रिज़र्व बैंक की पालिसी के अनुसार अब आपके मोबाइल कंपनी भी खोल सकती है बैंक
भारतीय बैंकिंग की उबाऊ दुनिया हमेशा के लिए बदलने जा रही है। रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते दो नए तरह के बैंकों पेमेंट बैंक और छोटे बैंक - की स्थापना के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी कर दीं, जो बैंकिंग के क्षेत्र में रिफॉर्म्स यानी सुधारों और प्रतिस्पर्धा की तीसरी लहर लाएगी। ऐसे बैंक किसानों और एसएमई को छोटे एवं मध्यम आकार वाले उद्योगों को कम राशी वाले कर्ज दे सकेंगे।
देश के बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की पहली लहर 1960 के दशक में आखिर में आई थी। तब इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर बैकिंग सेवाओं को ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों तक पहुंचाया था। 1991 के उदारीकरण के बाद 12 नए निजी बैंक बनाए गए। ये बैंक अपने साथ एटीएम, इंटरनेट बैकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी टेक्नोलॉजी लाए और इन्होंने बैंकिंग के दौरान आम लोगों को होने वाली परेशानियां कम कीं। तीन महीने पहले रिजर्व बैंक ने आईडीएफसी और बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज को बैंक खोलने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
अब आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की तीसरी लहर लाने की तैयारी कर रहा है। इसमें बैंकिंग (जिसमें सभी के लिए लागत कम हो) क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत है। इससे आबादी के गरीब, ग्रामीण तबके तक पहुंचने वाली बैंकिंग सेवाओं में सुधार आएगा। साथ ही बैंकों की दो ऐसी नई कैटेगरी बन जाएगी जो अभी तक नहीं थी।
पेमेंट बैंक और छोटे बैंक, अलग तरह के बैंक हैं, लेकिन ग्राहक डिपोजिट की सीमा को छोड़कर इनमें क्या अंतर है यह नहीं जान पाएंगे। पेमेंट बैंक हर खाते में एक लाख रुपए तक डिपोजिट ले सकते हैं, लेकिन वे पूरी राशि कर्ज के तौर पर बांट नहीं सकेंगे। उन्हें डिपॉजिट की राशि रिजर्व बैंक के पास सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेशियो के रूप में या फिर सरकार के पास ट्रेजरी बिल के रूप में निवेश करनी होगी। सरकार शॉर्ट टर्म ट्रेजरी बिल अधिकतम 364 दिन तक की अवधि के लिए जारी करती है। इन बैंकों का डिपॉजिट पूरी तरह सुरक्षित रहेगा क्योंकि यह राशि सिर्फ सरकार ही उधार लेगी और सरकार किंगफिशर जैसे निजी कर्जधारकों की तरह डिफॉल्ट नहीं कर सकती है।
पेमेंट बैंक डिपॉजिट ले सकेंगे, चेक बुक और डेबिट कार्ड जारी कर सकेंगे और इंटरनेट या मोबाइल अकाअंट से बिल भुगतान की सुविधा भी दे सकेंगे। वहीं, दूसरी ओर छोटे बैंक सामान्य बैंक होंगे, लेकिन उनका कामकाज एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र (कुछ जिले या एक शहर) तक सीमित होगा, और उन्हें छोटे उद्योगों, किसानों या कम राशि के कर्ज लेने वालों पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा।
पेमेंट और छोटे बैंक शुरू करने के लिए सिर्फ 100 करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी की जरूरत होगी। तकनीकी रूप से देखें तो इसका एक मतलब यह है कि कोई भी बड़ा उद्योग घराना, वित्तीय कंपनी या संगठन ऐसे बैंक खोल सकता है। कुछ बड़े बैंक भी पेमेंट या छोटे बैंक खोल सकते हैं। तो यदि आपको अगले दस वर्षों में 50 से 100 नए बैंक काम करते दिखें तो चौंकिएगा नहीं। आरबीआई की ड्राफट गाइडलाइंस के मुताबिक एक अच्छा कॉर्पोरेट ग्रुप बैंक खोल सकता है। इसलिए एयरटेल, वोडाफोन जैसी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से लेकर बिग बाजार, रिलायंस रिटेल जैसी बड़े रिटेलर अपने बड़े ग्राहक आधार को देखते हुए पेमेंट बैंक शुरू करने की कोशिश कर सकते हैं या ऐसे बैंक खोल सकते हैं। गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां भी अपने ग्राहकों के लिए सीमित क्षेत्रों में छोटे बैंक खोल सकती हैं।
अब तक मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ही पेमेंट सेवा के क्षेत्र में कदम रखा है। एयरटेल ने "एयरटेल मनी' और वोडाफोन ने "एम-पैसा' सुविधा शुरू की है। ये मोबाइल कंपनियां इनके जरिये अपने ग्राहकों को मोबाइल से बिलों के भुगतान की सुविधा दे रही हैं। ग्राहकों की संख्या के लिहाज से देखें तो बड़े बैंकों की तुलना में मोबाइल कंपनियों की लोगों तक पहुंच बहुत अधिक है, क्योंकि मोबाइल फोन गांवों में बड़ी संख्या में इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लेकिन वहां बैंक सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं।
जरा इन आंकड़ों पर गौर करें: एयरटेल के करीब 21 करोड़ ग्राहक हैं तो वोडाफोन के 17 करोड़। वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के करीब 22 करोड़ ग्राहक हैं। इस तरह देखें तो एयरटेल, एसबीआई की मूल डिपॉजिट बैंकिंग के बराबर ग्राहकों को सेवाएं दे सकती है। इसी तरह, किशोर बियाणी द्वारा प्रमोटेड कंपनी बिग बाजार अपने ग्राहकों को बैंक खाता दे सकती है। इनका इस्तेमाल उसके ग्राहक अपने भुगतान, अन्य यूटिलिटी या शॉपिंग बिलों के भुगतान में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेमेंट बैंकों में डिपाॅजिट पर आपको ऊंची ब्याज दरों का फायदा नहीं मिल पाएगा, क्योंकी ऐसे बैंक 364 दिन से अधिक अवधि की मेच्योरिटी वाले सरकारी ट्रेजरी बिलों में निवेश नहीं कर सकेंगे। अभी ऐसे पत्रों पर ब्याज की दर 8.5 से 8.6 फीसदी के आसपास चल रही है। इसलिए पेमेंट बैंक, डिपॉजिट पर अधिकतम 6-7 फीसदी ब्याज दर की पेशकश कर पाएंंगे। लेकिन आपको सरकारी क्षेत्र के बैकों के मुकाबले ऐसे बैंकों में बचत खाते के बैलेंस पर अच्छी ब्याज दर मिल सकती है, और पेमेंट बैंक कम खर्च पर बिलों के भुगतान में काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
तो अाने वाले समय में एयरटेल बैंक, रिलायंस जियो बैंक या बिग बाजार बैंक पर रखें निगाह...
देश के बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की पहली लहर 1960 के दशक में आखिर में आई थी। तब इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर बैकिंग सेवाओं को ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों तक पहुंचाया था। 1991 के उदारीकरण के बाद 12 नए निजी बैंक बनाए गए। ये बैंक अपने साथ एटीएम, इंटरनेट बैकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी टेक्नोलॉजी लाए और इन्होंने बैंकिंग के दौरान आम लोगों को होने वाली परेशानियां कम कीं। तीन महीने पहले रिजर्व बैंक ने आईडीएफसी और बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज को बैंक खोलने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
अब आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों की तीसरी लहर लाने की तैयारी कर रहा है। इसमें बैंकिंग (जिसमें सभी के लिए लागत कम हो) क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत है। इससे आबादी के गरीब, ग्रामीण तबके तक पहुंचने वाली बैंकिंग सेवाओं में सुधार आएगा। साथ ही बैंकों की दो ऐसी नई कैटेगरी बन जाएगी जो अभी तक नहीं थी।
पेमेंट बैंक और छोटे बैंक, अलग तरह के बैंक हैं, लेकिन ग्राहक डिपोजिट की सीमा को छोड़कर इनमें क्या अंतर है यह नहीं जान पाएंगे। पेमेंट बैंक हर खाते में एक लाख रुपए तक डिपोजिट ले सकते हैं, लेकिन वे पूरी राशि कर्ज के तौर पर बांट नहीं सकेंगे। उन्हें डिपॉजिट की राशि रिजर्व बैंक के पास सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेशियो के रूप में या फिर सरकार के पास ट्रेजरी बिल के रूप में निवेश करनी होगी। सरकार शॉर्ट टर्म ट्रेजरी बिल अधिकतम 364 दिन तक की अवधि के लिए जारी करती है। इन बैंकों का डिपॉजिट पूरी तरह सुरक्षित रहेगा क्योंकि यह राशि सिर्फ सरकार ही उधार लेगी और सरकार किंगफिशर जैसे निजी कर्जधारकों की तरह डिफॉल्ट नहीं कर सकती है।
पेमेंट बैंक डिपॉजिट ले सकेंगे, चेक बुक और डेबिट कार्ड जारी कर सकेंगे और इंटरनेट या मोबाइल अकाअंट से बिल भुगतान की सुविधा भी दे सकेंगे। वहीं, दूसरी ओर छोटे बैंक सामान्य बैंक होंगे, लेकिन उनका कामकाज एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र (कुछ जिले या एक शहर) तक सीमित होगा, और उन्हें छोटे उद्योगों, किसानों या कम राशि के कर्ज लेने वालों पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा।
पेमेंट और छोटे बैंक शुरू करने के लिए सिर्फ 100 करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी की जरूरत होगी। तकनीकी रूप से देखें तो इसका एक मतलब यह है कि कोई भी बड़ा उद्योग घराना, वित्तीय कंपनी या संगठन ऐसे बैंक खोल सकता है। कुछ बड़े बैंक भी पेमेंट या छोटे बैंक खोल सकते हैं। तो यदि आपको अगले दस वर्षों में 50 से 100 नए बैंक काम करते दिखें तो चौंकिएगा नहीं। आरबीआई की ड्राफट गाइडलाइंस के मुताबिक एक अच्छा कॉर्पोरेट ग्रुप बैंक खोल सकता है। इसलिए एयरटेल, वोडाफोन जैसी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से लेकर बिग बाजार, रिलायंस रिटेल जैसी बड़े रिटेलर अपने बड़े ग्राहक आधार को देखते हुए पेमेंट बैंक शुरू करने की कोशिश कर सकते हैं या ऐसे बैंक खोल सकते हैं। गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां भी अपने ग्राहकों के लिए सीमित क्षेत्रों में छोटे बैंक खोल सकती हैं।
अब तक मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ही पेमेंट सेवा के क्षेत्र में कदम रखा है। एयरटेल ने "एयरटेल मनी' और वोडाफोन ने "एम-पैसा' सुविधा शुरू की है। ये मोबाइल कंपनियां इनके जरिये अपने ग्राहकों को मोबाइल से बिलों के भुगतान की सुविधा दे रही हैं। ग्राहकों की संख्या के लिहाज से देखें तो बड़े बैंकों की तुलना में मोबाइल कंपनियों की लोगों तक पहुंच बहुत अधिक है, क्योंकि मोबाइल फोन गांवों में बड़ी संख्या में इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लेकिन वहां बैंक सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं।
जरा इन आंकड़ों पर गौर करें: एयरटेल के करीब 21 करोड़ ग्राहक हैं तो वोडाफोन के 17 करोड़। वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के करीब 22 करोड़ ग्राहक हैं। इस तरह देखें तो एयरटेल, एसबीआई की मूल डिपॉजिट बैंकिंग के बराबर ग्राहकों को सेवाएं दे सकती है। इसी तरह, किशोर बियाणी द्वारा प्रमोटेड कंपनी बिग बाजार अपने ग्राहकों को बैंक खाता दे सकती है। इनका इस्तेमाल उसके ग्राहक अपने भुगतान, अन्य यूटिलिटी या शॉपिंग बिलों के भुगतान में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पेमेंट बैंकों में डिपाॅजिट पर आपको ऊंची ब्याज दरों का फायदा नहीं मिल पाएगा, क्योंकी ऐसे बैंक 364 दिन से अधिक अवधि की मेच्योरिटी वाले सरकारी ट्रेजरी बिलों में निवेश नहीं कर सकेंगे। अभी ऐसे पत्रों पर ब्याज की दर 8.5 से 8.6 फीसदी के आसपास चल रही है। इसलिए पेमेंट बैंक, डिपॉजिट पर अधिकतम 6-7 फीसदी ब्याज दर की पेशकश कर पाएंंगे। लेकिन आपको सरकारी क्षेत्र के बैकों के मुकाबले ऐसे बैंकों में बचत खाते के बैलेंस पर अच्छी ब्याज दर मिल सकती है, और पेमेंट बैंक कम खर्च पर बिलों के भुगतान में काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
तो अाने वाले समय में एयरटेल बैंक, रिलायंस जियो बैंक या बिग बाजार बैंक पर रखें निगाह...