आज के समय में इंटरनेट के बिना काम करना काफी मुश्किल है। मगर कुछ मुश्किलें ऐसी भी हैं, जो इंटरनेट के जरिये काम करने के दौरान अक्सर सामने आती हैं। इन्हीं में से एक है स्पैम मेल। इंटरनेट पर हर रोज करोड़ों मेल भेजी और रिसीव की जाती है। उनमें से ज्यादातर स्पैम मेल होती हैं, जो अपने आप मेल में आ जाती हैं। अक्सर इस तरह के मेल्स में कंपनियों के ऑफर या विज्ञापन होते हैं। लेकिन बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, इन अनचाहे मेल्स के साथ कुछ अनजानी परेशानियां भी साथ आती हैं, जिनसे बचना जरूरी है। सिक्योरिटी और डाटा प्रोटेक्शन के समाधान मुहैया कराने वाली वैश्विक कंपनी सोफोज की हाल ही में जारी की गई सिक्योरिटी थ्रेट रिपोर्ट 2013 भी इसी तरफ इशारा करती है।
क्या है स्पैम ईमेल (What is Spam Email)?
स्पैम को जंक मेल या अनसोलिसिटेड बल्क मेल (यूबीई) (Unsolicited Bulk Mail UBI) के नाम से भी जाना जाता है। स्पैमर्स अपनी इच्छा के मुताबिक ईमेल के जरिये एक ही समय में एक साथ कई लोगों को स्पैम ईमेल भेजते हैं। इसके लिए वे चैटरूम्स, वेबसाइटों, कस्टमर लिस्ट, न्यूजग्रुप से ईमेल एड्रेस इकट्ठा कर एड्रेस बुक बनाते हैं। इसे वे दूसरे स्पैमर्स को बेचते भी हैं। इस तरह वे ईमेल एड्रेस को टारगेट करते हैं। जितने भी ईमेल भेजे जाते हैं, उनमें करीब 78 प्रतिशत स्पैम होते हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट: इस रिपोर्ट के मुताबिक स्पैम यानी जंक मेल फैलाने वाले देशों की सूची में भारत पहले स्थान पर है। भारतीय इंटरनेट उपभोक्ता सबसे अधिक 12.19 प्रतिशत स्पैम मेल भेज रहे हैं। स्पैम मेल भेजने वाले 12 शीर्ष देशों की सूची में अमेरिका 7.06 प्रतिशत के साथ दूसरे नबंर पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन के इंटरनेट उपभोक्ता केवल 2.73 प्रतिशत स्पैम मेल बनाते हैं। वह इस सूची में 12वें नंबर पर है। जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान 2.95 प्रतिशत के साथ इस सूची में नौवें नंबर पर है। इस रिपोर्ट की मानें तो मॉलवेयर अटैक यानी सॉफ्टवेयर के जरिये कंप्यूटर सिस्टम पर हमले के लिहाज से सबसे खतरनाक देशों की सूची में हमारा देश छठे स्थान पर है। वेबसाइटों के जरिये 2012 में भारत में 15.88 प्रतिशत वायरस के सफल या असफल अटैक हुए। इस तरह के खतरे वाले देशों में इंडोनेशिया पहले नंबर पर है तो चीन दूसरे नंबर पर।
क्या कहती है रिपोर्ट: इस रिपोर्ट के मुताबिक स्पैम यानी जंक मेल फैलाने वाले देशों की सूची में भारत पहले स्थान पर है। भारतीय इंटरनेट उपभोक्ता सबसे अधिक 12.19 प्रतिशत स्पैम मेल भेज रहे हैं। स्पैम मेल भेजने वाले 12 शीर्ष देशों की सूची में अमेरिका 7.06 प्रतिशत के साथ दूसरे नबंर पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन के इंटरनेट उपभोक्ता केवल 2.73 प्रतिशत स्पैम मेल बनाते हैं। वह इस सूची में 12वें नंबर पर है। जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान 2.95 प्रतिशत के साथ इस सूची में नौवें नंबर पर है। इस रिपोर्ट की मानें तो मॉलवेयर अटैक यानी सॉफ्टवेयर के जरिये कंप्यूटर सिस्टम पर हमले के लिहाज से सबसे खतरनाक देशों की सूची में हमारा देश छठे स्थान पर है। वेबसाइटों के जरिये 2012 में भारत में 15.88 प्रतिशत वायरस के सफल या असफल अटैक हुए। इस तरह के खतरे वाले देशों में इंडोनेशिया पहले नंबर पर है तो चीन दूसरे नंबर पर।
कैसे रोका जा सकता है? (How to stop and Be aware about Junk Email):
इस सवाल के जवाब में आईटी विशेषग्यो का कहना है कि स्पैम को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन इंटरनेट यूजर्स स्पैम मेल्स को मार्क कर इस पर कुछ हद तक काबू पा सकते हैं। स्पैम मेल को खोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यदि आपने इसे खोलने की कोशिश की तो फिर आप इसके जाल में फंस सकते हैं और वे बार-बार आपको ईमेल भेजकर परेशान करते रहेंगे। हालाँकि विश्व की जनिमानी कम्पनी जीमेल ने तो अब स्पैम मेल नाम से अलग फोल्डर बना कर स्पैम मेल को लगभग निष्क्रिय बना दिया है।
ईमेल के जरिए मनी बैक करने की गारंटी देने वाले मेल्स के प्रति सावधान रहना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि इनके झांसे में आने पर सिस्टम के हैक होने और डाटा के नुकसान होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में कंप्यूटर और मोबाइल पर ऐसे हमलों के लिए हैकर्स स्मार्ट फोन प्लेटफार्म का सहारा ले सकते हैं। अटैक रोकने के लिए आईटी पेशेवरों को पुलिस की मदद भी लेनी चाहिए। स्रोतों की जानकारी मिलने पर पुलिस-प्रशासन को दी जा सकती है ताकि हैकरों पर कानूनी कार्रवाई हो सके।
ईमेल के जरिए मनी बैक करने की गारंटी देने वाले मेल्स के प्रति सावधान रहना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि इनके झांसे में आने पर सिस्टम के हैक होने और डाटा के नुकसान होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में कंप्यूटर और मोबाइल पर ऐसे हमलों के लिए हैकर्स स्मार्ट फोन प्लेटफार्म का सहारा ले सकते हैं। अटैक रोकने के लिए आईटी पेशेवरों को पुलिस की मदद भी लेनी चाहिए। स्रोतों की जानकारी मिलने पर पुलिस-प्रशासन को दी जा सकती है ताकि हैकरों पर कानूनी कार्रवाई हो सके।