अगर आप किसी को पैसा भेजना चाहते हैं, मनी ऑर्डर या बैंक में जाकर खाते में पैसा डालने से भी तेज तरीका है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी आरटीजीएस। यह बैंक के जरिये पैसे ट्रांसफर करने का सबसे तेज तरीका है। यह सुविधा सभी बैंकों की हर ब्रांच में नहीं होती है। कुछ ब्रांचों में ही होती है। ट्रांसफर का समय सोमवार से शुक्रवार सुबह 9 बजे से दोपहर बाद 3 बजे तक और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर बाद 2 बजे तक। पैसे भेजे जाने के दो घंटे के अंदर उसके अकाउंट में पैसा आ जाता है, जिसे पैसे भेजे गए हैं।
आरटीजीएस में कम-से-कम कितने रूपये ट्रान्सफर होते हैं?
कम-से-कम 2 लाख रुपये की रकम इस तरीके से ट्रांसफर की जा सकती है। अधिकतम रकम की कोई सीमा नहीं है। 2 लाख से कम रकम ट्रांसफर करने के लिए एनईएफटी तरीका अपनाया जा सकता है।
आरटीजीएस में कितना खर्च आता है?
2 लाख से 5 लाख रुपये तक: प्रति ट्रांजैक्शन 30 रुपये और 5 लाख से ज्यादा: प्रति ट्रांजैक्शन 55 रुपये।
कैसे जाता है पैसा: जैसे ही भेजने वाला आरटीजीएस इंस्ट्रक्शन स्लिप भरता है, भेजने वाला बैंक अपने सेंट्रल प्रॉसेसिंग सिस्टम में सभी डिटेल फीड कर देता है। इसके जरिये सभी जरूरी सूचनाएं आरबीआई को भेज दी जाती हैं। आरबीआई के ट्रांजैक्शन पूरा करते ही भेजने वाले बैंक के खाते से पैसा कट जाता है और जिस बैंक को भेजा गया है, उसमें क्रेडिट हो जाता है। इसके बाद एक यूनीक ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) आता है, जिसे आरबीआई पैसा भेजने वाले बैंक को भेज देता है। अब भेजने वाला बैंक इसकी सूचना रिसीव करने वाले बैंक को भेज देता है। बैंक यह सूचना मिलते ही बैंक अपने खाताधारक के खाते में पैसा ट्रांसफर कर देता है।
आरटीजीएस में कम-से-कम कितने रूपये ट्रान्सफर होते हैं?
कम-से-कम 2 लाख रुपये की रकम इस तरीके से ट्रांसफर की जा सकती है। अधिकतम रकम की कोई सीमा नहीं है। 2 लाख से कम रकम ट्रांसफर करने के लिए एनईएफटी तरीका अपनाया जा सकता है।
आरटीजीएस में कितना खर्च आता है?
2 लाख से 5 लाख रुपये तक: प्रति ट्रांजैक्शन 30 रुपये और 5 लाख से ज्यादा: प्रति ट्रांजैक्शन 55 रुपये।
कैसे जाता है पैसा: जैसे ही भेजने वाला आरटीजीएस इंस्ट्रक्शन स्लिप भरता है, भेजने वाला बैंक अपने सेंट्रल प्रॉसेसिंग सिस्टम में सभी डिटेल फीड कर देता है। इसके जरिये सभी जरूरी सूचनाएं आरबीआई को भेज दी जाती हैं। आरबीआई के ट्रांजैक्शन पूरा करते ही भेजने वाले बैंक के खाते से पैसा कट जाता है और जिस बैंक को भेजा गया है, उसमें क्रेडिट हो जाता है। इसके बाद एक यूनीक ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) आता है, जिसे आरबीआई पैसा भेजने वाले बैंक को भेज देता है। अब भेजने वाला बैंक इसकी सूचना रिसीव करने वाले बैंक को भेज देता है। बैंक यह सूचना मिलते ही बैंक अपने खाताधारक के खाते में पैसा ट्रांसफर कर देता है।