पसीने की बदबू दूर करने और तरोताजा रहने के लिए क्या आप अक्सर डियोडोरेंट या एंटीएस्पिरेंट्स का इस्तेमाल करते हैं? अगर ऐसा है तो आप अपने लिए खुद ही मुसीबत बढ़ा रहे हैं। शोध की मानें तो डियोडोरेंट का लंबे समय तक इस्तेमाल पसीने की बदबू कम नहीं करता बल्कि बढ़ा देता है।
बढ़ाते हैं समस्या (Bad Impacts of Body Deodorants)
बेल्जियम की यूनिवर्सिटी ऑफ हेंट के शोधकर्ताओं ने डियोडोरेंट व एंटीएस्पिरेंट्स जैसे उत्पादों के इस नुकसान की जानकारी अपने शोध में मिले तथ्यों के आधार पर दी है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में माना है कि खुशबूदार कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल से शरीर में एक्टिनोबैक्टीरिया अधिक हो जाते हैं जो पसीने की दुर्गंध पैदा करते हैं। शोधकर्ताओं ने एक महीने तक प्रतिभागियों पर परीक्षण करके यह दावा किया है। उन्होंने प्रतिभागियों को एक महीने तक लगातार डियोडोरेंट का इस्तेमाल करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने उनके पसीने का परीक्षण किया। परफ्यूम का इस्तेमाल बंद करने के कुछ हफ्ते बाद उन्होंने दोबारा प्रतिभागियों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि डियोडोरेंट का इस्तेमाल बंद करने के बाद प्रतिभागियों के पसीने में एक्टिनोबैक्टीरिया कम हो गए। इस बारे में प्रमुख शोधकर्ता क्रिस कैलेवटई का मानना है, हम आज पसीने की दुर्गध मिटाने के लिए जिन प्रसाधनों का इस्तेमाल करते हैं वे असलियत में एक्टिनोबैक्टीरिया कम नहीं कर पाते।
कम नहीं करते बल्कि दबाते हैं
उनका मानना है कि डियोडोरेंट पसीने की दुर्गंध खत्म नहीं करते हैं बल्कि इनकी खुशबू के आगे दुर्गंध दब जाती है। उनके अनुसार, हम लोग बैक्टीरियल स्थानांतरण के ऊपर काम कर रहे हैं जिसमें कांख से बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को ऐसे बैक्टीरिया से बदला जा सके जो दुर्गंध न फैलाते हों। हालांकि अभी इस शोध को पूरा करने में समय है। तो अब आप डियोडोरेंट का बेधड़क इस्तेमाल करने से पहले इस बारे में जरूर सोचेंगे।

बेल्जियम की यूनिवर्सिटी ऑफ हेंट के शोधकर्ताओं ने डियोडोरेंट व एंटीएस्पिरेंट्स जैसे उत्पादों के इस नुकसान की जानकारी अपने शोध में मिले तथ्यों के आधार पर दी है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में माना है कि खुशबूदार कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल से शरीर में एक्टिनोबैक्टीरिया अधिक हो जाते हैं जो पसीने की दुर्गंध पैदा करते हैं। शोधकर्ताओं ने एक महीने तक प्रतिभागियों पर परीक्षण करके यह दावा किया है। उन्होंने प्रतिभागियों को एक महीने तक लगातार डियोडोरेंट का इस्तेमाल करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने उनके पसीने का परीक्षण किया। परफ्यूम का इस्तेमाल बंद करने के कुछ हफ्ते बाद उन्होंने दोबारा प्रतिभागियों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि डियोडोरेंट का इस्तेमाल बंद करने के बाद प्रतिभागियों के पसीने में एक्टिनोबैक्टीरिया कम हो गए। इस बारे में प्रमुख शोधकर्ता क्रिस कैलेवटई का मानना है, हम आज पसीने की दुर्गध मिटाने के लिए जिन प्रसाधनों का इस्तेमाल करते हैं वे असलियत में एक्टिनोबैक्टीरिया कम नहीं कर पाते।
कम नहीं करते बल्कि दबाते हैं
उनका मानना है कि डियोडोरेंट पसीने की दुर्गंध खत्म नहीं करते हैं बल्कि इनकी खुशबू के आगे दुर्गंध दब जाती है। उनके अनुसार, हम लोग बैक्टीरियल स्थानांतरण के ऊपर काम कर रहे हैं जिसमें कांख से बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को ऐसे बैक्टीरिया से बदला जा सके जो दुर्गंध न फैलाते हों। हालांकि अभी इस शोध को पूरा करने में समय है। तो अब आप डियोडोरेंट का बेधड़क इस्तेमाल करने से पहले इस बारे में जरूर सोचेंगे।