दुनिया के सबसे सफल निवेशक माने जाने वाले वॉरेन बफेट ने कहा था- “जब दूसरे लोग लालची हों तो आप डरिए और जब दूसरे लोग डरें तो आप लालची बन जाइए”। बफेट की इस थ्योरी को अगर सरल शब्दों में कहें तो अच्छा शेयर चुनो, सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचकर मुनाफा बटोर लो। दु निया के सबसे सफल निवेशक माने जाने वाले वॉरेन बफेट ने कहा था- जब दूसरे लोग लालची हों तो आप डरिए.और जब दूसरे लोग डरें तो आप लालची बन जाइए। इस बार वॉरेन बफेट की इसी थ्योरी को समझने की कोशिश करेंगे। मेरी राय में हर रिटेल ट्रेडर को वॉरेन बफेट का ये सिद्धांत आत्मसात कर लेना चाहिए। इस थ्योरी को गौर से देखिए। इस फॉर्मूले में दो शब्दों पर जोर है। लालच और डर। नैतिकता के स्थापित मानदंडों के हिसाब से देखा जाए तो लालच और डर ये दोनों अवगुण माने जाते हैं। लालची और डरपोक इंसान को कभी र्शेष्ठ या विश्वसनीय नहीं माना जाता है, लेकिन मजेदार बात है कि ट्रेडर को लालची और डरपोक बनने की सलाह दी जा रही है। पहली नजर में ये एक उलझी हुई पहेली लगती है, लेकिन दरअसल ऐसा नहीं है। यहां इन शब्दों का इस्तेमाल मुहावरे की तरह हुआ है, इसलिए उनके अर्थ पर नहीं जाइए, बल्कि उनके भाव को समझिए। क्योंकि इस फार्मूले में छिपा है ट्रेडर की सफलता का रहस्य।
जोरदार मुनाफे की ख्वाहिश (Hunger of Big Profit)
पहले बात करते हैं लालच की। ट्रेडिंग में लालच का मतलब है- जबरदस्त मुनाफे की ख्वाहिश जो आपको कोई सौदा करने के लिए धकेलती है। ट्रेडर को लगता है कि अरे ये शेयर तो चढ़ रहा है, अगर इसे नहीं खरीदा तो प्रॉफिट वाली एक्सप्रेस ट्रेन छूट जाएगी। अगर आपके किसी दोस्त, परिचित या रिश्तेदार ने वह शेयर खरीदा है तो आप और भी बेचैन हो जाते हैं, आपको लगता है कि वह मालामाल हो जाएगा और आप हाथ मलते रह जाएंगे। इसलिए आप भी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए कूद पड़ते हैं। लेकिन कूदने के बाद मालूम पड़ता है कि आप विपरीत और तेज धारा में फंस गए हैं। यहां पूंजी डूबने का डर है और घाटे का दलदल है। बदकिस्मती से ज्यादातर ट्रेडर किसी शेयर को खरीदते समय सही आकलन और विश्लेषण करने के बदले लालच में फंसकर अपना नुकसान करवा बैठते हैं।
भारी गिरावट का भय (Fear of Large Declines)
अब डर को समझिए। मान लीजिए किसी मजबूत कंपनी का शेयर गिरा हुआ है। आप इस डर से उसे नहीं खरीदते हैं कि वह डाउनट्रेंड है। आप इस बात को समझने की कोशिश नहीं करते कि वह क्यों गिरा है और कहां तक गिरने के बाद दोबारा उठकर दौड़ने लगेगा। आप लंगड़ा घोड़ा समझकर जिस स्टॉक पर दांव लगाने से डर रहे थे, वह देखते ही देखते तूफान एक्सप्रेस बन जाता है। आप एक बार फिर अफसोस करने बैठ जाते हैं। डर का एक और पहलू भी है, अगर आप नियमित ट्रेडिंग करते होंगे तो आपने महसूस किया होगा कि कई बार डर की वजह से तगड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। मसलन हर ट्रेडर जानता है कि स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है, लेकिन कई बार ट्रेडर घाटे के डर से स्टॉप लॉस को नजरअंदाज करता है। शेयर की कीमत तय स्टॉप लॉस की सीमा से नीचे चली जाती है, ट्रेडर इस उम्मीद में बैठा रहता है कि अभी भाव पलटेगा, लेकिन वह गिरता ही चला जाता है, आखिरकार वह भारी घाटा सहकर उस शेयर को बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।
कोई शेयर कब खरीदें (When we will by stock /share)
अब सवाल है कि बफेट के कहने का मतलब क्या है। ट्रेडर को कब लालची बनना चाहिए और कब डरना चाहिए। दरअसल, बफेट की थ्योरी ये कहती है कि जब किसी अच्छी कंपनी का शेयर पिटा हुआ हो यानी ओवरसोल्ड अवस्था में हो तो उसे खरीद लेना चाहिए, क्योंकि उस शेयर में उठने की भरपूर संभावना छिपी होती है। बाजार में ज्यादातर लोग उस शेयर को नकार देते हैं, लेकिन सूक्ष्म दृष्टि वाला ट्रेडर इस बात का आकलन कर लेता है कि कौन सा अच्छा शेयर सस्ते दाम में मिल रहा है। वह भांप लेता है कि कौन सा शेयर फर्श से अर्श का सफर तय करने के लिए तैयार है। ऐसे सौदे में मोटे मुनाफे की संभावना कूट कूट कर भरी होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आप किसी भी पिटे हुए शेयर को आंख बंद करके खरीद लें। इस तरह का शेयर चुनने के लिए काफी ज्ञान, अभ्यास और अनुशासन की जरूरत होती है। बफेट की भाषा में इसे ही कहते हैं जब दूसरे डरें, तब लालची बनना चाहिए। यानी जब ज्यादातर लोग किसी शेयर के पतन से डर कर दूर भाग रहे हों, तब आप उसके लिए लालच दिखाते हैं यानी उसे खरीद लेते हैं।
कोई शेयर कब बेचें (When we sell our Stock)
इसके ठीक विपरीत बफेट के सिद्धांत का अगला चरण है-जब दूसरे लालची बनें तो आप डरिए। इसे भी ऊपर वाले उदाहरण के संदर्भ में समझिए। माना किसी ट्रेडर ने ओवरसोल्ड अवस्था में कोई शेयर सस्ते में खरीदा..जब वह ठीक-ठाक चढ़ जाता है तो आम ट्रेडर्स की नजर उस पर पड़ती है। लोगों को लगता है कि ये उगता हुआ सूरज है, सब उसे सलाम करने लगते हैं। यानी रिटेल ट्रेडर लालच में पड़कर उसे ऊंचे भाव में खरीद करने लगते हैं.लेकिन तब तक सूरज ढलने लगता है..शेयर ओवरबाउट (बहुत ज्यादा और ऊंची कीमत पर खरीद) हालत में पहुंच जाता है। वहां से वह नीचे आने लगता है। बफेट के मुताबिक समझदार ट्रेडर इस स्थिति को भी भांप लेता है, जब दूसरे लोग लालच में पड़कर किसी शेयर को ऊंची कीमत पर खरीद रहे होते हैं तो वह गिरने की संभावना से डर कर बेच देता है। उसका यह दांव भी सही पड़ता है, क्योंकि जहां वह बेचता है, वही उस शेयर का तात्कालिक शिखर होता है।
जोखिम के जख्म से सचेत रहें (Be aware of Risk)
बफेट की इस थ्योरी को अगर सरल शब्दों में कहें तो अच्छा शेयर चुनो, सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचकर निकल लो। कहने सुनने में ये फॉर्मूला बड़ा दिलचस्प और आसान लगता है, लेकिन इसे अमल में लाने में उतना ही कठिन है। वैसे किसी गिरते हुए शेयर को खरीदना उड़ते हुए तीर को पकड़ने जैसा खतरनाक होता है। अगर आपका अनुमान सही है और आपके हाथ में आने तक तीर की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है तो आप तीरंदाज बन जाते हैं वरना घायल होने का भरपूर खतरा रहता है। इसीलिए अगर आप ट्रेडिंग करते हैं जोखिम के जख्म से हमेशा सावधान रहिए।
जोरदार मुनाफे की ख्वाहिश (Hunger of Big Profit)
पहले बात करते हैं लालच की। ट्रेडिंग में लालच का मतलब है- जबरदस्त मुनाफे की ख्वाहिश जो आपको कोई सौदा करने के लिए धकेलती है। ट्रेडर को लगता है कि अरे ये शेयर तो चढ़ रहा है, अगर इसे नहीं खरीदा तो प्रॉफिट वाली एक्सप्रेस ट्रेन छूट जाएगी। अगर आपके किसी दोस्त, परिचित या रिश्तेदार ने वह शेयर खरीदा है तो आप और भी बेचैन हो जाते हैं, आपको लगता है कि वह मालामाल हो जाएगा और आप हाथ मलते रह जाएंगे। इसलिए आप भी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए कूद पड़ते हैं। लेकिन कूदने के बाद मालूम पड़ता है कि आप विपरीत और तेज धारा में फंस गए हैं। यहां पूंजी डूबने का डर है और घाटे का दलदल है। बदकिस्मती से ज्यादातर ट्रेडर किसी शेयर को खरीदते समय सही आकलन और विश्लेषण करने के बदले लालच में फंसकर अपना नुकसान करवा बैठते हैं।
भारी गिरावट का भय (Fear of Large Declines)
अब डर को समझिए। मान लीजिए किसी मजबूत कंपनी का शेयर गिरा हुआ है। आप इस डर से उसे नहीं खरीदते हैं कि वह डाउनट्रेंड है। आप इस बात को समझने की कोशिश नहीं करते कि वह क्यों गिरा है और कहां तक गिरने के बाद दोबारा उठकर दौड़ने लगेगा। आप लंगड़ा घोड़ा समझकर जिस स्टॉक पर दांव लगाने से डर रहे थे, वह देखते ही देखते तूफान एक्सप्रेस बन जाता है। आप एक बार फिर अफसोस करने बैठ जाते हैं। डर का एक और पहलू भी है, अगर आप नियमित ट्रेडिंग करते होंगे तो आपने महसूस किया होगा कि कई बार डर की वजह से तगड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। मसलन हर ट्रेडर जानता है कि स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है, लेकिन कई बार ट्रेडर घाटे के डर से स्टॉप लॉस को नजरअंदाज करता है। शेयर की कीमत तय स्टॉप लॉस की सीमा से नीचे चली जाती है, ट्रेडर इस उम्मीद में बैठा रहता है कि अभी भाव पलटेगा, लेकिन वह गिरता ही चला जाता है, आखिरकार वह भारी घाटा सहकर उस शेयर को बेचने के लिए मजबूर हो जाता है।
कोई शेयर कब खरीदें (When we will by stock /share)
अब सवाल है कि बफेट के कहने का मतलब क्या है। ट्रेडर को कब लालची बनना चाहिए और कब डरना चाहिए। दरअसल, बफेट की थ्योरी ये कहती है कि जब किसी अच्छी कंपनी का शेयर पिटा हुआ हो यानी ओवरसोल्ड अवस्था में हो तो उसे खरीद लेना चाहिए, क्योंकि उस शेयर में उठने की भरपूर संभावना छिपी होती है। बाजार में ज्यादातर लोग उस शेयर को नकार देते हैं, लेकिन सूक्ष्म दृष्टि वाला ट्रेडर इस बात का आकलन कर लेता है कि कौन सा अच्छा शेयर सस्ते दाम में मिल रहा है। वह भांप लेता है कि कौन सा शेयर फर्श से अर्श का सफर तय करने के लिए तैयार है। ऐसे सौदे में मोटे मुनाफे की संभावना कूट कूट कर भरी होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आप किसी भी पिटे हुए शेयर को आंख बंद करके खरीद लें। इस तरह का शेयर चुनने के लिए काफी ज्ञान, अभ्यास और अनुशासन की जरूरत होती है। बफेट की भाषा में इसे ही कहते हैं जब दूसरे डरें, तब लालची बनना चाहिए। यानी जब ज्यादातर लोग किसी शेयर के पतन से डर कर दूर भाग रहे हों, तब आप उसके लिए लालच दिखाते हैं यानी उसे खरीद लेते हैं।
कोई शेयर कब बेचें (When we sell our Stock)
इसके ठीक विपरीत बफेट के सिद्धांत का अगला चरण है-जब दूसरे लालची बनें तो आप डरिए। इसे भी ऊपर वाले उदाहरण के संदर्भ में समझिए। माना किसी ट्रेडर ने ओवरसोल्ड अवस्था में कोई शेयर सस्ते में खरीदा..जब वह ठीक-ठाक चढ़ जाता है तो आम ट्रेडर्स की नजर उस पर पड़ती है। लोगों को लगता है कि ये उगता हुआ सूरज है, सब उसे सलाम करने लगते हैं। यानी रिटेल ट्रेडर लालच में पड़कर उसे ऊंचे भाव में खरीद करने लगते हैं.लेकिन तब तक सूरज ढलने लगता है..शेयर ओवरबाउट (बहुत ज्यादा और ऊंची कीमत पर खरीद) हालत में पहुंच जाता है। वहां से वह नीचे आने लगता है। बफेट के मुताबिक समझदार ट्रेडर इस स्थिति को भी भांप लेता है, जब दूसरे लोग लालच में पड़कर किसी शेयर को ऊंची कीमत पर खरीद रहे होते हैं तो वह गिरने की संभावना से डर कर बेच देता है। उसका यह दांव भी सही पड़ता है, क्योंकि जहां वह बेचता है, वही उस शेयर का तात्कालिक शिखर होता है।
जोखिम के जख्म से सचेत रहें (Be aware of Risk)
बफेट की इस थ्योरी को अगर सरल शब्दों में कहें तो अच्छा शेयर चुनो, सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचकर निकल लो। कहने सुनने में ये फॉर्मूला बड़ा दिलचस्प और आसान लगता है, लेकिन इसे अमल में लाने में उतना ही कठिन है। वैसे किसी गिरते हुए शेयर को खरीदना उड़ते हुए तीर को पकड़ने जैसा खतरनाक होता है। अगर आपका अनुमान सही है और आपके हाथ में आने तक तीर की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है तो आप तीरंदाज बन जाते हैं वरना घायल होने का भरपूर खतरा रहता है। इसीलिए अगर आप ट्रेडिंग करते हैं जोखिम के जख्म से हमेशा सावधान रहिए।
- हर ट्रेडर को याद रखनी चाहिए बफेट की थ्योरी -‘जब दूसरे लोग लालची बनें तब आप डरिए’ और ‘जब दूसरे लोग डरें तब अब लालची बनिए’
- भीड़ की भेड़चाल से अलग चलना सिखाती है बफेट की थ्योरी
- लालच यानी किसी गिरे हुए शेयर को सस्ते में खरीदने की समझ
- डर यानी किसी बहुत उठे हुए शेयर को ऊंचे भाव में बेचकर निकल जाने का अंदाज
- फर्श से अर्श तक का सफर तय करना सिखाते हैं बफेट
- देखने में आसान.अमल करने में बहुत मुश्किल है यह सिद्धांत और
- जोखिम का आकलन किए बिना कोई फॉर्मूला अपने ऊपर अप्लाई नहीं करें
(कृपया ध्यान दें: इस लेख का उद्देश्य हमारे पाठकों/निवेशकों को जागरूक और जानकार बनाना है। अगर कोई पाठक/निवेशक शेयर बाजार में निवेश करता है, तो वह लाभ या हानि के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा।)
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