कैसे हुई आईएनएस कुठारी दुर्घटनाग्रस्त कब रुकेंगे दुर्घटनाये, कब सुधरेगी भारतीय अर्थव्यस्था सब चलता रहा कब तक होगी जेब ढीली
www.nvrthub.com न्यूज़: भारतीय नौसेना में दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। एक और युद्धपोत दुर्घटना का शिकार हो क्षतिग्रस्त हो गया है। अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हुए इस पोत का नाम आइएनएस कुठार है। खुकरी श्रेणी का यह युद्धपोत तब दुर्घटना का शिकार हुआ जब यह अंडमान स्थित नौसेना के बंदरगाह में प्रवेश कर रहा था। इस दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
पिछले साल अगस्त में रूस निर्मित पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरक्षक के डूब जाने के बाद से नौसेना में दुर्घटना की यह पंद्रहवीं घटना है। सिंधुरक्षक दुर्घटना में तो सभी 18 नौसैनिकों की मौत हो गई थी। यह ताजा दुर्घटना ऐसे समय में हुई है, जब युद्धपोत खराब मौसम में लौट रहा था। सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में बोर्ड ऑफ इंक्वायरी (बीओआइ) गठित करने का आदेश दिया गया है। समझा जाता है कि आइएनएस कुठार विशाखापत्तनम स्थित नौसेना की पूर्वी कमान के बेड़े का हिस्सा है। यह कमान बंगाल की खाड़ी और उसके आगे के इलाकों में नौसेना के अभियानों की जिम्मेदारी संभालती है। नौसेना में दुर्घटनाओं की बाढ़ के परिणामस्वरूप पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल डीके जोशी ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इन दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी ली थी और इस साल 26 फरवरी को नौसेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी थी। हाल में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संसद को एक लिखित जवाब में कहा था कि नौसेना वैसी कई दुर्घटनाओं की जांच कर रही है जिनमें उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। पिछले साल नौसेना में जो बड़ी दुर्घटनाएं हुईं उनमें 14 अगस्त को सिंधुरक्षक डूबा। 22 सितंबर को विमानवाहक पोत आइएनएस विराट पर आग लगी। 4 दिसंबर को आइएनएस कोंकण पर आग लगी और आइएनएस तलवार का मछली पकड़ने वाले जहाज से टकराया। वर्ष 2014 में आइएनएस बेतवा के अगले हिस्से में दरार आई। पनडुब्बी आइएनएस सिंधुघोष समुद्र की सतह में फंसा, आइएनएस ऐरावत के प्रोपेलर का क्षतिग्रस्त होना और आइएनएस सिंधुर पर आग लगने से नौसेना के दो अधिकारियों की मौत हो गई थी।
पिछले साल अगस्त में रूस निर्मित पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरक्षक के डूब जाने के बाद से नौसेना में दुर्घटना की यह पंद्रहवीं घटना है। सिंधुरक्षक दुर्घटना में तो सभी 18 नौसैनिकों की मौत हो गई थी। यह ताजा दुर्घटना ऐसे समय में हुई है, जब युद्धपोत खराब मौसम में लौट रहा था। सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में बोर्ड ऑफ इंक्वायरी (बीओआइ) गठित करने का आदेश दिया गया है। समझा जाता है कि आइएनएस कुठार विशाखापत्तनम स्थित नौसेना की पूर्वी कमान के बेड़े का हिस्सा है। यह कमान बंगाल की खाड़ी और उसके आगे के इलाकों में नौसेना के अभियानों की जिम्मेदारी संभालती है। नौसेना में दुर्घटनाओं की बाढ़ के परिणामस्वरूप पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल डीके जोशी ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इन दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी ली थी और इस साल 26 फरवरी को नौसेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी थी। हाल में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संसद को एक लिखित जवाब में कहा था कि नौसेना वैसी कई दुर्घटनाओं की जांच कर रही है जिनमें उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। पिछले साल नौसेना में जो बड़ी दुर्घटनाएं हुईं उनमें 14 अगस्त को सिंधुरक्षक डूबा। 22 सितंबर को विमानवाहक पोत आइएनएस विराट पर आग लगी। 4 दिसंबर को आइएनएस कोंकण पर आग लगी और आइएनएस तलवार का मछली पकड़ने वाले जहाज से टकराया। वर्ष 2014 में आइएनएस बेतवा के अगले हिस्से में दरार आई। पनडुब्बी आइएनएस सिंधुघोष समुद्र की सतह में फंसा, आइएनएस ऐरावत के प्रोपेलर का क्षतिग्रस्त होना और आइएनएस सिंधुर पर आग लगने से नौसेना के दो अधिकारियों की मौत हो गई थी।
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