फिटनेस के लिए सिर्फ संतुलित खान-पान और एक्सरसाइज ही जरूरी नहीं है। रुटीन हेल्थ चेकअप भी सेहतमंद जिंदगी का अहम हिस्सा है। रुटीन हेल्थ चेकअप के दौरान डॉक्टर को मरीज की कलाई, गले, आंखों, पेट और घुटने की स्थिति के जरिए कई तरह की तकलीफों के बारे में पता लगाने में काफी मदद मिलती है।
कलाई से जांच: एक हाथ से मरीज की अंदरूनी कलाई पर उंगलियां रखना और दूसरे से अपने हाथ की घड़ी देखते हुए डॉक्टर आपके रक्तचाप, शरीर के तापमान और हृदय का हालचाल समझने की कोशिश करता है।
गले के साइड में पल्स: गले के साइड से जाती नस में होने वाली धड़कन भी आपके दिल की धड़कनों जैसी ही है। उससे भी पल्स रेट चेक की जाती है। कभी-कभी हाथ में पल्स इतनी मंद होती हंै कि पकड़ में नहीं आती। ऐसे में इससे क्रॉस चेक किया जाता है।
मुंह खोलकर देखना: जब डॉक्टर आपको मुंह खोलकर ‘आ’ कहने का संकेत देता है तो वह मुंह व गले के अंदर रंग की समानता को देखता है। ओरल कैंसर के शुरुआती लक्षणों में यह भी एक होता है। जब आप ‘आ’ का स्वर निकालते हैं तो गले के आखिर में बनी घंटीनुमा संरचना व तालू में एक साथ हलचल होती है।
आंखों में देखना: आंखों के नीचे के हिस्से को देखकर डॉक्टर खून की कमी के बारे में जानने की कोशिश करता है। आंखों की पुतली में सीधी रोशनी डाली जाती है। अगर पुतली इस पर फैलती नहीं है तो मस्तिष्क के स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।
पेट दबाना : पेट दबाकर देखा जाता है कि किसी अंदरूनी अंग में सूजन तो नहीं है। उसे थपथपाकर जानते हैं कि कोई अंग सूजकर आकार में बड़ा हो गया है या नहीं। उस अंग पर थपथपाने पर आवाज थोड़ी धीमी आती है और दूर जाने पर बदलती जाती है। गहरी सांसें लेते वक्त पेट के नीचे भाग में स्थित डायफ्राम उठता-गिरता है। इस तरह अंग में कितनी सूजन है, अंदाजा आसानी से लग जाता है।
जोर से सांस लीजिए: जब डॉक्टर स्टेथिस्कोप को पीठ पर लगाकर जोर से सांस लेने को कहते हैं तो इससे यह जानने में मदद मिलती है कि फेफड़ों में कोई इंफेक्शन तो नहीं है।
घुटनों पर हथौड़ा: घुटनों पर हल्का सा हिट करके डॉक्टर आपके तंत्रिका तंत्र की सेहत का पता लगाता है। अगर घुटना न हिले, तो इसका मतलब है कि कोई स्नायु डैमेज है। इस तरह आगे फालिज जैसे खतरे को रोका जा सकता है।
कलाई से जांच: एक हाथ से मरीज की अंदरूनी कलाई पर उंगलियां रखना और दूसरे से अपने हाथ की घड़ी देखते हुए डॉक्टर आपके रक्तचाप, शरीर के तापमान और हृदय का हालचाल समझने की कोशिश करता है।
गले के साइड में पल्स: गले के साइड से जाती नस में होने वाली धड़कन भी आपके दिल की धड़कनों जैसी ही है। उससे भी पल्स रेट चेक की जाती है। कभी-कभी हाथ में पल्स इतनी मंद होती हंै कि पकड़ में नहीं आती। ऐसे में इससे क्रॉस चेक किया जाता है।
मुंह खोलकर देखना: जब डॉक्टर आपको मुंह खोलकर ‘आ’ कहने का संकेत देता है तो वह मुंह व गले के अंदर रंग की समानता को देखता है। ओरल कैंसर के शुरुआती लक्षणों में यह भी एक होता है। जब आप ‘आ’ का स्वर निकालते हैं तो गले के आखिर में बनी घंटीनुमा संरचना व तालू में एक साथ हलचल होती है।
आंखों में देखना: आंखों के नीचे के हिस्से को देखकर डॉक्टर खून की कमी के बारे में जानने की कोशिश करता है। आंखों की पुतली में सीधी रोशनी डाली जाती है। अगर पुतली इस पर फैलती नहीं है तो मस्तिष्क के स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।
पेट दबाना : पेट दबाकर देखा जाता है कि किसी अंदरूनी अंग में सूजन तो नहीं है। उसे थपथपाकर जानते हैं कि कोई अंग सूजकर आकार में बड़ा हो गया है या नहीं। उस अंग पर थपथपाने पर आवाज थोड़ी धीमी आती है और दूर जाने पर बदलती जाती है। गहरी सांसें लेते वक्त पेट के नीचे भाग में स्थित डायफ्राम उठता-गिरता है। इस तरह अंग में कितनी सूजन है, अंदाजा आसानी से लग जाता है।
जोर से सांस लीजिए: जब डॉक्टर स्टेथिस्कोप को पीठ पर लगाकर जोर से सांस लेने को कहते हैं तो इससे यह जानने में मदद मिलती है कि फेफड़ों में कोई इंफेक्शन तो नहीं है।
घुटनों पर हथौड़ा: घुटनों पर हल्का सा हिट करके डॉक्टर आपके तंत्रिका तंत्र की सेहत का पता लगाता है। अगर घुटना न हिले, तो इसका मतलब है कि कोई स्नायु डैमेज है। इस तरह आगे फालिज जैसे खतरे को रोका जा सकता है।