कई फिल्में ऐसी होती हैं, जो किसी ऐक्टर को स्थापित करने के लिए बनाई जाती हैं। मदार्नी बिलकुल ऐसी ही फिल्म है, जिसे रानी मुखर्जी का बॉलीवुड में दोबारा जलवा कायम करने के लिए बनाया गया है। फिल्म में शुरू से आखिर तक रानी मुखर्जी का जलवा है और वह बेशक सिंघम या दबंग के पुलिस अधिकारियों की तरह ऐक्शन और डायलॉग की अति नहीं करती हैं, लेकिन जो भी करती हैं, वह एक बार देखने लायक तो है ही।
कहानी (Story): फिल्म मानव तस्करी को लेकर बनाई गई है। शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं। वे एक लड़की को बचाती है और अपने साथ रख लेती है। फिर एक दिन वह लड़की गुम हो जाती है। बस इसके बाद शुरू होता है चोर-पुलिस का खेल, जिसे शिवानी बड़े ही शातिर अंदाज में खेलती है। कहानी में कई दिलचस्प मोड़ हैं लेकिन कुल मिलाकर औसत ही है। कुछ एकदम नया नहीं कहा जा सकता।
अभिनय (Acting): काफी लंबे समय से रानी अपनी फिल्मों की बजाए आदित्य चोपड़ा के साथ अपनी शादी की वजह से सुर्खियों में थीं। उन्हें बॉलीवुड में कुछ सॉलिड चीज की तलाश थी। शायद उन्हें यह मौका मदार्नी ने दे दिया है। रानी का बोलने का अंदाज मजेदार लगता है। ऐक्टर तो वे बेहतरीन हैं ही और अपने ही कंधों पर वे पूरी फिल्म को खींच रही हैं। फिल्म में विलेन के तौर पर ताहिर जबरदस्त है वह नए दौर का विलेन है और दिलचस्प है।
क्यों देखें और क्यों नहीं: फिल्म को ए (A) सर्टिफिकेट मिला है, इस वजह से इसकी पहुंच सीमित हो जाती है। बेशक कहानी और डायरेक्शन के मामले में फिल्म कोई चमत्कारिक चीज या पीस मुहैया नहीं कराती है, लेकिन रानी की वजह से यह फिल्म खास बन जाती है। इसलिए यह फिल्म वन टाइम वॉच तो है। पर अगर आप रोमांटिक फिल्मों और गानों के शौकीन हैं तो इस फिल्म से दूरी ही बेहतर है।
कहानी (Story): फिल्म मानव तस्करी को लेकर बनाई गई है। शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं। वे एक लड़की को बचाती है और अपने साथ रख लेती है। फिर एक दिन वह लड़की गुम हो जाती है। बस इसके बाद शुरू होता है चोर-पुलिस का खेल, जिसे शिवानी बड़े ही शातिर अंदाज में खेलती है। कहानी में कई दिलचस्प मोड़ हैं लेकिन कुल मिलाकर औसत ही है। कुछ एकदम नया नहीं कहा जा सकता।
अभिनय (Acting): काफी लंबे समय से रानी अपनी फिल्मों की बजाए आदित्य चोपड़ा के साथ अपनी शादी की वजह से सुर्खियों में थीं। उन्हें बॉलीवुड में कुछ सॉलिड चीज की तलाश थी। शायद उन्हें यह मौका मदार्नी ने दे दिया है। रानी का बोलने का अंदाज मजेदार लगता है। ऐक्टर तो वे बेहतरीन हैं ही और अपने ही कंधों पर वे पूरी फिल्म को खींच रही हैं। फिल्म में विलेन के तौर पर ताहिर जबरदस्त है वह नए दौर का विलेन है और दिलचस्प है।
क्यों देखें और क्यों नहीं: फिल्म को ए (A) सर्टिफिकेट मिला है, इस वजह से इसकी पहुंच सीमित हो जाती है। बेशक कहानी और डायरेक्शन के मामले में फिल्म कोई चमत्कारिक चीज या पीस मुहैया नहीं कराती है, लेकिन रानी की वजह से यह फिल्म खास बन जाती है। इसलिए यह फिल्म वन टाइम वॉच तो है। पर अगर आप रोमांटिक फिल्मों और गानों के शौकीन हैं तो इस फिल्म से दूरी ही बेहतर है।