संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के कार्य व अधिकार (Rights and Work): अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखना इस परिषद् की मुख्य जिम्मेदारी है। इसे अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने के अलावा विवादों की जांच व उनका निपटारा और आक्रमणकारी देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का अधिकार है। यह शांति कार्यक्रम भी चलाता है। महासभा के अलावा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के जजों का चुनाव करना भी इसका काम है। यूएन चार्टर सदस्यों के स्थान पर सुरक्षा परिषद् को निर्णय लेने की इजाजत भी देता है।
सदस्यता (Membership of United Nations Security Council): इसमें 15 सदस्य होते हैं- पांच स्थायी और 10 अस्थायी। पांच स्थायी सदस्य हैं - अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस। प्रत्येक सदस्य का एक वोट होता है। प्रक्रिया संबंधी मामलों के निर्णय के लिए 15 में से 9 सदस्यों द्वारा सकारात्मक मतदान आवश्यक होता है, जिसमें पांचों स्थायी सदस्य देशों का सकारात्मक मत जरूरी है। हर साल पांच सदस्य बदलते हैं। भारत 9 बार अस्थायी सदस्य बन चुका है।
वीटो (What is Vito Power):पांच स्थायी सदस्यों को वीटो (निषेधाधिकार) का अधिकार प्राप्त है। यदि कोई स्थायी सदस्य किसी निर्णय से सहमत नहीं है, तो वह नकारात्मक मतदान करके अपने वीटो के अधिकार का उपयोग कर सकता है। इस स्थिति में 15 में 14 सदस्य देशों के समर्थन के बावजूद प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होते हैं। सुरक्षा परिषद् में वीटो अधिकारप्राप्त और ताकतवर देशों का पलड़ा भारी रहा है। ये देश अपने रणनीतिक उद्देश्यों के लिए इनका इस्तेमाल करते आए हैं। यही कारण है कि सुरक्षा परिषद् में कई सुधारों की मांग की जा रही है।
सुधार का प्रस्ताव (Improvement and Offers):विभिन्न देशों द्वारा सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्य संख्या बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। स्थायी सदस्यता पर जी-4 देश (जर्मनी, भारत, जापान व ब्राजील) पिछले कई सालों से दावा करते आ रहे हैं, जबकि पाकिस्तान जैसे कई देश इस दावे पर एतराज जताते आए हैं।