भारत में रोजगार की कमी नही है बल्कि, बेरोजगार योग्य ही नही हैं नौकरी की लिए
www.nvrthub.com न्यूज़: देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का लगातार गिरता स्तर किसी से नहीं छुपा है। एक ताजा सर्वे ने भी इस पर मुहर लगाई है। इसके मुताबिक, हर साल देशभर में कॉलेजों से डिग्री लेकर बाहर निकलने वाले करीब छह लाख इंजीनियरिंग छात्रों में से 20 फीसद से भी कम सॉफ्टवेयर कंपनी में रोजगार पाने लायक होते हैं। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ पहले भी कहते रहे हैं कि देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई रोजगारपरक बनाने की जरूरत है। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी खरी नहीं उतरती है।
इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए एसपाइरिंग माइंड्स की राष्ट्रीय रोजगार रिपोर्ट कहती है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद 18.43 फीसद इंजीनियर ही सॉफ्टवेयर जॉब्स के लिए रोजगार योग्य होते हैं। यह रिपोर्ट देशभर के 520 कॉलेजों के 1.20 लाख से अधिक इंजीनियरिंग छात्रों के सैंपल पर आधारित है। इन सभी छात्रों ने 2013 में स्नातक पूरा किया। इन सभी छात्रों में से 91.82 फीसद प्रोग्रामिंग और एल्गॉरिथिम कौशल में कमजोर थे। 71.23 फीसद की कमजोरी संज्ञानात्मक कौशल थी। 60 फीसद डोमेन स्किल्स में कमजोर थे। अंग्रेजी बोलने और समझने में 73.63 फीसद पीछे थे। जबकि 57.96 फीसद की कमजोरी विश्लेषणात्मक और मात्रत्मक कौशल को लेकर थी।1 एसपाइरिंग माइंड्स के सीईओ व सह-संस्थापक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं कि कॉरपोरेट अमूमन ऐसे उम्मीदवारों की तलाश में रहते हैं, जो बुनियादी कौशल में दुरुस्त हों। नियुक्ति के बाद जिन्हें प्रशिक्षण की अधिक जरूरत न पड़े। रोजगार की मूल जरूरतों को नहीं पूरा करने वाले छात्र कंपनियों की नियुक्ति प्रक्रिया में अक्सर छूट जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रोजगार योग्य 70 फीसद उम्मीदवार तो सिर्फ इसलिए चयनित नहीं हो पाते क्योंकि वे कम ज्ञात कॉलेजों में पढ़ते हैं। यह एंट्री-लेवल पर नियुक्ति के मौजूदा तौर-तरीकों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अमूमन कंपनियां ऊंची रैंकिंग वाले कॉलेजों में ही अपना नियुक्ति कार्यक्रम चलाती हैं। यहां तक सीवी की चयन प्रक्रिया में भी कॉलेज के नाम को प्राथमिकता दी जाती है। कम चर्चित या अज्ञात कॉलेजों के सीवी तो चुने भी नहीं जाते हैं।
इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए एसपाइरिंग माइंड्स की राष्ट्रीय रोजगार रिपोर्ट कहती है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद 18.43 फीसद इंजीनियर ही सॉफ्टवेयर जॉब्स के लिए रोजगार योग्य होते हैं। यह रिपोर्ट देशभर के 520 कॉलेजों के 1.20 लाख से अधिक इंजीनियरिंग छात्रों के सैंपल पर आधारित है। इन सभी छात्रों ने 2013 में स्नातक पूरा किया। इन सभी छात्रों में से 91.82 फीसद प्रोग्रामिंग और एल्गॉरिथिम कौशल में कमजोर थे। 71.23 फीसद की कमजोरी संज्ञानात्मक कौशल थी। 60 फीसद डोमेन स्किल्स में कमजोर थे। अंग्रेजी बोलने और समझने में 73.63 फीसद पीछे थे। जबकि 57.96 फीसद की कमजोरी विश्लेषणात्मक और मात्रत्मक कौशल को लेकर थी।1 एसपाइरिंग माइंड्स के सीईओ व सह-संस्थापक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं कि कॉरपोरेट अमूमन ऐसे उम्मीदवारों की तलाश में रहते हैं, जो बुनियादी कौशल में दुरुस्त हों। नियुक्ति के बाद जिन्हें प्रशिक्षण की अधिक जरूरत न पड़े। रोजगार की मूल जरूरतों को नहीं पूरा करने वाले छात्र कंपनियों की नियुक्ति प्रक्रिया में अक्सर छूट जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रोजगार योग्य 70 फीसद उम्मीदवार तो सिर्फ इसलिए चयनित नहीं हो पाते क्योंकि वे कम ज्ञात कॉलेजों में पढ़ते हैं। यह एंट्री-लेवल पर नियुक्ति के मौजूदा तौर-तरीकों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अमूमन कंपनियां ऊंची रैंकिंग वाले कॉलेजों में ही अपना नियुक्ति कार्यक्रम चलाती हैं। यहां तक सीवी की चयन प्रक्रिया में भी कॉलेज के नाम को प्राथमिकता दी जाती है। कम चर्चित या अज्ञात कॉलेजों के सीवी तो चुने भी नहीं जाते हैं।
0 comments:
Post a Comment