पिछली पोस्ट में आपको बतलाया था की स्टॉक मार्किट क्या होता है आज हम एक उदहारण के तौर से आपको समझाने की कोशिश करेंगे। मेरे एक मित्र हैं। अच्छा कमाते हैं। एहतियात से खर्च करते हैं। एक संतुलित व्यक्ति हैं। संयोगवश उन्हें जीवन में जिन चीजों से चिढ़ है, उनमें शेयर बाजार भी है। वे जानते हैं कि मुझे शेयर बाजार में खासी दिलचस्पी है। एक दिन उन्होंने एनकाउंटर के अंदाज में मुझे घेर लिया। सीधा सवाल दागा कि कोई व्यक्ति शेयर बाजार में पैसा क्यों लगाए? जबकि पीपीएफ में उससे ज्यादा रिटर्न मिलता है। सबूत के तौर पर उन्होंने तथ्य पेश किया। नवंबर 2010 में निफ्टी 6300 अंक के ऊपर था। अभी जब निफ्टी ऐतिहासिक शिखर पर है, तब भी वह 7950 अंक के आसपास घूम रहा है। यानी चार साल में कुल फायदा करीब 25 फीसदी बनता है। पीपीएफ में चार साल का कुल ब्याज 34 फीसदी से ऊपर होता है और पीपीएफ से होने वाली आय पर टैक्स भी नहीं लगता है। मेरे मित्र का सवाल अपनी जगह सही था। हो सकता है कि ये सवाल कभी आपके मन में भी उठा हो।
मैंने मित्र को समझाया कि जवाब तो उनके सवाल में ही छुपा है। पीपीएफ का मतलब है- पब्लिक प्रॉविडेंट फंड। यानी लोकभविष्य निधि। यानी आप अपने भविष्य को ध्यान में रख कर पीपीएफ में निवेश करते हैं। आपकी जमा रकम 15 साल के लिए लॉक हो जाती है। दूसरी तरफ शेयर मार्केट के नाम में ही मार्केट जुड़ा है। मार्केट में कारोबार होता है। मार्केट का धंधा भूत या भविष्य के नहीं बल्कि आज के भाव पर चलता है। जिसने शेयर बाजार के भाव की भाषा को समझ लिया, वह इस धंधे में अच्छी कमाई कर सकता है। लेकिन जिन लोगों को सौ फीसदी सुरक्षित निवेश की तलाश है, उन्हें शेयर मार्केट का रुख नहीं करना चाहिए।
मैंने अपने मित्र को एक उदाहरण देकर समझाया। करीब एक साल पहले 30 अगस्त 2013 को निफ्टी 5450 के आस पास था। इस हिसाब से बाजार ने एक साल में करीब 45 फीसदी रिटर्न दिया है। इस दौरान बहुत से ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों में करीब 60 से लेकर 80 फीसदी तक की उछाल दर्ज की गई। देश के दो बड़े निजी सेक्टर के बैंकों को ही देख लीजिए। 28 अगस्त 2013 को आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 789 रुपए में मिल रहा था जबकि एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत 528 रुपए थी। ठीक एक साल बाद 28 अगस्त 2014 को इन दोनों बैंकों के शेयरों की कीमत क्रमश: 1564 रुपए और 845 रुपए थी। यानी अगस्त 2013 में जिसने आईसीआईसीआई के शेयर खरीदे, उसका सालाना रिटर्न 90 फीसदी से ऊपर बैठता है, जो पीपीएफ जैसी सुरक्षित स्कीम के जरिए कई साल में भी नहीं मिल सकता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों अपनी जगह सच हैं। सारा दारोमदार इस बात पर है कि आप किस तरह से ट्रेडिंग करते हैं। आपकी रणनीति कितनी सटीक है। ट्रेडिंग रणनीति बनाते समय पहला महत्वपूर्ण फैसला होता है स्टॉक का चुनाव। अगर आपने सही स्टॉक चुन लिया तो समझिए आधी लड़ाई जीत गए।
अक्सर होता है कि ट्रेडर के सामने कई शेयर मौजूद होते हैं। आपको उनमें एक चुनना है, अगर आपका चुना हुआ शेयर चढ़ गया तो आप खुश होते हैं। इसके विपरीत अगर वह शेयर उछल गया, जिसे आपने सेलेक्ट नहीं किया था तो आपको अफसोस होता है। आप सोचते हैं काश, इसके बजाए उसमें पैसा लगाया होता तो तीन दिन में पांच फीसदी कमा लेता। लेकिन याद रखिए कि शेयर बाजार में स्टॉक्स का चुनाव कोई लॉटरी नहीं है। कभी कभी इत्तेफाक या संयोग से किसी को फायदा या नुकसान हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से भावों के गहन आकलन का फॉर्मूला ही काम आता है।
स्टॉक से पहले सेक्टर का चुनें
अब हम इसी फॉर्मूले पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले अहम फॉर्मूला। नए खुदरा निवेशक को सलाह है कि वे स्टॉक से पहले सेक्टर का चुनाव करें। सेक्टर का मतलब है- अर्थव्यवस्था का क्षेत्र। जैसे- मेटल, बैंकिंग, ऑयल एंड गैस, फार्मा, इंजीनियरिंग, एफएमसीजी वगैरह। आप शुरुआत में कोई तीन सेक्टर चुनें। तीनों सेक्टर में से एक-एक अच्छी कंपनी छांट लें। इस तरह आपके पास तीन कंपनियों की लिस्ट बन जाएगी। आप रोजाना इन कंपनियों के भावों पर नजर रखें।
हर दिन इन तीनों कंपनियों से जुड़ी खबरों को अखबारों और इंटरनेट पर खोज-खोज कर पढ़ें। ध्यान रहे कि इनसे जुड़ी कोई भी छोटी से छोटी जानकारी आपसे छूट न जाए। ये सूचनाएं बाद में चलकर आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगी।
इस अध्ययन के क्रम में आपको बहुत से तकनीकी शब्द मिलेंगे। इन शब्दों की व्याख्या इंटरनेट या शेयर मार्केट पर आधारित किसी अच्छी किताब से समझने की कोशिश करें। शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। याद रखिए कि शेयर ट्रेडिंग एक सतत अभ्यास की चीज है। यहां धैर्य और अनुशासन का महत्व सर्वोपरि है। हर दिन बाजार बंद होने के बाद तीनों शेयरों के भाव को देखिए। अगर किसी भी शेयर के भाव में उस दिन दो फीसदी या उससे अधिक का उतार - चढ़ाव हुआ है तो उसकी वजह समझने की कोशिश कीजिए। आखिर उस दिन ऐसा क्या हुआ कि उस शेयर में हलचल मची।
कई इकॉनॉमिक वेबसाइट्स पर अलग अलग स्टॉक्स से जुडे शेयरधारकों के ऑनलाइन फोरम होते हैं। आप उनसे भी जुड़ सकते हैं। वहां आपको अपने चुनिंदा शेयर के बारे में बाजार के सेंटिमेंट को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही सावधान रहना भी जरूरी है क्योंकि इंटरनेट पर कई बार लोग निजी स्वार्थवश भ्रामक जानकारियां भी पोस्ट करते हैं, ताकि किसी शेयर को चढ़ाने या गिराने का माहौल बनाया जा सके। इसलिए जिस तरह आप दूसरे बाजारों में ठगे जाने को लेकर चौकन्ना रहते हैं उसी तरह शेयर बाजार में भी सावधानी जरूरी है।
ध्यान रखने योग्य खास बातें
मैंने मित्र को समझाया कि जवाब तो उनके सवाल में ही छुपा है। पीपीएफ का मतलब है- पब्लिक प्रॉविडेंट फंड। यानी लोकभविष्य निधि। यानी आप अपने भविष्य को ध्यान में रख कर पीपीएफ में निवेश करते हैं। आपकी जमा रकम 15 साल के लिए लॉक हो जाती है। दूसरी तरफ शेयर मार्केट के नाम में ही मार्केट जुड़ा है। मार्केट में कारोबार होता है। मार्केट का धंधा भूत या भविष्य के नहीं बल्कि आज के भाव पर चलता है। जिसने शेयर बाजार के भाव की भाषा को समझ लिया, वह इस धंधे में अच्छी कमाई कर सकता है। लेकिन जिन लोगों को सौ फीसदी सुरक्षित निवेश की तलाश है, उन्हें शेयर मार्केट का रुख नहीं करना चाहिए।
मैंने अपने मित्र को एक उदाहरण देकर समझाया। करीब एक साल पहले 30 अगस्त 2013 को निफ्टी 5450 के आस पास था। इस हिसाब से बाजार ने एक साल में करीब 45 फीसदी रिटर्न दिया है। इस दौरान बहुत से ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों में करीब 60 से लेकर 80 फीसदी तक की उछाल दर्ज की गई। देश के दो बड़े निजी सेक्टर के बैंकों को ही देख लीजिए। 28 अगस्त 2013 को आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 789 रुपए में मिल रहा था जबकि एचडीएफसी बैंक के शेयर की कीमत 528 रुपए थी। ठीक एक साल बाद 28 अगस्त 2014 को इन दोनों बैंकों के शेयरों की कीमत क्रमश: 1564 रुपए और 845 रुपए थी। यानी अगस्त 2013 में जिसने आईसीआईसीआई के शेयर खरीदे, उसका सालाना रिटर्न 90 फीसदी से ऊपर बैठता है, जो पीपीएफ जैसी सुरक्षित स्कीम के जरिए कई साल में भी नहीं मिल सकता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों अपनी जगह सच हैं। सारा दारोमदार इस बात पर है कि आप किस तरह से ट्रेडिंग करते हैं। आपकी रणनीति कितनी सटीक है। ट्रेडिंग रणनीति बनाते समय पहला महत्वपूर्ण फैसला होता है स्टॉक का चुनाव। अगर आपने सही स्टॉक चुन लिया तो समझिए आधी लड़ाई जीत गए।
अक्सर होता है कि ट्रेडर के सामने कई शेयर मौजूद होते हैं। आपको उनमें एक चुनना है, अगर आपका चुना हुआ शेयर चढ़ गया तो आप खुश होते हैं। इसके विपरीत अगर वह शेयर उछल गया, जिसे आपने सेलेक्ट नहीं किया था तो आपको अफसोस होता है। आप सोचते हैं काश, इसके बजाए उसमें पैसा लगाया होता तो तीन दिन में पांच फीसदी कमा लेता। लेकिन याद रखिए कि शेयर बाजार में स्टॉक्स का चुनाव कोई लॉटरी नहीं है। कभी कभी इत्तेफाक या संयोग से किसी को फायदा या नुकसान हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से भावों के गहन आकलन का फॉर्मूला ही काम आता है।
स्टॉक से पहले सेक्टर का चुनें
अब हम इसी फॉर्मूले पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले अहम फॉर्मूला। नए खुदरा निवेशक को सलाह है कि वे स्टॉक से पहले सेक्टर का चुनाव करें। सेक्टर का मतलब है- अर्थव्यवस्था का क्षेत्र। जैसे- मेटल, बैंकिंग, ऑयल एंड गैस, फार्मा, इंजीनियरिंग, एफएमसीजी वगैरह। आप शुरुआत में कोई तीन सेक्टर चुनें। तीनों सेक्टर में से एक-एक अच्छी कंपनी छांट लें। इस तरह आपके पास तीन कंपनियों की लिस्ट बन जाएगी। आप रोजाना इन कंपनियों के भावों पर नजर रखें।
हर दिन इन तीनों कंपनियों से जुड़ी खबरों को अखबारों और इंटरनेट पर खोज-खोज कर पढ़ें। ध्यान रहे कि इनसे जुड़ी कोई भी छोटी से छोटी जानकारी आपसे छूट न जाए। ये सूचनाएं बाद में चलकर आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगी।
इस अध्ययन के क्रम में आपको बहुत से तकनीकी शब्द मिलेंगे। इन शब्दों की व्याख्या इंटरनेट या शेयर मार्केट पर आधारित किसी अच्छी किताब से समझने की कोशिश करें। शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। याद रखिए कि शेयर ट्रेडिंग एक सतत अभ्यास की चीज है। यहां धैर्य और अनुशासन का महत्व सर्वोपरि है। हर दिन बाजार बंद होने के बाद तीनों शेयरों के भाव को देखिए। अगर किसी भी शेयर के भाव में उस दिन दो फीसदी या उससे अधिक का उतार - चढ़ाव हुआ है तो उसकी वजह समझने की कोशिश कीजिए। आखिर उस दिन ऐसा क्या हुआ कि उस शेयर में हलचल मची।
कई इकॉनॉमिक वेबसाइट्स पर अलग अलग स्टॉक्स से जुडे शेयरधारकों के ऑनलाइन फोरम होते हैं। आप उनसे भी जुड़ सकते हैं। वहां आपको अपने चुनिंदा शेयर के बारे में बाजार के सेंटिमेंट को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही सावधान रहना भी जरूरी है क्योंकि इंटरनेट पर कई बार लोग निजी स्वार्थवश भ्रामक जानकारियां भी पोस्ट करते हैं, ताकि किसी शेयर को चढ़ाने या गिराने का माहौल बनाया जा सके। इसलिए जिस तरह आप दूसरे बाजारों में ठगे जाने को लेकर चौकन्ना रहते हैं उसी तरह शेयर बाजार में भी सावधानी जरूरी है।
ध्यान रखने योग्य खास बातें
- शेयर ट्रेडिंग के लिए सही कंपनी का चुनाव बेहद जरूरी है
- नए निवेशकों को कंपनी से पहले सेक्टर का चुनाव करना चाहिए
- तीन सेक्टर चुनें.हर सेक्टर से एक-एक कंपनी को सेलेक्ट करें
- चुनी हुई तीनों कंपनियों के भाव पर रोजना नजर रखें
- हर रोज तीनों कंपनियों से जुड़ी खबरों को पढ़ें
- किसी कंपनी के शेयर की कीमत में दो फीसदी से ज्यादा अंतर