वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के आम बजट के बाद म्यूचुअल फंड के इक्विटी सेक्शन के आलावा अन्य फंडों में निवेश को लुब्रिकेट नहीं रहने दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षित निवेश के भरोसेमंद ठिकाने म्यूचुअल फंड के डेट फंड ही हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में दलाल स्ट्रीट की चाल इस बात का संकेत दे रही है कि यह ऊपरी स्तरों के आसपास नहीं टिक पा रहा है। सूचकांक शिखर पर पहुंचते ही डगमगा जाता है। ऐसी स्थिति में बाजार किधर जाएगा, क्या यह उच्च स्तर पर टिका रहेगा, यह पता नहीं चल रहा है। कहीं यह बड़ी गिरावट की ओर इशारा तो नहीं कर रहा है। इसलिए इस तरह की विषम परिस्थिति में अगर कोई निवेशक अधिक जोखिम उठाने में विश्वास नहीं करता है, तो बेहतर यही है कि उस निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में डेट म्यूचुअल फंड को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। किसी निवेशक के पोर्टफोलियो में शामिल डेट म्यूचुअल फंड न केवल उसके जोखिम को कम करते हैं, बल्कि उसके पोर्टफोलियो को संतुलित बनाने में भी मददगार साबित होते हैं।
दरअसल, जब शेयर बाजार अच्छा कर रहा होता है तो बाजार के जानकार निवेशकों को सलाह देते हैं कि आप अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी फंड को प्रमुखता दीजिये, लेकिन बाजार के क्षणभंगुर लक्षण प्रतीत होने पर सलाहकार डेट फंड की ओर लौटने की सलाह देते हैं। शेयर बाजार में बड़ी फिसलन की प्रबल आशंका के साथ-साथ रिर्जव बैंक द्वारा अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने से भी बैंक ब्याज दरों के उच्च स्तरों पर बने रहने की संभावना है। इस लिहाज से भी डेट म्यूचुअल फंड निवेश के लिए बेहतर विकल्प है। आइए देखते हैं कि जोखिम नहीं लेने वाले निवेशक के लिए डेट म्यूचुअल फंडों में संभावनाएं हैं।
लिक्विड फंड (Liquid Fund)
ये कम जोखिम वाले ऐसे डेट एमएफ होते हैं, जिनसे मिलने वाला रिटर्न बैंकों की एफडी से मिलने वाले रिटर्न के आसपास होता है। अगर आप दो से तीन महीने के लिए पैसे रखना चाहते हैं, तो लिक्विड फंड आपके लिए बेहतर विकल्प है। लिक्विड फंड्स की कैटेगरी ने पिछले एक साल में 9.31 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड (Ultra Short Term Fund)
ये फंड लिक्विड फंड की ही तरह होते हैं, हालांकि इनमें लिक्विड फंड के मुकाबले अधिक जोखिम होता है। जो निवेशक तीन से छह महीने के लिए निवेश विकल्प तलाश रहे हैं, वे इसमें निवेश करें। अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स की कैटेगरी ने पिछले साल में 9.86 फीसदी का रिटर्न दिया है।
शॉर्ट टर्म फंड (Short Term Fund)
इनसे मिलने वाला रिटर्न अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड के मुकाबले बेहतर होता है। एक से दो साल के लिए निवेश के इच्छुक निवेशक इस फंड में निवेश कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म फंड्स की कैटेगरी ने पिछले एक साल में 10.13 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है।
डेट एमएफ में निवेश क्यों बेहतर (Why Debt Mutual Fund is Best)
इक्विटी म्यूचुअल फंडों की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड कम जोखिम वाले होते हैं, क्योंकि इनका इक्विटी बाजार के उतार-चढ़ाव से कोई लेना-देना नहीं होता। इसी वजह से डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों की पूंजी को सुरक्षित रखते हैं। डेट एमएफ के निवेशकों को लिक्विडिटी के मोर्चे पर भी दिक्कत नहीं होती। वे जब चाहें, अपनी यूनिटों को भुना सकते हैं। हालांकि, इस तरह के फंड से इक्विटी म्यूचुअल फंडों की तुलना में रिटर्न कम मिलता है।
डेट म्यूचुअल फंडों के प्रकार (Types of Debt Mutual Funds)
डेट म्यूचुअल फंड में निवेशक का पैसा विभिन्न डेट विकल्पों जैसे सरकारी प्रतिभूतियों, डिबेंचर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कॉर्मशियल पेपर्स इत्यादि में लगाया जाता है। पोर्टफोलियो में शामिल निवेश विकल्पों के आधार पर डेट म्यूचुअल फंड के कई प्रकार हैं- लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, इनकम फंड, बॉन्ड फंड, गिल्ड फंड आदि। इनकम फंड की पूंजी का निवेश बॉन्ड, डिबेंचर इत्यादि में किया जाता है। इसके अलावा बॉन्ड फंड विशेष रूप से बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश करता है। गिल्ड फंड खास तौर से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है।