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hybrid equity-oriented Mutual Funds/MF, hybrid equity
हुत से निवेशक इक्विटी फंड (Equity Fund) में निवेश तो करना चाहते हैं, लेकिन रिस्क(Risk) नहीं लेना चाहते, ऐसे उनको क्या करना चाहिए तो ऐसे आपको हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund) निवेश करना बेहतर रहेगा। क्योंकि इन स्कीमो को निवेशकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर कई हाइब्रिड स्कीम्स लांच किया जाता हैं। इन स्कीम्स में ग्रोथ और डिविडेंड, दोनों ऑप्शन होते हैं। जानकारों के मुताबिक निवेशकों को ग्रोथ ऑप्शन चुनना चाहिए। लेकिन आप नियमित अंतराल पर कैश चाहते हैं तो डिविडेंड ऑप्शन बेहतर होगा।

हर कोई जोखिम नही ले सकता है इसलिए जोखिमो से हिचकने वाले निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) हाउस हाइब्रिड फंड (House Hybrid Fund) का विकल्प का आप चुनाव कर सकते हो। हाइब्रिड की खास बात है कि यदि निवेशक इसमें तीन साल तक बने रहे, तो मूलधन को नुकसान पहुंचने की आशंका बेहद कम रहती है। हाइब्रिड स्किम्स इक्विटी (Hybrid Schemes Equity) में कम निवेश करने और इसके साथ अपने कंजर्वेटिव एसेट एलोकेशन पर बने रहने की सहूलियत देती हैं। हाइब्रिड फंड्स आमतौर पर तीन या पांच साल में मैच्योर होते हैं। डेट कंपोनेंट के तहत अच्छी क्वॉलिटी के बॉन्ड्स होते हैं, जो स्कीम के मैच्योर होने से ऐन पहले मैच्योर होते हैं। तीन साल की स्कीम हो तो लगभग 80 प्रतिशत रकम बॉन्ड्स में इनवेस्ट होती है। इससे समय पूरा होने पर कैपिटल पर रिटर्न सुनिश्चित रहता है। शेष हिस्सा इक्विटी में लगाया जाता है।

क्या है हाइब्रिड फंड- (What is Hybrid Fund)
पहले समझने की बात है कि आखिर हाइब्रिड फंड क्या है। तो डेट और इक्विटी के संतुलित मिर्शण को हाइब्रिड फंड कहते हैं। कहने का तात्पर्य कि जब आप किसी म्यूचुअल फंड हाउस के जरिये निवेश का मन बनाते हैं, तो उसे आपको अपने निवेश के बारे में पोर्टफोलियो बताना होता है। पोर्टफोलियो का मतलब है कि आप किस-किस सेक्टर में निवेश करेंगे। आप डेट फंड में निवेश चाहते हैं, या इक्विटी फंड में या ईटीएफ या हाइब्रिड फंड में। जब आप अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी को अपने पोर्टफोलियो में हाइब्रिड फंड का ऑप्शन देते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने डेट और इक्विटी दोनों फंड में निवेश के लिए विकल्प चुना है। हाइब्रिड फंड में डेट और इक्विटी में इस तरह निवेश किया जाता है कि जब तक स्कीम्स मैच्योर होती हैं, डेट वाला हिस्सा बढ़कर इतना हो जाता है कि इनवेस्टर को अपना मूल धन वापस मिल जाए और इक्विटी कंपोनेंट से एडिशनल रिटर्न मिले।

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