ग्रुप डिस्कशन (जीडी) में छात्रों को ग्रुप में बांट दिया जाता है, जिन्हें दिए गए किसी टॉपिक पर बहस करना होता है। टॉपिक मिलने के बाद कुछ मिनट का समय छात्रों को सोचने के लिए दिया जाता है और फिर डिस्कशन की शुरुआत होती है जो करीब 20 से 30 मिनट चलता है। इसके तहत जानकारी के साथ-साथ छात्र की पर्सनैलिटी का आकलन किया जाता है। जीडी में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है :
- इसमें आपकी नेतृत्व क्षमता को आंका जाता है। इसलिए आपके व्यवहार में ऐसा नजर आना चाहिए। डिस्कशन के दौरान आपको हमेशा लीड करने की कोशिश करनी चाहिए।
- लिखित परीक्षा के बाद ही ग्रुप डिस्कशन की तैयारी शुरू कर दें। कॉल लेटर का इंतजार न करें। सम-सामयिक जानकारी से लैस रहें। जब टॉपिक दिया जाए तो फटाफट उस पर विचार कर उस विषय का एक खाका तैयार कर लें।
- अपने आइडिया को लेकर बिल्कुल स्पष्ट रहें। इस दौरान गलत आंकड़े नहीं पेश करें।
- अपनी कम्युनिकेशन स्किल पर ध्यान दें। जो भी कहें, नाप-तौल कर कहें, ताकि प्रभावशाली ढंग से आपकी बात पेश हो सके। रुक-रुककर या सहमे हुए अंदाज में बात न करें।
- दूसरे क्या कह रहे हैं, इस बात भी ध्यान रखें। उनकी बातों को समझकर ही आप बेहतर ढंग से तर्क-वितर्क कर सकते हैं।
- जो भी कहें, पूरे ग्रुप के लिए, न कि किसी खास व्यक्ति के लिए। पर्सनल रिमार्क के लिए यहां कोई जगह नहीं होती है।
- ग्रुप डिस्कशन में व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर कुछ भी न कहें। आपका जो भी जवाब हो, तार्किक ढंग से पेश करें।
- अपने प्वॉइंट्स रखते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि कोई दूसरा आपसे भी महत्वपूर्ण ढंग से अपने तर्क रख सकता है। अपने आइडिया का स्वरूप थोड़ा लचीला रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर आप अपने प्वॉइंट्स से थोड़ा इधर-उधर भी हो सकें।
- इस दौरान बॉडी लैंग्वेज भी ठीक होनी चाहिए। पैर हिलाना, नाखून काटना, हाथ बांध कर बैठना, हाथ में पेन हिलाना आदि काम न करें।
- मैनेजमेंट या अन्य संस्थानों में दाखिले के लिए छात्रों को ग्रुप डिस्कशन में भी शामिल होना पड़ता है, जो अंतिम चयन का महत्वपूर्ण आधार है।