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राजधानी दिल्ली में दोपहिया वाहन पर पीछे की सवारी के तौर पर सफर कर रही महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य हो गया है। हालांकि सिख महिलाओं को धार्मिक आधार पर हेलमेट पहनने से छूट दी गई। सरकार ने दिल्ली मोटर व्हीकल्स रूल्स 1993 के नियम 115 में संशोधन किया है। गुरुवार को दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
woman wear helmet is urget
परिवहन विभाग के मुताबिक अकेले दिल्ली में 2012 के दौरान सड़क हादसों में 576 दोपहिया सवारों ने अपनी जान गंवा दी। मोटराइज्ड दोपहिया वाहनों में सबसे बड़ा जोखिम ही सवारों द्वारा हेलमेट का इस्तेमाल करना है। सिर की चोट ही हादसों में मौत, जख्म और अपंगता की सबसे बड़ी वजह बनती है। दुर्घटना के दौरान तमाम मौकों पर हेलमेट के इस्तेमाल से सिर की चोट को बचाया जा सकता है।
1998 में, दिल्ली सरकार ने पीछे बैठने वाली सवारियों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया लेकिन सिख समुदाय के लोगों ने इस नियम पर आपत्ति जताई। जिसके बाद दिल्ली मोटर व्हीकल्स रूल्स, 1993 में 1999 में संशोधन कर महिलाओं के लिए हेलमेट के इस्तेमाल को वैकल्पिक बना दिया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, दिल्ली महिला आयोग और रोड सेफ्टी पर काम करने वाले एनजीओ की सिफारिश पर परिवहन विभाग ने दोपहिया वाहन पर पीछे बैठने वाली महिला सवारी के लिए भी हेलमेट अनिवार्य करने का फैसला लिया है।

 
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