एक आदमी अपनी उम्र के 21वें साल में व्यापार में नाकाम हो गया, 22वें साल में चुनाव हार गया, 24वें साल में फिर से व्यापार में असफलता मिली। कुछेक साल बाद पत्नी का निधन होने से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। 34 साल की उम्र में उसे कांग्रेस और 45 साल में उसे सीनेट के चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। असफलताओं और मुश्किलों का सिलसिला जारी रहा। 47वें साल में वह उपराष्ट्रपति बनते-बनते रह गया। इसके बाद फिर से सीनेट के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। वही आदमी 52 साल की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया। यह शख्स था अब्राहम लिंकन। इसी तरह इतिहास पर नजर डालें, तो सफलता की हर कहानी के साथ महान असफलताएं भी जुड़ी हैं। अब्राहम लिंकन चाहते तो शर्म से सिर झुका कर मैदान से हट सकते थे और अपनी वकालत फिर से शुरू कर सकते थे। लेकिन लिंकन केलिए हार केवल एक भटकाव थी, सफर का अंत नहीं।
अगर आप इतिहास के पन्ने पलटेंगे, तो देखेंगे कि हर सफलता की भूमिका कई असफलताओं से ही तैयार हुई। थॉमस एडिसन स्कूल में केवल तीन महीने ही पढ़ सके। उन्होंने जब बिजली का बल्ब बनाया, तो इससे पहले बल्ब बनाने के करीब 10 हजार प्रयासों में उन्हें असफलता ही हाथ लगी थी। 1914 में उनकी फैक्ट्री जल गई। उस समय उनकी उम्र 67 साल थी। इसके बावजूद अपनी जिंदगी भर की मेहनत को धुआं बन कर उड़ते हुए देख उन्होंने इस बर्बादी को बहुत कीमती कहा। हमारी सारी गलतियां जल कर राख हो गईं। उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि इससे एक नई शुरुआत करने का मौका मिला। उस तबाही केतीन हफ्ते बाद ही उन्होंने फोनोग्राफ का आविष्कार कर दिया। इसी तरह बीथोवेन को युवावस्था में कहा गया कि उनमें संगीत की प्रतिभा नहीं है, लेकिन उन्होंने संसार को संगीत की कुछ उत्तम रचनाएं दीं। हममें से ज्यादातर लोग तीन बार, दस बार, अधिक से अधिक सौ बार कोशिश करकेहार मान लेते हैं और उसके बाद कहते हैं कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की।
ये सभी लोग, समस्याएं न होने की वजह से नहीं, बल्कि समस्याओं केबावजूद कामयाब हुए, लेकिन नकारात्मक सोच वाले लोगों को लगता है कि ऐसे लोगों को कामयाबी केवल तकदीर की वजह से मिली। सफलता की सारी कहानियों के साथ असफलता की महान कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। फर्क केवल इतना है कि हर असफलता केबाद लोग जोश के साथ फिर उठ खड़े हुए। असफलता को पीछे धकेलने वाली नहीं, बल्कि आगे बढ़ाने वाली नाकामयाबी कहते हैं। हम सीखते हुए आगे बढ़ते हैं, अपनी असफलताओं से सबक लेते हुए आगे बढ़ते हैं। अगर आप कामयाबी चाहते हैं, तो रास्ते में ठोकरें जरूर लगेंगी, लेकिन वह हमारे लिए प्रेरणा भी बन सकती हैं।
अगर आप इतिहास के पन्ने पलटेंगे, तो देखेंगे कि हर सफलता की भूमिका कई असफलताओं से ही तैयार हुई। थॉमस एडिसन स्कूल में केवल तीन महीने ही पढ़ सके। उन्होंने जब बिजली का बल्ब बनाया, तो इससे पहले बल्ब बनाने के करीब 10 हजार प्रयासों में उन्हें असफलता ही हाथ लगी थी। 1914 में उनकी फैक्ट्री जल गई। उस समय उनकी उम्र 67 साल थी। इसके बावजूद अपनी जिंदगी भर की मेहनत को धुआं बन कर उड़ते हुए देख उन्होंने इस बर्बादी को बहुत कीमती कहा। हमारी सारी गलतियां जल कर राख हो गईं। उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि इससे एक नई शुरुआत करने का मौका मिला। उस तबाही केतीन हफ्ते बाद ही उन्होंने फोनोग्राफ का आविष्कार कर दिया। इसी तरह बीथोवेन को युवावस्था में कहा गया कि उनमें संगीत की प्रतिभा नहीं है, लेकिन उन्होंने संसार को संगीत की कुछ उत्तम रचनाएं दीं। हममें से ज्यादातर लोग तीन बार, दस बार, अधिक से अधिक सौ बार कोशिश करकेहार मान लेते हैं और उसके बाद कहते हैं कि हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की।
ये सभी लोग, समस्याएं न होने की वजह से नहीं, बल्कि समस्याओं केबावजूद कामयाब हुए, लेकिन नकारात्मक सोच वाले लोगों को लगता है कि ऐसे लोगों को कामयाबी केवल तकदीर की वजह से मिली। सफलता की सारी कहानियों के साथ असफलता की महान कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। फर्क केवल इतना है कि हर असफलता केबाद लोग जोश के साथ फिर उठ खड़े हुए। असफलता को पीछे धकेलने वाली नहीं, बल्कि आगे बढ़ाने वाली नाकामयाबी कहते हैं। हम सीखते हुए आगे बढ़ते हैं, अपनी असफलताओं से सबक लेते हुए आगे बढ़ते हैं। अगर आप कामयाबी चाहते हैं, तो रास्ते में ठोकरें जरूर लगेंगी, लेकिन वह हमारे लिए प्रेरणा भी बन सकती हैं।
0 comments:
Post a Comment