जब आप अपने भविष्य को ध्यान में रखकर निवेश योजनाएं बना रहे हों, तो जरूरी है कि हमें अपने लक्ष्य के बारे में साफ-साफ पता हो और वर्तमान में निवेश के उपलब्ध मौके के बारे में पूरी जानकारी हो। जमाने के साथ बदल रही निवेश योजनाओं पर हमारा पूरा ध्यान रहना चाहिए। हमें अपने आर्थिक लक्ष्य को लगातार जांचते रहना चाहिए कि बदलते समय के साथ ये कारगर हैं या नहीं। इसके पीछे कारण यह है कि बदलते समय के साथ हमारी वित्तीय जिम्मेदारियां घटती-बढ़ती रहती हैं।
उदाहरण के लिए शादी के बाद व्यक्ति के ऊपर उसके जीवनसाथी की जिम्मेदारी भी आती हैं। उसके लिए भी प्लानिंग होनी चाहिए, इसी तरह भविष्य में बच्चों की पढ़ाई, शादी, रिटायरमेंट, विदेश यात्रा जैसे कई पड़ाव आते हैं जिनके लिए निवेश की नीति बदलते रहनी होती है। बदलते जमाने और जरूरतों के मुताबिक ही हमारी निवेश रणनीति होनी चाहिए।
लक्ष्यों का विश्लेषण करें (Target Your Analysis)
इसके तहत आने वाले समय के सभी खचरें का अनुमान लगाना चाहिए। लोन, लोन का ब्याज, बढ़ती महंगाई के चलते बढ़ने वाले खचरें का कुछ हिसाब लगाया जा सकता है। बजट और टैक्स के सभी मुमकिन बिंदुओं पर सोच विचार करें। अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर सभी लक्ष्यों, जिम्मेदारियों को निभाने की प्लानिंग करें। इसे बनाते समय अपनी नेटवर्थ का ख्याल रखना चाहिए। आपको तय करना होगा कि वित्तीय जिम्मेदारियां आप दोनों मिलकर उठाएंगे या नहीं। आप अपने लक्ष्यों को एक साथ ना मिलाएं, अलग-अलग लक्ष्यों के लिए अलग खाते बनाएं और इनके लिए अलग-अलग प्लानिंग के साथ बचत व निवेश करें।
दस्तावेज अपडेट करें (Document Updates)
अपने आर्थिक दस्तावेजों को समय समय पर अपडेट करते रहें। उनमें नए उपनाम, नए पते, लाभार्थी आदि वगैरह सभी के नाम जोडते रहें। महिलाओं की शादी-ब्याह, तलाक आदि की सूरत में उपनाम में बदलाव होता है और इनकी सूचना हर बैंक खाते, बीमा पॉलिसी, हेल्थ इंश्योरेंस वगैरह में समय पर बदलवाएं। वहीं पुरुषों को अपने नए पते, कॉन्टैक्ट नंबर, ई-मेल आदि की पूरी जानकारी देनी चाहिए। शादी-ब्याह की सूरत में मैरिज सर्टिफिकेट और पावर ऑफ एटार्नी वगैरह सबसे जरूरी कागजों में से एक हैं। वहीं अपनी वसीयत बनवाते समय भी आपको सभी लाभार्थियों, नॉमिनी वगैरह के नाम अच्छी तरह सही स्पैलिंग के साथ लिखवाने चाहिए।
बीमा प्लानिंग दोबारा करें (Re-planning of Your Insurance)
बढ़ती जिम्मेदारियों के साथ आपको अपने बीमा कवर को भी बढ़ाना चाहिए। अपनी पॉलिसी में आपके ऊपर आर्शित लोगों के नाम-पत्नी, संतान को नॉमिनी के रूप में शामिल करना ना भूलें। सुनने में ये बात साधारण लगती है लेकिन कई बार कुछ लोग ऐसा करना भूल जाते हैं। आप अपने बीमा को टॉप-अप कार सकते हैं जिससे आपको उसी बीमा में ज्यादा फायदे मिल सकें।
एक संयुक्त प्लान बनाएं (Joint Plan)
लंबी और छोटी अवधि के लिए अलग-अलग वित्तीय प्लान बनाएं और योजना के मुताबिक काम करें। आपको अपने जीवनसाथी को हर योजना में शामिल करना चाहिए और उसकी सलाह लेनी चाहिए। संयुक्त निवेश नीति बनाकर चलेंगे तो आप दोनों को सभी बातों की जानकारी होगी और निवेश लक्ष्यों को हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इससे आप बेहतर रिटर्न और बेहतर कमाई हासिल कर सकते हैं।
एक बार निवेश योजना बना ली तो इसके बाद हर तीन महीने में इसे जांचे, देखें कि लोन स्विच करने, फंड खरीदने-बेचने, बदलने या नए फंड जोड़ने की जरूरत तो नहीं है। अगर आप खुद ये सब करने में सक्षम नहीं है तो इसके लिए आप किसी फाइनेंशियल प्लानर की सलाह भी ले सकते हैं।