कैसे बचे इस घातक बीमारी से व क्या क्या हैं इस रोग के होने के लक्षण यदि किसी को जाता तो उसका इलाज जानिए आगे
इबोला वायरस जनित रोग है। औपचारिक रूप से इबोला रक्तस्रावी बुखार (हैमोरोजिक फीवर) के नाम से जाना जाता है। यह तीव्र एवं घातक रोग है, जिससे 90 फीसदी रोगी की मृत्यु हो जाती है। यह बीमारी मानव एवं गैरमानव, नर-वानरों, बंदरों, गोरिल्ला एवं चिम्पैंजी को भी हो सकता है। इबोला मानव आबादी में रक्त स्राव अंगों या संक्रमित जानवरों के माध्यम से रक्त के निकट संपर्क से फैलता है।
गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इबोला संबंधी भ्रांतियों को दूर करने व लोगों को उससे बचाव के उपाय के बारे में जागरूक करने के लिए एक व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। चूंकि लोगों में इबोला को लेकर डर पैदा हो गया है। इस कारण आए दिन लोग अस्पतालों में इबोला चेकअप के लिए आ रहे हैं। भारत फिलहाल इबोला के संक्रमण से दूर है। यहां एक भी मामले की अबतक पुष्टि नहीं हुई है। एम्स के डॉक्टर्स के अनुसार सार्वजनिक स्थानों में लोगों के साथ सामान्य संपर्क से यह बीमारी संचरित नहीं होती है। पैसे, सामान के लेन-देन अथवा पूल में स्वीमिंग करने से कोई इबोला वायरस के संपर्क में नहीं आ सकता है।
कैसे बच्चे इबोला वायरस से इबोला से बचाव हो सकता है कैसे रखे सावधानी
संक्रमित रोगियों विशेषकर उनके शारीर से निकलने वाले तरल पदाथरें के संपर्क में नहीं आएं। इबोला वायरस के रोगियों के साथ निकट संपर्क स्थापित करने से बचना चाहिए।
घर में बीमार रोगियों की देखभाल के लिए दस्ताने तथा उपयुक्त व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए तथा प्रयोग के बाद जैव सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुसार उनका निपटान किया जाना चाहिए।
अस्पताल में रोगी को देखने के बाद तथा उसी प्रकार घर में भी रोगी की देखभाल के पश्चात नियमित रूप से हाथ धोना आवश्यक है।
मृत रोगियों का जैव-सुरक्षा सावधानियों के अंतिम संस्कार करना चाहिए।
क्या इसका कोई सम्पूर्ण इलाज इजाद हुआ है? कोई वैक्सीन नहीं
इबोला का अब तक कोई प्रभावी इलाज व वैक्सीन विकसित नहीं हो सका है। इसलिए इबोला संक्रमण के खतरों के बारे में जागरुकता फैलाकर तथा सुरक्षात्मक उपायों को अपनाकर ही व्यक्ति मानव संक्रमण तथा मृत्यु को कम किया जा सकता है। वन्य जीवों से इबोला का संक्रमण मनुष्य में फैलने का खतरा रहता है। ऐसे में जानवरों के कच्चे मांस का प्रयोग न करें। साथ ही पालतू पशुओं की देखभाल दस्ताना पहनकर करें। पशुओं के मांस सेवन से पूर्व उन्हें अच्छी तरह से पका लें। बता दें कि इबोला वायरस केवल धूप में सुखाई गई सतहों पर कम समय तक बचता है।