एक्सपोर्ट-इंपोर्ट कंपनियों को नुकसान, जांच के लिए हाई कोर्ट में याचिका
कई बार विदेश को किए गए निर्यात का भुगतान न मिलना, देरी से मिलना या सामान गायब होने की सूचना.. पहले ऐसी शिकायतें तो मिलती थीं, लेकिन अब दुनियाभर में ऐसे अपराधों को संगठित रूप देने का जोर पकड़ रहा है। यह क्राइम सिंडिकेट दुनियाभर में फैला है और इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल से अपना आतंक फैला रहा है। यह सिंडिकेट ई-मेल और बैंक खातों का दुरुपयोग करके न केवल एक्सपोर्ट सौदे अपने चहेतों को डाइवर्ट कर रहा है, बल्कि इन सूचनाओं के आधार पर फर्जी बैंक खाते खोलकर एक्सपोर्ट की रकम अपने खातों में जमा कराकर मजे ले रहा है।
हाल में ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मुंबई की बड़ी कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाते इस सिंडिकेट की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। अंधेरी की इस कंपनी का टर्नओवर 110 करोड़ रुपये है और उसने रॉयस लॉ फर्म की मार्फत दायर याचिका में कहा है कि यह इंटरनैशनल स्तर का अपराध है, जिसमें इंटरनेट का दुरुपयोग किया गया है, जिसकी जांच लोकल पुलिस नहीं कर सकती। याचिका में यह भी कहा गया कि इस रैकेट के जाल में और भी कंपनियां हो सकती हैं और यदि यह क्राइम नहीं रोका गया, तो न केवल इंडिया का इंटरनैशनल कारोबार घट सकता है, बल्कि इंडिया की गुडविल भी खराब हो सकती है।
लॉ फर्म के एडवोकेट अनिरबेन रॉय ने बताया कि इस सिंडिकेट ने याचिकाकर्ता कंपनी का ई-मेल हैक कर लिया, फिर उसके क्लाइंट्स से ऐसे सौदे करता रहा, जैसे याचिकाकर्ता कंपनी ही कर कर रही है। सिंडिकेट ने कंपनी के कर्मचारियों-अधिकारियों के बारे में भी सूचनाएं पा लीं, जिनके आधार पर बैंक खाते खुलवाए और उनमें याचिकाकर्ता कंपनी को मिलने वाले भुगतान को क्रेडिट करा लिया। यहां तक कि एचएसबीसी जैसे बड़े बैंक की कनाडा शाखा से बैंक अडवाइस तक प्राप्त कर ली। सूचनाओं का आदान-प्रदान, सौदे और भुगतान ऐसे होते हैं, जैसे याचिकाकर्ता कंपनी और उनके वास्तविक ग्राहकों और बैंकों के बीच हो रहे हैं, जबकि पूरा खेल सिंडिकेट का है। एक मामले में तो सिंडिकेट ने कंपनी का फोन और बीबीएमएस ही ब्लॉक कर दिया।
याचिका के मुताबिक, कंपनी ने अब तक 8 ऐसे केस पकड़े हैं, जो इंडोनेशिया, बेलारूस, कनाडा, स्पेन, अर्जेंटीना, अमेरिका और ईरान के ग्राहक शामिल हैं। सिंडिकेट ने चीन, जॉर्जिया, थाइलैंड, कतर और इंडिया में 10 फर्जी बैंक खाते खोले। अब कंपनी का इन खातों में 1 लाख डॉलर का भुगतान फंस गया है।
हाल में ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें मुंबई की बड़ी कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाते इस सिंडिकेट की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। अंधेरी की इस कंपनी का टर्नओवर 110 करोड़ रुपये है और उसने रॉयस लॉ फर्म की मार्फत दायर याचिका में कहा है कि यह इंटरनैशनल स्तर का अपराध है, जिसमें इंटरनेट का दुरुपयोग किया गया है, जिसकी जांच लोकल पुलिस नहीं कर सकती। याचिका में यह भी कहा गया कि इस रैकेट के जाल में और भी कंपनियां हो सकती हैं और यदि यह क्राइम नहीं रोका गया, तो न केवल इंडिया का इंटरनैशनल कारोबार घट सकता है, बल्कि इंडिया की गुडविल भी खराब हो सकती है।
लॉ फर्म के एडवोकेट अनिरबेन रॉय ने बताया कि इस सिंडिकेट ने याचिकाकर्ता कंपनी का ई-मेल हैक कर लिया, फिर उसके क्लाइंट्स से ऐसे सौदे करता रहा, जैसे याचिकाकर्ता कंपनी ही कर कर रही है। सिंडिकेट ने कंपनी के कर्मचारियों-अधिकारियों के बारे में भी सूचनाएं पा लीं, जिनके आधार पर बैंक खाते खुलवाए और उनमें याचिकाकर्ता कंपनी को मिलने वाले भुगतान को क्रेडिट करा लिया। यहां तक कि एचएसबीसी जैसे बड़े बैंक की कनाडा शाखा से बैंक अडवाइस तक प्राप्त कर ली। सूचनाओं का आदान-प्रदान, सौदे और भुगतान ऐसे होते हैं, जैसे याचिकाकर्ता कंपनी और उनके वास्तविक ग्राहकों और बैंकों के बीच हो रहे हैं, जबकि पूरा खेल सिंडिकेट का है। एक मामले में तो सिंडिकेट ने कंपनी का फोन और बीबीएमएस ही ब्लॉक कर दिया।
याचिका के मुताबिक, कंपनी ने अब तक 8 ऐसे केस पकड़े हैं, जो इंडोनेशिया, बेलारूस, कनाडा, स्पेन, अर्जेंटीना, अमेरिका और ईरान के ग्राहक शामिल हैं। सिंडिकेट ने चीन, जॉर्जिया, थाइलैंड, कतर और इंडिया में 10 फर्जी बैंक खाते खोले। अब कंपनी का इन खातों में 1 लाख डॉलर का भुगतान फंस गया है।