
स्व-आकलन (Self Analysis) : कैरियर प्लानिंग के लिए खुद का आकलन अत्यंत ही जरूरी है। अपनी रुचि, अपनी क्षमता और अपनी प्रतिभा को ध्यान में रखकर की गई कैरियर प्लानिंग ही सही कही जा सकती है।
लक्ष्य का निर्धारण(Define Your Goal): अपनी शैक्षणिक योग्यता, जीवन में प्राथमिकता अथवा काम में अपने अनुभव के आधार पर आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें। जब उद्देश्य स्पष्ट होगा, तभी आप रास्ते भी तलाशते चले जाएंगे।
आत्मविकास (Self Development) : लक्ष्य निर्धारण के बाद खुद को उसके योग्य बनाना होगा। ऐसे में पहले यह निर्धारित करें कि मंजिल तक पहुंचने के लिए किस तरह की शैक्षणिक योग्यता और कैसी स्किल्स की जरूरत है और फिर उसके अनुरूप खुद को विकसित करें।
एक्शन(Action): योजना के अनुसार कार्य करना सबसे जरूरी है। यह विचार करें कि आज से कुछ महीने बाद, एक साल बाद या दो साल बाद या पांच साल बाद आप खुद को कहां देखना चाहते हैं। फिर उसके अनुसार रुटीन बनाकर काम करें।
अवसरों पर नजर(Focus on Opportunities): जब किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपने खुद को तैयार कर लिया तो उससे संबंधित अवसरों पर नजर रखना भी जरूरी है।
रिलैक्स रहना (Keep Relax): कैरियर प्लानिंग में तनाव को कोई जगह न दें, अन्यथा इसका विपरीत असर आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। पढ़ाई, काम, आराम व मनोरंजन में तालमेल जरूरी है।