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शेयर ट्रेडिंग (Share Trading) दुनिया का सबसे अनूठा धंधा (Business) है। अनूठा इस मायने में कि इसमें पूंजी, समय और संसाधनों(Resources) के अलावा एक और चीज की जरूरत होती है। वह है इमोशंस। धंधे में इमोशन (Emotions) सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे क्योंकि व्यापार को दिल नहीं बल्कि दिमाग का खेल माना जाता है लेकिन ट्रेडिंग में यह फॉर्मूला(Formula) नहीं चलता है। शेयर बाजार में कुछ भी निश्चित नहीं है। लेकिन यहां जिस ट्रेडर ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं किया, उसका पिटना सुनिश्चित है।
खतरा बाहर नहीं अंदर (Internal Fears): शेयर ट्रेडिंग की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि खतरा बाहर नहीं अंदर होता है। मतलब यह है कि ट्रेडर खुद अपना सबसे बड़ा दुश्मन होता है। बाहर के दुश्मन से लड़ना आसान है। अंदर वाले से जीतना मुश्किल। अंदर के खतरे का मतलब है- भावनाओं का ज्वार। ज्यादातर खुदरा ट्रेडर इसी ज्वार भाटे में फंस कर अपनी पूंजी गंवा बैठते हैं। आप में से जो लोग इंट्रा डे और शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करते होंगे, उन्हें एहसास होगा कि ट्रेडिंग के दरम्यान इमोशंस पर काबू पाना कितना मुश्किल होता है। इसलिए खतरा भी बाहर नहीं अंदर से रहता है।
ग्रीड एंड फियर फैक्टर (Grid and Fear Factor in Trading): ज्यादातर मामलों में दो बड़े इमोशंस ट्रेडर को झकझोरते हैं-लालच और भय यानी ग्रीड एंड फियर फैक्टर। इन्हीं की वजह से ट्रेडर खुद अपने नियम तोड़ता है। गलतियां करता है और अंत में नुकसान उठाता है। दिलचस्प है कि सिर्फ नए रिटेल ट्रेडर ही नहीं बल्कि प्रोफेशनल ट्रेडर भी ये गलतियां करते देखे जाते हैं। अनुमान है कि अगर आपने इंमोशंस को कंट्रोल करना सीख लिया तो कम से कम 50 फीसदी सौदों में नुकसान से बच सकते हैं।
कैसे मैनेज करें इमोशंस (How to Manage Emotions during Trading Time) : अब सवाल है कि आखिर इमोशंस को मैनेज कैसे किया जाए। आइए हम आपको कुछ सीधे और सरल फंडे बताते हैं। पहला फॉर्मूला - मान लीजिए कि आपने किसी शेयर को खरीदने का फैसला कर लिया है। बस कंप्यूटर पर क्लिक करने की देर है। लेकिन एक मिनट ठहरिए। सोचिए कि आप ये ट्रेड क्यों कर रहे हैं? अगर बंपर प्रॉफिट का लोभ आपको ट्रेडिंग के लिए प्रेरित कर रहा है तो वह ट्रेड बिलकुल मत कीजिए। अगर आपके किसी दोस्त या ब्रोकर या टिप्स एजेंसी ने कहा हो कि ये सौदा आंख बंद कर के कर लो, इसमें फायदा ही फायदा है। फिर भी आप उस सौदे से बचिए। क्योंकि उस सौदे का प्रेरक तत्व लालच है, तकनीकी विेशलेषण नहीं।
प्रॉफिट का नियम यह कि प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचें (Profit Rule to Gain): ट्रेडिंग में प्रॉफिट का नियम है कि आप प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचें। आप इस बात का विश्लेषण करें कि बाजार की मौजूदा स्थिति में वह सौदा करना चाहिए या नहीं। आप इस बात पर गौर करें कि टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटर्स उस शेयर के लिए ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं या नहीं ? जिस शेयर को आप खरीदने जा रहे हैं, उस सेक्टर की कैसी ग्रोथ है। क्या एफआईआई और डीआईआई उस शेयर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि अगर किसी शेयर में एफआईआई या बड़े म्युचुअल फंड की खरीद होती है तो वो दनदना कर ऊपर चढ़ जाता है। सौदा फाइनल करने से पहले आपको ये भी देखना चाहिए कि किसी विशेष स्टॉक्स में कितना ओपन इंटेरेस्ट है। क्या वह शेयर अपने मूविंग एवरेज से ऊपर बंद हुआ है या नीचे। उसमें कितने फीसदी सौदे डिलिवरी के हुए हैं और कितने सौदे इंट्रा डे के। कहीं उस शेयर को लेकर कोई न्यूज तो नहीं आने वाली है? क्या उसका क्वार्टरली रिजल्ट तो नहीं आने वाला है?
सतर्क रहें रिटेल ट्रेडर (Be Alert Retails Traders): वैसे ये भी सच है कि रिटेल ट्रेडर्स के लिए इनमें से कुछ बातों का सही-सही आकलन करना मुश्किल है। मसलन- किसी स्टॉक में कोई न्यूज आने वाली है या नहीं, इसका पता लगाना आसान नहीं है। अक्सर देखा गया है कि जब तक रिटेल ट्रेडर को कोई न्यूज पता लगती है, उस वक्त तक उसका 80 फीसदी असर खत्म हो चुका होता है। जैसे अगर सरकार चीनी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दे तो उससे देश के चीनी उद्योग को फायदा मिलेगा। शुगर कंपनियों के शेयर उछल जाएंगे। लेकिन दिक्कत ये है कि जब तक यह खबर हम और आप तक पहुंचती है, उससे पहले ही बड़े निवेशक और ट्रेडर, एफआईआई, डीआईआई इस खबर को भुनाकर सौदे कर चुके होते हैं, यानी मलाई वे खा जाते हैं और खुरचन रिटेल ट्रेडर को मिलती है। इसलिए मेरी सलाह है कि न्यूज के आधार पर ट्रेड करते समय बहुत सावधान रहिए। इस बात को अच्छी तरह देख परख लीजिए कि वह न्यूज कब आई थी, और बाजार पर उसका कितना असर हो चुका है। इसी तरह किसी कंपनी का रिजल्ट आते वक्त भी उसके शेयर में बड़े उतार चढ़ाव की गुंजाइश रहती है। आपको एक दिन में छह-सात फीसदी का फायदा हो सकता है तो उतना ही तगड़ा नुकसान भी। इसलिए बेहतर होगा कि नए ट्रेडर रिजल्ट के दिन उस स्टॉक में ट्रेडिंग करने से बचें। अगर आप इन सब तत्वों का विेषण करने के बाद सौदा फाइनल करेंगे तो भारी घाटे के दलदल में नहीं फंसेंगे।
- प्रॉफिट चाहिए तो शर्तिया तौर पर प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचें
- टेक्निकल एनॉलिसिस और शेयर के प्राइस मूवमेंट को समझें
- अगर हानि के बारे में सोच कर ट्रेड करेंगे तो घाटे का खतरा कम रहेगा
- ट्रेडर को हमेशा अपने इमोशंस पर पूरी तरह कंट्रोल रखना चाहिए
- लालच और भय- ट्रेडर के दो सबसे बड़े दुश्मन हैं
- न्यूज व रिजल्ट पर बेस्ड ट्रेडिंग करते समय ज्यादा सावधानी बरतें
- निरंतर अपनी ट्रेडिंग स्टाइल की समीक्षा ईमानदारी से करते रहें
शेयर ट्रेडिंग (Share Trading) दुनिया का सबसे अनूठा धंधा (Business) है। अनूठा इस मायने में कि इसमें पूंजी, समय और संसाधनों(Resources) के अलावा एक और चीज की जरूरत होती है। वह है इमोशंस। धंधे में इमोशन (Emotions) सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे क्योंकि व्यापार को दिल नहीं बल्कि दिमाग का खेल माना जाता है लेकिन ट्रेडिंग में यह फॉर्मूला(Formula) नहीं चलता है। शेयर बाजार में कुछ भी निश्चित नहीं है। लेकिन यहां जिस ट्रेडर ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं किया, उसका पिटना सुनिश्चित है।
खतरा बाहर नहीं अंदर (Internal Fears): शेयर ट्रेडिंग की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि खतरा बाहर नहीं अंदर होता है। मतलब यह है कि ट्रेडर खुद अपना सबसे बड़ा दुश्मन होता है। बाहर के दुश्मन से लड़ना आसान है। अंदर वाले से जीतना मुश्किल। अंदर के खतरे का मतलब है- भावनाओं का ज्वार। ज्यादातर खुदरा ट्रेडर इसी ज्वार भाटे में फंस कर अपनी पूंजी गंवा बैठते हैं। आप में से जो लोग इंट्रा डे और शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करते होंगे, उन्हें एहसास होगा कि ट्रेडिंग के दरम्यान इमोशंस पर काबू पाना कितना मुश्किल होता है। इसलिए खतरा भी बाहर नहीं अंदर से रहता है।
ग्रीड एंड फियर फैक्टर (Grid and Fear Factor in Trading): ज्यादातर मामलों में दो बड़े इमोशंस ट्रेडर को झकझोरते हैं-लालच और भय यानी ग्रीड एंड फियर फैक्टर। इन्हीं की वजह से ट्रेडर खुद अपने नियम तोड़ता है। गलतियां करता है और अंत में नुकसान उठाता है। दिलचस्प है कि सिर्फ नए रिटेल ट्रेडर ही नहीं बल्कि प्रोफेशनल ट्रेडर भी ये गलतियां करते देखे जाते हैं। अनुमान है कि अगर आपने इंमोशंस को कंट्रोल करना सीख लिया तो कम से कम 50 फीसदी सौदों में नुकसान से बच सकते हैं।
कैसे मैनेज करें इमोशंस (How to Manage Emotions during Trading Time) : अब सवाल है कि आखिर इमोशंस को मैनेज कैसे किया जाए। आइए हम आपको कुछ सीधे और सरल फंडे बताते हैं। पहला फॉर्मूला - मान लीजिए कि आपने किसी शेयर को खरीदने का फैसला कर लिया है। बस कंप्यूटर पर क्लिक करने की देर है। लेकिन एक मिनट ठहरिए। सोचिए कि आप ये ट्रेड क्यों कर रहे हैं? अगर बंपर प्रॉफिट का लोभ आपको ट्रेडिंग के लिए प्रेरित कर रहा है तो वह ट्रेड बिलकुल मत कीजिए। अगर आपके किसी दोस्त या ब्रोकर या टिप्स एजेंसी ने कहा हो कि ये सौदा आंख बंद कर के कर लो, इसमें फायदा ही फायदा है। फिर भी आप उस सौदे से बचिए। क्योंकि उस सौदे का प्रेरक तत्व लालच है, तकनीकी विेशलेषण नहीं।
प्रॉफिट का नियम यह कि प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचें (Profit Rule to Gain): ट्रेडिंग में प्रॉफिट का नियम है कि आप प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचें। आप इस बात का विश्लेषण करें कि बाजार की मौजूदा स्थिति में वह सौदा करना चाहिए या नहीं। आप इस बात पर गौर करें कि टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटर्स उस शेयर के लिए ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं या नहीं ? जिस शेयर को आप खरीदने जा रहे हैं, उस सेक्टर की कैसी ग्रोथ है। क्या एफआईआई और डीआईआई उस शेयर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि अगर किसी शेयर में एफआईआई या बड़े म्युचुअल फंड की खरीद होती है तो वो दनदना कर ऊपर चढ़ जाता है। सौदा फाइनल करने से पहले आपको ये भी देखना चाहिए कि किसी विशेष स्टॉक्स में कितना ओपन इंटेरेस्ट है। क्या वह शेयर अपने मूविंग एवरेज से ऊपर बंद हुआ है या नीचे। उसमें कितने फीसदी सौदे डिलिवरी के हुए हैं और कितने सौदे इंट्रा डे के। कहीं उस शेयर को लेकर कोई न्यूज तो नहीं आने वाली है? क्या उसका क्वार्टरली रिजल्ट तो नहीं आने वाला है?
सतर्क रहें रिटेल ट्रेडर (Be Alert Retails Traders): वैसे ये भी सच है कि रिटेल ट्रेडर्स के लिए इनमें से कुछ बातों का सही-सही आकलन करना मुश्किल है। मसलन- किसी स्टॉक में कोई न्यूज आने वाली है या नहीं, इसका पता लगाना आसान नहीं है। अक्सर देखा गया है कि जब तक रिटेल ट्रेडर को कोई न्यूज पता लगती है, उस वक्त तक उसका 80 फीसदी असर खत्म हो चुका होता है। जैसे अगर सरकार चीनी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दे तो उससे देश के चीनी उद्योग को फायदा मिलेगा। शुगर कंपनियों के शेयर उछल जाएंगे। लेकिन दिक्कत ये है कि जब तक यह खबर हम और आप तक पहुंचती है, उससे पहले ही बड़े निवेशक और ट्रेडर, एफआईआई, डीआईआई इस खबर को भुनाकर सौदे कर चुके होते हैं, यानी मलाई वे खा जाते हैं और खुरचन रिटेल ट्रेडर को मिलती है। इसलिए मेरी सलाह है कि न्यूज के आधार पर ट्रेड करते समय बहुत सावधान रहिए। इस बात को अच्छी तरह देख परख लीजिए कि वह न्यूज कब आई थी, और बाजार पर उसका कितना असर हो चुका है। इसी तरह किसी कंपनी का रिजल्ट आते वक्त भी उसके शेयर में बड़े उतार चढ़ाव की गुंजाइश रहती है। आपको एक दिन में छह-सात फीसदी का फायदा हो सकता है तो उतना ही तगड़ा नुकसान भी। इसलिए बेहतर होगा कि नए ट्रेडर रिजल्ट के दिन उस स्टॉक में ट्रेडिंग करने से बचें। अगर आप इन सब तत्वों का विेषण करने के बाद सौदा फाइनल करेंगे तो भारी घाटे के दलदल में नहीं फंसेंगे।