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भारतीय संविधान में अनुच्छेद 148 से 151 कैग (CAG- Comptroller and Auditor General of India) या नियंत्रक व महालेखा परीक्षक पद, उसके अधिकार व कर्त्तव्यों की व्याख्या करते हैं। कैग भारत के सुप्रीम ऑडिट इंस्टीटूशन का प्रमुख होता है और देश की समस्त वित्तीय प्रणाली (संघ और राज्य) नियंत्रण करता है। उसे इंडियन ऑडिट व अकाउंट्स सर्विसेज से सहायता मिलती है। 1860 में इंडियन ऑडिट ऐंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट बना। तब सरकारी लेखा व परीक्षण कार्य एक साथ थे और दोनों महालेखा परीक्षक के कार्यक्षेत्र में ही आते थे। 1950 में संविधान लागू होने के बाद इसकी शक्तियां बढ़ा दी गईं और पद का नाम नियंत्रक व महालेखा परीक्षक कर दिया गया।
क्यों हैं जरूरत (Why Need the CAG)?
भारतीय संविधान के अनुसार, सरकार का यह दायित्व है कि वह बजट का निर्माण करे और उसे संसद में पेश करे। चूंकि बजट संसद में पास होता है, इसलिए संसद द्वारा सरकारी खर्चों पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है। संसद कैग की रिपोर्ट के जरिए सरकार द्वारा किए गए धनराशि के अनुचित प्रयोग को जांच के दायरे में ला सकती है।Role of Comptroller & Auditor General (CAG) in India
चयन व योग्यता (Selection and Eligibility of CAG)
कैग की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। उसे पद से उसी आधार व प्रक्रिया से हटाया जा सकता है जिससे उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को हटाया जाता है। कैग की पदावधि उसके पद ग्रहण करने की तारीख से छह वर्ष होती है। 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर भी वह पद से हट जाता है। वह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप सकता है। अपने पद से हटने के बाद वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई और पद स्वीकार नहीं कर सकता।
कार्य व अधिकार (Duties and Rights of CAG)
कैग देश, राज्य व संघ शासित प्रदेशों केफंड से किए गए खर्च की जांच करता है। आकस्मिक निधि से ली गई राशि, पब्लिक अकाउंट, सरकारी दफ्तरों या विभागों के स्टोर्स अकाउंट व स्टॉक भी जांच के दायरे में आते हैं। केंद्र व राज्य सरकार को अपने अकाउंट किस प्रकार व्यवस्थित करने हैं, यह काम भी कैग का होता है।
संविधान में यह बात भी निहित है कि केंद्र या राज्य सरकार राष्ट्रपति के निर्देशानुसार अपने अकाउंट रखेगी। राष्ट्रपति इसके लिए कैग से सलाह लेगा। केंद्र व राज्य सरकार के इन अकाउंट्स की रिपोर्ट कैग संसद या राज्य विधानमंडल में पेश करने से पहले राष्ट्रपति या राज्यपाल को सौंपता है। भारतीय कैग पद कुछ मायनों में अन्य देशों से अलग है। भारतीय कैग के अंतर्गत लेखा व परीक्षण, दोनों कार्य आते हैं। वह न तो संसद का कोई अधिकारी होता है और न ही वह कार्यपालिका का कार्यकारी अंग होता है। यहीं नहीं, कंपनी एक्ट 1956 उसे सरकारी कंपनियों के ऑडिट की जिम्मेदारी देता है। कैग को उन संस्थाओं व प्राधिकरणों की भी जांच का अधिकार है, जिन्हें मूलत: सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाती है। यही वजह है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के घोटालों की जांच की खबरों में कैग शब्द लगातार आ रहा है।
कैग व उसके अधिकार
कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटालों की सुर्खियों में कैग शब्द बार-बार आ रहा है।
संविधान ने इस पद पर आसीन व्यक्ति को सरकारी खर्चों की जांच जैसे कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं। लोकतंत्र की सार्थकता के लिए यह पद काफी महत्वपूर्ण है।
भारत के कैग
  1. वी. नरहरि राव (1948 - 1954)
  2. ए.के. चंदा (1954-1960)
  3. ए.के. रॉय (1960-1966)
  4. एस. रंगनाथन (1966-1972)
  5. ए. बक्शी (1972-1978)
  6. ज्ञान प्रकाश (1978-1984)
  7. टी. एन. चतुर्वेदी (1984-1990)
  8. सी.जी. सोमैया (1990-1996)
  9. वी.के. शुंगलू (1996-2002)
  10. वी.एन. कौल (2002-2008)
  11. विनोद राय (2008 - 2013)
  12. शशिकांत शर्मा (2013 –वर्तमान)
 
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