क्या आप शेयर मार्केट में पैसा लगाना चाहते हैं तो जानिए कैसे व क्यो, share market live, share market basics, how to invest in share market, share market tips, share market wiki, share market holidays 2014, world share market
शेयर बाजार में पैसा लगाना हंसी का खेल नहीं है। इसमें मुनाफा है तो जोखिम भी है। इसलिए किसी भी निवेशक को अपनी निवेश स्टाइल पर गौर करना चाहिए।
आप सबने क्रिकेट मैच देखे होंगे। उसमें आपने एक ही टीम के बल्लेबाजों को अलग-अलग स्टाइल में खेलते देखा होगा। कोई बल्लेबाज टी-ट्वेंटी का माहिर होता है। वह दस ओवर में सुपरफास्ट शतक बना डालता है। कोई दूसरा बल्लेबाज जो टेस्ट मैच स्पेशलिस्ट है। वह टिक कर खेलता है और पूरे दिन में एक शतक बनाता है। दोनों अपनी भूमिका बखूबी निभाते हैं, लेकिन दोनों बल्लेबाजों की तुलना गलत होगी क्योंकि दोनों की स्टाइल और पैटर्न अलग हैं। यही बात शेयर बाजार पर भी लागू होती है। जब आप शेयर बाजार में पूंजी लगाने का फैसला करते हैं तो आपको अपनी स्टाइल पर चिंतन करना चाहिए।
जरूरत के अनुकूल हो स्टाइल
आपके निवेश की स्टाइल आपकी जरूरत और आपके स्वभाव के अनुरूप होना चाहिए। निवेश के संदर्भ में स्वभाव शब्द का इस्तेमाल शायद आपको अजीब लगा होगा। लेकिन ये बिल्कुल जांचा परखा तथ्य है। क्योंकि भारतीय शेयर बाजार जितना अर्थशास्त्र है, उतना ही मनोविज्ञान भी। बाजार में भावनाओं यानी सेंटीमेंट का काफी महत्व है। इस पर विस्तार से चर्चा आगे के अंकों में करेंगे। फिलहाल बात ट्रेडिंग स्टाइल की।
दो तरह के खुदरा निवेशक
आम तौर पर दो प्रकार के लिए खुदरा निवेशक शेयर मार्केट में आते हैं- पहला वर्ग उन लोगों का है, जिनका मूल धंधा शेयरों का कारोबार नहीं है। वे नौकरी या व्यवसाय वगैरह करते हैं। वे अपनी बचत पर अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए शेयर में निवेश करने के इच्छुक होते हैं। वे अपने अल्पकालिक लक्ष्य (जैसे घर या कार खरीदना) या दीर्घकालिक योजनाओं (बेटी की शादी या बुढ़ापे में वित्तीय आत्मनिर्भरता) को पूरा करना चाहते हैं। अगर उन्हें अपनी मासिक या वार्षिक बचत पर बढ़िया रिटर्न साल दर साल मिलता रहे तो उनके लिए मंजिल आसान हो जाती है। शेयर बाजार उनके सपनों को पूरा करने में बड़ा मददगार बन सकता है।
दूसरी र्शेणी उन लोगों की है जो शेयर मार्केट में पूंजी लगा कर रिटर्न नहीं बल्कि इनकम हासिल करना चाहते हैं। यानी शेयर बाजार इनकी जीविका का एक पूर्ण या आंशिक जरिया होता है। ये लोग फुलटाइम (जैसे इंट्रा डे ट्रेडिंग) या पार्ट टाइम ( डिलीवरी पर आधारित स्विंग या मोमेंटम ट्रेडिंग) किया करते हैं।
पहले वर्ग के लोगों को निवेशक कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोग ट्रेडर माने जाते हैं। हालांकि मूल रूप से ट्रेडिंग भी एक तरह का निवेश ही है। लेकिन समझने की सुविधा के लिए हम इन्हें ट्रेडर और इनवेस्टर कहते हैं। निवेशक और ट्रेडर दोनों एक ही मार्केट से मुनाफा कमाते हैं या नुकसान उठाते हैं, लेकिन दोनों की स्टाइल काफी हद तक अलग होती है। ट्रेडिंग में ज्यादा मुनाफे की गुंजाइश जरूर है लेकिन खतरा भी उतना ही ज्यादा है।
नौकरीपेशा इन्वेस्टर बनें
एक आम मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा व्यक्ति अगर शेयर बाजार में निवेशक के रूप में एंट्री लेना चाहता है, तो उसे थोड़ी ट्रेनिंग और प्रोफेशनल मदद की जरूरत होगी। लेकिन अगर वह ट्रेडिंग में उतरना चाहता है तो उसे निवेशक के मुकाबले कई गुना ज्यादा समय लगाना होगा, अध्ययन और पर्शिम करना होगा। इसके साथ ही उसे बेहतर प्रोफेशनल गाइडेंस की आवश्यकता होगी। असफल होकर, भारी घाटा सहकर शेयर बाजार से मुंह मोड़ने वाले लोग ज्यादातर ट्रेडर ही होते हैं, जो पूरी तैयारी किए बिना शेयर ट्रेडिंग में कूद पड़ते हैं।
इसलिए हमारी सलाह है कि आप अपनी ट्रेडिंग स्टाइल पर गौर करें। अगर आप फुलटाइम जॉब करते हैं.. अगर आपके पास शेयर मार्केट की हलचल पर लगातार नजर रखने का वक्त नहीं है तो आपके लिए निवेश यानी इनवेस्टमेंट सही विकल्प होगा। अगर आप लोभ में पड़ कर अधूरी समझ के आधार पर ट्रेडिंग की कोशिश करेंगे, भारी नुकसान हो सकता है। मेरी सलाह है कि ऐसे लोगों को लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए, क्योंकि इसमें जोखिम कम होता है और उम्दा रिटर्न की संभावना रहती है। लंबी अवधि से तात्पर्य छह महीने से तीन साल तक है। पांच या दस साल नहीं।
लालच में पूरी बचत नहीं लगाएं
नए निवेशकों के लिए सुझाव है कि आप अपनी बचत का वही हिस्सा शेयर मार्केट में इनवेस्ट करें जिसकी जरूरत आपको दो-तीन साल के लिए नहीं हो क्योंकि अगर दांव उल्टा पड़ा और आपका खरीदा शेयर ज्यादा लुढ़क गया तो उसे वापस लौटने में अच्छा खासा वक्त लग सकता है। लालच में पड़ कर अपनी पूरी बचत शेयर मार्केट में नहीं लगाएं कहीं ऐसा न हो जाए कि जब आपको पैसों की जरूरत पड़े तो आपको घाटे में शेयर बेचना पड़ जाए। याद रखिये शेयर मार्किट में मुनाफा आपकी मर्जी से मिलता है।
आप सबने क्रिकेट मैच देखे होंगे। उसमें आपने एक ही टीम के बल्लेबाजों को अलग-अलग स्टाइल में खेलते देखा होगा। कोई बल्लेबाज टी-ट्वेंटी का माहिर होता है। वह दस ओवर में सुपरफास्ट शतक बना डालता है। कोई दूसरा बल्लेबाज जो टेस्ट मैच स्पेशलिस्ट है। वह टिक कर खेलता है और पूरे दिन में एक शतक बनाता है। दोनों अपनी भूमिका बखूबी निभाते हैं, लेकिन दोनों बल्लेबाजों की तुलना गलत होगी क्योंकि दोनों की स्टाइल और पैटर्न अलग हैं। यही बात शेयर बाजार पर भी लागू होती है। जब आप शेयर बाजार में पूंजी लगाने का फैसला करते हैं तो आपको अपनी स्टाइल पर चिंतन करना चाहिए।
जरूरत के अनुकूल हो स्टाइल
आपके निवेश की स्टाइल आपकी जरूरत और आपके स्वभाव के अनुरूप होना चाहिए। निवेश के संदर्भ में स्वभाव शब्द का इस्तेमाल शायद आपको अजीब लगा होगा। लेकिन ये बिल्कुल जांचा परखा तथ्य है। क्योंकि भारतीय शेयर बाजार जितना अर्थशास्त्र है, उतना ही मनोविज्ञान भी। बाजार में भावनाओं यानी सेंटीमेंट का काफी महत्व है। इस पर विस्तार से चर्चा आगे के अंकों में करेंगे। फिलहाल बात ट्रेडिंग स्टाइल की।
दो तरह के खुदरा निवेशक
आम तौर पर दो प्रकार के लिए खुदरा निवेशक शेयर मार्केट में आते हैं- पहला वर्ग उन लोगों का है, जिनका मूल धंधा शेयरों का कारोबार नहीं है। वे नौकरी या व्यवसाय वगैरह करते हैं। वे अपनी बचत पर अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए शेयर में निवेश करने के इच्छुक होते हैं। वे अपने अल्पकालिक लक्ष्य (जैसे घर या कार खरीदना) या दीर्घकालिक योजनाओं (बेटी की शादी या बुढ़ापे में वित्तीय आत्मनिर्भरता) को पूरा करना चाहते हैं। अगर उन्हें अपनी मासिक या वार्षिक बचत पर बढ़िया रिटर्न साल दर साल मिलता रहे तो उनके लिए मंजिल आसान हो जाती है। शेयर बाजार उनके सपनों को पूरा करने में बड़ा मददगार बन सकता है।
दूसरी र्शेणी उन लोगों की है जो शेयर मार्केट में पूंजी लगा कर रिटर्न नहीं बल्कि इनकम हासिल करना चाहते हैं। यानी शेयर बाजार इनकी जीविका का एक पूर्ण या आंशिक जरिया होता है। ये लोग फुलटाइम (जैसे इंट्रा डे ट्रेडिंग) या पार्ट टाइम ( डिलीवरी पर आधारित स्विंग या मोमेंटम ट्रेडिंग) किया करते हैं।
पहले वर्ग के लोगों को निवेशक कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोग ट्रेडर माने जाते हैं। हालांकि मूल रूप से ट्रेडिंग भी एक तरह का निवेश ही है। लेकिन समझने की सुविधा के लिए हम इन्हें ट्रेडर और इनवेस्टर कहते हैं। निवेशक और ट्रेडर दोनों एक ही मार्केट से मुनाफा कमाते हैं या नुकसान उठाते हैं, लेकिन दोनों की स्टाइल काफी हद तक अलग होती है। ट्रेडिंग में ज्यादा मुनाफे की गुंजाइश जरूर है लेकिन खतरा भी उतना ही ज्यादा है।
नौकरीपेशा इन्वेस्टर बनें
एक आम मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा व्यक्ति अगर शेयर बाजार में निवेशक के रूप में एंट्री लेना चाहता है, तो उसे थोड़ी ट्रेनिंग और प्रोफेशनल मदद की जरूरत होगी। लेकिन अगर वह ट्रेडिंग में उतरना चाहता है तो उसे निवेशक के मुकाबले कई गुना ज्यादा समय लगाना होगा, अध्ययन और पर्शिम करना होगा। इसके साथ ही उसे बेहतर प्रोफेशनल गाइडेंस की आवश्यकता होगी। असफल होकर, भारी घाटा सहकर शेयर बाजार से मुंह मोड़ने वाले लोग ज्यादातर ट्रेडर ही होते हैं, जो पूरी तैयारी किए बिना शेयर ट्रेडिंग में कूद पड़ते हैं।
इसलिए हमारी सलाह है कि आप अपनी ट्रेडिंग स्टाइल पर गौर करें। अगर आप फुलटाइम जॉब करते हैं.. अगर आपके पास शेयर मार्केट की हलचल पर लगातार नजर रखने का वक्त नहीं है तो आपके लिए निवेश यानी इनवेस्टमेंट सही विकल्प होगा। अगर आप लोभ में पड़ कर अधूरी समझ के आधार पर ट्रेडिंग की कोशिश करेंगे, भारी नुकसान हो सकता है। मेरी सलाह है कि ऐसे लोगों को लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए, क्योंकि इसमें जोखिम कम होता है और उम्दा रिटर्न की संभावना रहती है। लंबी अवधि से तात्पर्य छह महीने से तीन साल तक है। पांच या दस साल नहीं।
लालच में पूरी बचत नहीं लगाएं
नए निवेशकों के लिए सुझाव है कि आप अपनी बचत का वही हिस्सा शेयर मार्केट में इनवेस्ट करें जिसकी जरूरत आपको दो-तीन साल के लिए नहीं हो क्योंकि अगर दांव उल्टा पड़ा और आपका खरीदा शेयर ज्यादा लुढ़क गया तो उसे वापस लौटने में अच्छा खासा वक्त लग सकता है। लालच में पड़ कर अपनी पूरी बचत शेयर मार्केट में नहीं लगाएं कहीं ऐसा न हो जाए कि जब आपको पैसों की जरूरत पड़े तो आपको घाटे में शेयर बेचना पड़ जाए। याद रखिये शेयर मार्किट में मुनाफा आपकी मर्जी से मिलता है।