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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला बालिग को अब अपनी मर्जी से विवाह का अधिकार

अपने परिवार की र्मजी के विरुद्ध विवाह करने वाली 19 वर्षीय लड़की की मदद के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट आगे आया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देशों के साथ लड़की को नारी निकेतन से रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि लड़की अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है।
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प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘उसे आजाद किया जाए। उसे निकास द्वार से बाहर ले जाया जाए। पुलिसकर्मियों को इसमें कुछ नहीं करना है। वह कहीं भी जा सकती है।’ कोर्ट ने इस लड़की से संबंधित सारे दस्तावेजों के प्रति पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही उसे अपनी र्मजी से जाने की इजाजत दी।
इन दस्तावेजों से पता चला कि युवती नाबालिग नहीं है जैसा कि उसके माता-पिता का दावा था। उनके इसी कथन के आधार पर लड़की को राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर में नारी निकेतन भेजा था।
कोर्ट ने गत शुक्रवार को गाजियाबाद की लड़की के पति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नारी निकेतन के अधीक्षक को नोटिस जारी किया था। व्यक्ति ने 16 जून को लड़की से विवाह किया था। कोर्ट के आदेश पर युवती को सोमवार को पेश किया गया। लड़की ने कोर्ट में बताया कि उसने अपने माता-पिता की र्मजी के खिलाफ शादी की है, लेकिन वह अपनी जन्मतिथि के बारे में जवाब नहीं दे सकी थी। उसका कहना था कि वह इन सवालों को समझने में अक्षम है। लेकिन लड़की के वकील ने कहा कि उसके पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट में उसके जन्म का वर्ष 1995 दर्ज कराया और इस तरह वह पहले ही बालिग हो चुकी है। “नारी निकेतन से लड़की को किया जाए रिहा”: सीजेआई

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