जानिए क्या होती है हरियाली तीज क्या है इसकी कहानी व कैसे करें पूजा
www.nvrthub.com न्यूज़: श्रावण शुक्ल तीज को हरियाली तीज भी कहते हैं। इन दिनों बारिश की रिमझिम फुहार से मौसम सुहावना होता है। चारों और हरियाली की चादर सी बिछ जाती है। स्थान-स्थान पर पेड़ों पर झूले पड़ते हैं। सजी-धजी महिलाएं एकत्रित होकर मल्हार गाती हैं और झूला झूलती हैं। साथ ही विधि-विधान से पूजन परंपरा का निर्वाह भी किया जाता है। इस दिन स्थान-स्थान पर मेले भी लगते हैं।
हरियाली तीज की कथा व क्या है इसके पीछे की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज के दिन लक्ष्मी जी हिमालय शिव पार्वती के पास गई थीं और सृष्टि क्रम के संचालन में उनसे सहायता की प्रार्थना की थी। क्योंकि सृष्टि के संचालक विष्णु तो आषाढ़ शुक्ल हरिशयनी एकादशी से, राक्षसों के संहार से उत्पन्न थकान मिटाने के लिए 4 मास क्षीर सागर में विर्शाम के लिए चले गए थे और सृष्टि संचालन का दायित्व लक्ष्मी जी को सौंप गए थे। साथ ही कह गए थे कुछ कठिनाई आए, तो आप भगवान शिव के पास जाकर उनसे सहायता लें। लेकिन लक्ष्मी जी र्शावण मास आते ही हरियाली तृतीया के दिन ही हिमालय पर शिव पार्वती के पास चली गईं। तब से इस दिन व्रत और पूजन करने पर शिव-पार्वती के साथ लक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होती है।
तीज की परंपरा क्या होती क्यों मनाई जाती है तीज
हरियाली तीज के लिए लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। इस त्योहार पर मेहंदी अवश्य लगाई जाती है। रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनी जाती हैं। नवविवाहित पुत्री की ससुराल से उसके लिए सिंगारा आता है। सिंगारे में उसके लिए साड़ियां, र्शंगार का सामान, चूड़ियां, उसके छोटे भाई-बहनों के लिए कपड़े, खिलौने, मिठाई और फल आदि आते हैं।
अन्य परंपराएं व मान्यताये क्या हैं?
अपनी सास, जिठानी अथवा ननद को देती हैं। बायने के साथ चूड़ियां, र्शंगार का सामान, साड़ी, दक्षिणा आदि भी देती हैं। उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं, भोजन कराती हैं, झूला-झूलती हैं। जगह-जगह तीज मिलन का आयोजन होता है। महिलाएं गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं, हास-परिहास करती हैं। इस तरह हंसी-खुशी तीज का त्योहार मनाया जाता है।
कैसे करें पूजा व क्या होनी चाहिए पूजन विधि?
तीज के दिन स्त्रियां स्नानादि से निवृत होकर श्रंगार करती हैं, नई चूड़ियां पहनती हैं। नए सुंदर वस्त्र, गहने पहनकर मां गौरी की पूजा करती हैं। इसके लिए मिट्टी के शिवजी, पार्वतीजी और गणेशजी बनाकर उनको वस्त्रादि पहनाकर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करती हैं। आठ पूरी और छह पुओं के बायने से उनका भोग लगाती हैं। े
हरियाली तीज की कथा व क्या है इसके पीछे की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज के दिन लक्ष्मी जी हिमालय शिव पार्वती के पास गई थीं और सृष्टि क्रम के संचालन में उनसे सहायता की प्रार्थना की थी। क्योंकि सृष्टि के संचालक विष्णु तो आषाढ़ शुक्ल हरिशयनी एकादशी से, राक्षसों के संहार से उत्पन्न थकान मिटाने के लिए 4 मास क्षीर सागर में विर्शाम के लिए चले गए थे और सृष्टि संचालन का दायित्व लक्ष्मी जी को सौंप गए थे। साथ ही कह गए थे कुछ कठिनाई आए, तो आप भगवान शिव के पास जाकर उनसे सहायता लें। लेकिन लक्ष्मी जी र्शावण मास आते ही हरियाली तृतीया के दिन ही हिमालय पर शिव पार्वती के पास चली गईं। तब से इस दिन व्रत और पूजन करने पर शिव-पार्वती के साथ लक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होती है।
तीज की परंपरा क्या होती क्यों मनाई जाती है तीज
हरियाली तीज के लिए लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। इस त्योहार पर मेहंदी अवश्य लगाई जाती है। रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनी जाती हैं। नवविवाहित पुत्री की ससुराल से उसके लिए सिंगारा आता है। सिंगारे में उसके लिए साड़ियां, र्शंगार का सामान, चूड़ियां, उसके छोटे भाई-बहनों के लिए कपड़े, खिलौने, मिठाई और फल आदि आते हैं।
अन्य परंपराएं व मान्यताये क्या हैं?
अपनी सास, जिठानी अथवा ननद को देती हैं। बायने के साथ चूड़ियां, र्शंगार का सामान, साड़ी, दक्षिणा आदि भी देती हैं। उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं, भोजन कराती हैं, झूला-झूलती हैं। जगह-जगह तीज मिलन का आयोजन होता है। महिलाएं गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं, हास-परिहास करती हैं। इस तरह हंसी-खुशी तीज का त्योहार मनाया जाता है।
कैसे करें पूजा व क्या होनी चाहिए पूजन विधि?
तीज के दिन स्त्रियां स्नानादि से निवृत होकर श्रंगार करती हैं, नई चूड़ियां पहनती हैं। नए सुंदर वस्त्र, गहने पहनकर मां गौरी की पूजा करती हैं। इसके लिए मिट्टी के शिवजी, पार्वतीजी और गणेशजी बनाकर उनको वस्त्रादि पहनाकर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करती हैं। आठ पूरी और छह पुओं के बायने से उनका भोग लगाती हैं। े