कैसे रहे फिट व तंदुरस्त, कैसा हो आपका फिटनेस ट्रेनर ताकि आप रहे स्वस्थ
हमारी फिटनेस ट्रेनिंग काफी हद तक फिटनेस ट्रेनर पर निर्भर करती है। फिटनेस की बारीकियों और हमारी जरूरत को जानने-समझने वाले एक कुशल ट्रेनर की गाइडेंस में ही वर्कआउट करना चाहिए। इसलिए ट्रेनर का चयन सोच-समझकर ही करें।
वर्कआउट के लिए एक कुशल फिटनेस ट्रेनर की जरूरत होती है। अगर आप बिना किसी कुशल ट्रेनर के वर्कआउट करते हैं तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि वर्कआउट की बारीकियों को जानना जरूरी होती है। एक कुशल ट्रेनर ही हमें वर्कआउट के लिए सही दिशा निर्देश दे सकता है। जानिए, कैसा हो आपका फिटनेस ट्रेनर।
एक्सपीरियंस्ड (Experienced Trainers)
एक कुशल ट्रेनर को इस बात की समझ होनी चाहिए कि फिटनेस की अवधारणा क्या है? वह इसके विषय में गंभीर हो। दुर्भाग्य से अपने देश में फिटनेस ट्रेनिंग के लिए लोग अभी बहुत कॉन्शस नहीं हैं। एक अच्छे ट्रेनर का चुनाव करते समय हमें ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहिए, जिसका एक्सपीरियंस, फिटनेस कोर्स पूरा करने के बाद कम से कम दो साल का होना चाहिए।
वर्कआउट की समझ (Workout Understating)
वर्कआउट का मतलब सिर्फ बॉडी बिल्डिंग या वजन घटाना भर नहीं होता। पुरुषों, महिलाओं, बुजुगरें, एथलीट्स, बॉडी बिल्डर, डिलीवरी के बाद की महिलाएं, डायबिटीज और किसी भी बीमारी के मरीज सभी को अलग-अलग तरह के वर्कआउट की जरूरत होती है। अकसर देखा गया है कि ज्यादातर ट्रेनर केवल मसल्स को बनाने की सलाह देते हैं और वे हर व्यक्ति को दिन में छह बार खाने की हिदायत देते हैं, ऐसा हर मामले में सही नहीं होता है। इसलिए ट्रेनर ऐसा होना चाहिए जिसके पास फिजियोथैरेपी में डिप्लोमा हो, ताकि वह वर्कआउट करने वाले की कंडीशन को अच्छी तरह समझ सके।
लाइफस्टाइल को समझे (Lifestyle and Environments)
वर्कआउट करने के दौरान पहले दो सेशन में ट्रेनर के साथ अपने लक्ष्यों को समझें, क्योंकि फिटनेस का अभिप्राय सिर्फ मांसपेशियों की मजबूती ही नहीं है, बल्कि मांसपेशियों को लचीला और कार्डियोवेस्कुलर को सुदृढ़ बनाना भी जरूरी है। हमारा वर्कआउट इन पर फोकस होना चाहिए। ट्रेनर ऐसा हो जो हमारे लाइफस्टाइल को समझते हुए हमें हमारी उन गतिविधियों से दूर रखने का प्रयास न करे, जो हमारी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा हैं। इसके अलावा अपने ट्रेनर को मानसिक रूप से इस बात के लिए आगाह करें कि आप बॉडी फैट टेस्टिंग एक निश्चित समय के बाद कराते हैं और ब्लड प्रेशर और अन्य परीक्षण कराने की तमाम प्रक्रियाओं का ज्ञान भी रखते हैं। इससे आपके ट्रेनर को आपके लिए एक्सरसाइज सुझाने में मदद मिलती है। इसके अलावा वह एक ही एजेंडे पर लगातार आपसे वर्कआउट नहीं कराते।
मोटिवेशनल हो (Motivational )
ट्रेनर के साथ अपने क्लाइंट को अपने कार्य को पूरा करने के लिए 3 महीने तक का समय लगता है। यदि आपको अच्छा ट्रेनर मिल जाता है तो आप आगे भी उसके साथ वर्कआउट के लिए सोच सकते हैं। एक ट्रेनर अपनी स्किल को समय के अनुसार अपडेट करता है और उसमें नई तकनीकों को भी जोड़ता है। फिटनेस ट्रेनर को मोटिवेशनल होना चाहिए।
वर्कआउट के लिए एक कुशल फिटनेस ट्रेनर की जरूरत होती है। अगर आप बिना किसी कुशल ट्रेनर के वर्कआउट करते हैं तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि वर्कआउट की बारीकियों को जानना जरूरी होती है। एक कुशल ट्रेनर ही हमें वर्कआउट के लिए सही दिशा निर्देश दे सकता है। जानिए, कैसा हो आपका फिटनेस ट्रेनर।
एक्सपीरियंस्ड (Experienced Trainers)
एक कुशल ट्रेनर को इस बात की समझ होनी चाहिए कि फिटनेस की अवधारणा क्या है? वह इसके विषय में गंभीर हो। दुर्भाग्य से अपने देश में फिटनेस ट्रेनिंग के लिए लोग अभी बहुत कॉन्शस नहीं हैं। एक अच्छे ट्रेनर का चुनाव करते समय हमें ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहिए, जिसका एक्सपीरियंस, फिटनेस कोर्स पूरा करने के बाद कम से कम दो साल का होना चाहिए।
वर्कआउट की समझ (Workout Understating)
वर्कआउट का मतलब सिर्फ बॉडी बिल्डिंग या वजन घटाना भर नहीं होता। पुरुषों, महिलाओं, बुजुगरें, एथलीट्स, बॉडी बिल्डर, डिलीवरी के बाद की महिलाएं, डायबिटीज और किसी भी बीमारी के मरीज सभी को अलग-अलग तरह के वर्कआउट की जरूरत होती है। अकसर देखा गया है कि ज्यादातर ट्रेनर केवल मसल्स को बनाने की सलाह देते हैं और वे हर व्यक्ति को दिन में छह बार खाने की हिदायत देते हैं, ऐसा हर मामले में सही नहीं होता है। इसलिए ट्रेनर ऐसा होना चाहिए जिसके पास फिजियोथैरेपी में डिप्लोमा हो, ताकि वह वर्कआउट करने वाले की कंडीशन को अच्छी तरह समझ सके।
लाइफस्टाइल को समझे (Lifestyle and Environments)
वर्कआउट करने के दौरान पहले दो सेशन में ट्रेनर के साथ अपने लक्ष्यों को समझें, क्योंकि फिटनेस का अभिप्राय सिर्फ मांसपेशियों की मजबूती ही नहीं है, बल्कि मांसपेशियों को लचीला और कार्डियोवेस्कुलर को सुदृढ़ बनाना भी जरूरी है। हमारा वर्कआउट इन पर फोकस होना चाहिए। ट्रेनर ऐसा हो जो हमारे लाइफस्टाइल को समझते हुए हमें हमारी उन गतिविधियों से दूर रखने का प्रयास न करे, जो हमारी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा हैं। इसके अलावा अपने ट्रेनर को मानसिक रूप से इस बात के लिए आगाह करें कि आप बॉडी फैट टेस्टिंग एक निश्चित समय के बाद कराते हैं और ब्लड प्रेशर और अन्य परीक्षण कराने की तमाम प्रक्रियाओं का ज्ञान भी रखते हैं। इससे आपके ट्रेनर को आपके लिए एक्सरसाइज सुझाने में मदद मिलती है। इसके अलावा वह एक ही एजेंडे पर लगातार आपसे वर्कआउट नहीं कराते।
मोटिवेशनल हो (Motivational )
ट्रेनर के साथ अपने क्लाइंट को अपने कार्य को पूरा करने के लिए 3 महीने तक का समय लगता है। यदि आपको अच्छा ट्रेनर मिल जाता है तो आप आगे भी उसके साथ वर्कआउट के लिए सोच सकते हैं। एक ट्रेनर अपनी स्किल को समय के अनुसार अपडेट करता है और उसमें नई तकनीकों को भी जोड़ता है। फिटनेस ट्रेनर को मोटिवेशनल होना चाहिए।