यहाँ पर हम बात करेंगे टैलेंट पूल को बेहतर बनाने के लिए कैसे करें नए प्रयोग। कैसे बने एक अच्छे मैनेजर व कैसे चुने अच्छे टैलेंटेड व्यक्तिव वाले स्टाफ मेम्बर को।
मैनेजर नहीं, टीम के कोच बनिए: यदि आप अच्छे कोच नहीं हैं तो एक बेहतर मैनेजर भी नहीं हो सकते। टीम के बेहतर प्रबंधन के लिए अपनी कोचिंग स्किल्स डेवलप कीजिए। टीम मेंबर्स के साथ कोच की तरह बात कीजिए। उनके लक्ष्यों को जानिए। यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि वे मोटिवेट कैसे होते हैं। उनसे पूछिए कि अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वे कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं। अपना फीडबैक दीजिए, लेकिन उन्हें अपना जवाब खुद तलाशने दीजिए। कोई नई ट्रेनिंग लेना चाहता है, तो इसके लिए भी डेडलाइन दीजिए। समय-समय पर उससे फीडबैक भी लेते रहिए। कोई सहकर्मी लगातार एक ही काम करके निराश हो या आगे नहीं बढ़ पा रहा हो, तो उसके संघर्ष को मानिए। प्रोत्साहित कीजिए। उन्हें अपनी बात खुलकर रखने की आजादी दीजिए। अपनी बातें उन पर मत थोपिए, बल्कि तर्क के जरिए सही रास्ता चुनने को प्रेरित कीजिए।
पॉजिटिव एटीट्यूड के लिए सम्मान देना जरूरी: टीम के सदस्यों का पॉजिटिव एटीट्यूड बना रहे, इसके लिए उन्हें सम्मान दें। आमदनी और भौतिक सुविधाओं के अलावा मनुष्य की सबसे बड़ी इच्छा सम्मान पाने की ही होती है। 158 देशों में हुए एक सर्वे में लोगों को वर्कप्लेस पर स्वतंत्रता, सामाजिक सहयोग और सम्मान में से एक का चुनाव करने को कहा गया तो अधिकांश ने सम्मान को चुना। उनका मानना था कि इससे उन्हें अपने महत्व का पता चलता है। साथ ही, संगठन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर पाते हैं।
एक्सपेरिमेंट करने से बेहतर होगा टैलेंट पूल: बड़ी जिम्मेदारियों के लिए पहले से किसी सदस्य को ग्रूम करना अच्छा तरीका है, लेकिन नजरें उन्हीं तक सीमित रखें। गंभीर दिखने वाले टीम के सदस्यों को भी जिम्मेदारियां दें। प्रमोशन के दौरान भी स्वाभाविक उम्मीदवारों के साथ नए लोगों को भी चुनें। किसी खास प्रोजेक्ट में उनकी एक्सपर्टाइज भी हो, लेकिन उनके अनुभव का इस्तेमाल हो सकता है। फाइनेंस स्पेशलाइजेशन वाले एग्जीक्यूटिव को आईटी डिपार्टमेंट में जिम्मेदारी देने जैसे प्रयोग करें। वे चीजों को अलग नजरिये से देखेंगे। लेकिन उनका चुनाव सावधानी से करें। ऐसे लोग ही अपनी एक्सपर्टाइज से अलग कामों में सफल होते हैं जो मजबूत लीडर हों और टीम को अपने बताए रास्ते पर आगे ले जा सकें। ऐसे प्रयोगों से ऑर्गनाइजेशन का टैलेंट पूल बेहतर होगा। साथ ही, बेहतर परफॉर्मेंस वाले सदस्यों के लिए ग्रोथ के मौके भी ज्यादा होंगे।
सिलेक्शन में फॉर्मल एजुकेशन का ध्यान रखें: नए स्टाफ के चुनाव में फॉर्मल एजुकेशन का ध्यान जरूर रखें। कॉग्निटिव स्किल्स भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मौजूदा दौर में जबकि तकनीकी विकास की रफ्तार पहले से धीमी हो रही है, बेहतर एकेडमिक बैकग्राउंड वाले लोगों को हर भूमिका के लिए तैयार करना आसान है। 1980 के दशक में कॉग्निटिव स्किल्स पर ज्यादा जोर था क्योंकि नई तकनीकें सामने आने की रफ्तार तेज थी। आन जॉब ट्रेनिंग के ज्यादा मौके थे। 1980 के बाद से कर्मचारियों के कॉग्निटिव स्किल्स पर फाइनेंशियल रिटर्न भी 30 से 5 फीसदी तक कम हो गया है।
मैनेजर नहीं, टीम के कोच बनिए: यदि आप अच्छे कोच नहीं हैं तो एक बेहतर मैनेजर भी नहीं हो सकते। टीम के बेहतर प्रबंधन के लिए अपनी कोचिंग स्किल्स डेवलप कीजिए। टीम मेंबर्स के साथ कोच की तरह बात कीजिए। उनके लक्ष्यों को जानिए। यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि वे मोटिवेट कैसे होते हैं। उनसे पूछिए कि अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वे कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं। अपना फीडबैक दीजिए, लेकिन उन्हें अपना जवाब खुद तलाशने दीजिए। कोई नई ट्रेनिंग लेना चाहता है, तो इसके लिए भी डेडलाइन दीजिए। समय-समय पर उससे फीडबैक भी लेते रहिए। कोई सहकर्मी लगातार एक ही काम करके निराश हो या आगे नहीं बढ़ पा रहा हो, तो उसके संघर्ष को मानिए। प्रोत्साहित कीजिए। उन्हें अपनी बात खुलकर रखने की आजादी दीजिए। अपनी बातें उन पर मत थोपिए, बल्कि तर्क के जरिए सही रास्ता चुनने को प्रेरित कीजिए।
पॉजिटिव एटीट्यूड के लिए सम्मान देना जरूरी: टीम के सदस्यों का पॉजिटिव एटीट्यूड बना रहे, इसके लिए उन्हें सम्मान दें। आमदनी और भौतिक सुविधाओं के अलावा मनुष्य की सबसे बड़ी इच्छा सम्मान पाने की ही होती है। 158 देशों में हुए एक सर्वे में लोगों को वर्कप्लेस पर स्वतंत्रता, सामाजिक सहयोग और सम्मान में से एक का चुनाव करने को कहा गया तो अधिकांश ने सम्मान को चुना। उनका मानना था कि इससे उन्हें अपने महत्व का पता चलता है। साथ ही, संगठन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर पाते हैं।
एक्सपेरिमेंट करने से बेहतर होगा टैलेंट पूल: बड़ी जिम्मेदारियों के लिए पहले से किसी सदस्य को ग्रूम करना अच्छा तरीका है, लेकिन नजरें उन्हीं तक सीमित रखें। गंभीर दिखने वाले टीम के सदस्यों को भी जिम्मेदारियां दें। प्रमोशन के दौरान भी स्वाभाविक उम्मीदवारों के साथ नए लोगों को भी चुनें। किसी खास प्रोजेक्ट में उनकी एक्सपर्टाइज भी हो, लेकिन उनके अनुभव का इस्तेमाल हो सकता है। फाइनेंस स्पेशलाइजेशन वाले एग्जीक्यूटिव को आईटी डिपार्टमेंट में जिम्मेदारी देने जैसे प्रयोग करें। वे चीजों को अलग नजरिये से देखेंगे। लेकिन उनका चुनाव सावधानी से करें। ऐसे लोग ही अपनी एक्सपर्टाइज से अलग कामों में सफल होते हैं जो मजबूत लीडर हों और टीम को अपने बताए रास्ते पर आगे ले जा सकें। ऐसे प्रयोगों से ऑर्गनाइजेशन का टैलेंट पूल बेहतर होगा। साथ ही, बेहतर परफॉर्मेंस वाले सदस्यों के लिए ग्रोथ के मौके भी ज्यादा होंगे।
सिलेक्शन में फॉर्मल एजुकेशन का ध्यान रखें: नए स्टाफ के चुनाव में फॉर्मल एजुकेशन का ध्यान जरूर रखें। कॉग्निटिव स्किल्स भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मौजूदा दौर में जबकि तकनीकी विकास की रफ्तार पहले से धीमी हो रही है, बेहतर एकेडमिक बैकग्राउंड वाले लोगों को हर भूमिका के लिए तैयार करना आसान है। 1980 के दशक में कॉग्निटिव स्किल्स पर ज्यादा जोर था क्योंकि नई तकनीकें सामने आने की रफ्तार तेज थी। आन जॉब ट्रेनिंग के ज्यादा मौके थे। 1980 के बाद से कर्मचारियों के कॉग्निटिव स्किल्स पर फाइनेंशियल रिटर्न भी 30 से 5 फीसदी तक कम हो गया है।