगों ने विवाद टालने के लिए यह नया तरीका ईजाद किया है। पुणे के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरीके को अंधर्शद्धा ठहराते हुए इस पर विरोध दर्ज किया है। जिसकी पर्ची पर बैठ जाती है उसी को चुन लिया जाता है

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