ठंडा मतलब...। विज्ञापन के ये चंद शब्द सुनते ही फौरन हमारे दिमाग में कोल्डड्रिंक की तस्वीर बन जाती है। यह विज्ञापन का ही कमाल है कि अब ग्राहक दुकानदार से अकसर कोल्डड्रिंक या ब्रांड के नाम की बजाय ‘ठंडा’ बोल पड़ते हैं। आज अमूमन हर कंपनी टीवी, अखबार, वेबसाइट, रेडियो, इंटरनेट, एसएमएस आदि के जरिए अपने उत्पादों का एडवरटाइजमेंट देती है। इन विज्ञापनों को बनाने वाली एड एजेंसियों में कई प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होती है। यहां कैरियर के नजरिए से कई रास्ते हैं, जिनमें भविष्य संवारने के लिए अलग-अलग स्किल्स चाहिए।
क्लाइंट सर्विसिंग (Client Services): यह विभाग विज्ञापन एजेंसी और क्लाइंट के बीच बतौर लिंक काम करता है। वह क्लाइंट की जरूरतें एजेंसी तक पहुंचाता है और एजेंसी के आइडियाज को क्लाइंट तक । इस विभाग में अकाउंट मैनेजर को बाजार, उपभोक्ता, क्लाइंट और उसके बिजनेस के बारे में अच्छा ज्ञान होना चाहिए। साथी ही कम्युनिकेशन, लीडरशिप और तमाम बिजनेस स्किल्स भी होना आवश्यक है। कई बार यहां के लिए स्नातक और एमबीए की योग्यता भी मांगी जाती है।
अकाउंट प्लानिंग (Account Planning): उपभोक्ता किस चीज केप्रति आकर्षित होता है, वह क्या सोचता है, कैसे व्यवहार करता है और इन बातों का मार्केट के नजरिए से कैसे प्रयोग किया जाए, इन सभी बातों का विश्लेषण कर रणनीति बनाना इसी विभाग का काम होता है। दरअसल अकाउंट प्लानर मार्केट रिसर्चर द्वारा एकत्रित आंकड़ं, उपभोक्ताओं के मनोविज्ञान, सेल्स रिपोर्ट्स और ब्रांड वैल्यू के आधार पर प्लानिंग करता है।
क्रिएटिव वर्क (Creative Work): कमर्शियल्स और विज्ञापन के लिए आइडियाज यही विभाग निकालता है। उत्पाद की खासियत ग्राहक तक कैसे पहुंचाई जाए, यह इसका मुख्य कार्य होता है। एक जूनियर कंटेट राइटर प्रिंट विज्ञापन के लिए सामग्री लिखने के अलावा उसका संपादन और प्रूफ रीडिंग भी करता है। नए प्रोडक्ट के लिए आइडिया देना, ब्रांड का नाम स्थापित करना और रेडियो एवं टीवी के लिए स्क्रिप्ट लिखने जैसे काम यही लोग करते हैं। क्रिएटिविटी यहां की पहली और आखिरी योग्यता है। एक जूनियर विजुअलाइजर विज्ञापन के विजुअल कॉन्सेप्ट, डिजाइन, फोटो सेशन और फिल्मिंग का निरीक्षण करता है। इसके लिए फोटोशॉप, कोरल ड्रा, पेजमेकर आदि ड्राइंग सॉफ्टवेयर का ज्ञान होना जरूरी है।
फोटोग्राफर व टाइपोग्राफर (Photographer and Typographer): किसी एड की फोटोग्राफी, उसकी लाइटिंग, एंगल आदि तय करना फोटोग्राफरों का काम है। टाइपोग्राफर फॉन्ट के चुनाव, स्पेसिंग, लाइंस से संबंधित काम करता है।
मार्केट रिसर्च (Market Research): ये लोग इंटरव्यू, अप्रत्यक्ष रिसर्च, प्रोडक्ट का प्रयोग और सेल्स से जुड़ अहम तथ्यों का अध्ययन करते हैं। इस लाइन में असिस्टेंट रिसर्च एग्जीक्यूटिव से शुरुआत होती है जिसका काम होता है डाटा इकट्ठा करना और रिसर्च प्रोजेक्ट में मदद करना। इस संबंध में ललित कुमार, जनरल मैनेजर, शीना एडवरटाइजिंग कहते हैं, ‘बीबीए/एमबीए और स्टैटिस्टिक्स/ऑपरेशन्स में डिगरीधारक को यहां प्राथमिकता मिल सकती है।’

यहां भी हैं मौके (Where are the opportunities In Ad Business): एडवरटाइजिंग एजेंसी के अलावा और भी बहुत से क्षेत्र हैं जहां एडवरटाइजिंग प्रोफेशनल्स को रोजगार मिल सकता है। इनमें मुख्य हैं- विभिन्न कंपनियों के एडवरटाइजिंग विभाग, अखबार, पत्रिकाओं आदि के विज्ञापन विभाग, टेलीविजन चैनल और रेडियो स्टेशन, वेबसाइट, मार्केट रिसर्च से जुड़ संस्थाएं आदि। बतौर फ्रीलांस कॉपीराइटर और विजुअलाइजर भी काम किया जा सकता है।
कैसे बनाएं राह (How to Make Career in Ad Market)
अगर विद्यार्थी 12वीं पास करने के बाद ही इस फील्ड में प्रवेश करना चाहते हैं तो उन्हें बैचलर्स इन मास कम्युनिकेशन चुनना चाहिए। गे्रजुएशन के बाद इसमें स्पेशलाइजेशन के लिए पीजी डिप्लोमा किया जा सकता है। 12वीं के बाद इसमें सीधे विशेषज्ञता हासिल करने के लिए पाठक्रम बहुत कम हैं। आईआईएम समेत देश के विभिन्न मैनेजमेंट संस्थानों से अकाउंट मैनेजमेंट कोर्स करके किसी विज्ञापन एजेंसी में बतौर एडवरटाइजिंग अकाउंट मैनेजर या फाइनेंशियल एडवाइजर काम किया जा सकता है।
प्रमुख संस्थान (Main Ad Institutions)
- महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली
- http://mjpru.ac.in
- नेशनल इंस्टीटूट ऑफ एडवरटाइजिंग, नई दिल्ली
- Website: www.niaindia.org
- इंडियन इंस्टीटूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
- Website: www.iimc.nic.in
- मुद्रा इंस्टीटूट ऑफ कम्युनिकेशन्स, अहमदाबाद
- Website: www.mica-india.net
- जेवियर इंस्टीटूट ऑफ कम्युनिकेशन्स, मुंबई
- Website: www.xaviercomm.org
एड इंडस्ट्री के दिनोदिन फैलते दायरे के बीच अब बहुत से ऐसे प्रोफेशन्स विकसित हुए हैं जहां आप रोजगार तलाश सकते हैं, बशर्ते आप क्रिएटिविटी और रोज कुछ नया करने के जुनून से भरपूर हों।