लोकतंत्र की मजबूती के लिए भारतीय चुनाव आयोग
समय-समय पर अहम भूमिका निभाता है। भारतीय चुनाव आयोग यानी इलेक्शन कमीशन ऑफ
इंडिया (ईसीआई) एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है, जिसकी स्थापना
25 जनवरी 1950 को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से प्रातिनिधिक संस्थानों में
प्रतिनिधि चुनने के लिए की गई थी। तीन सदस्यीय आयोग में एक मुख्य चुनाव
आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं, जो सर्वसम्मति या बहुमत से निर्णय
लेते हैं। देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।
नियुक्ति
मुख्य
चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति
द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त या अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल
छह वर्ष का होता है। वे 65 साल तक इस पद पर बने रह सकते हैं। चुनाव आयुक्त
के वेतन और भत्ते भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है।
अन्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर उनके पद
से हटाया जा सकता है।
क्या कहता है संविधान
भारतीय
संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर 339 तक निर्वाचन संबंधी
प्रावधान शामिल किए गए हैं। अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग को संसद,
प्रत्येक राज्य में विधानसभा चुनाव तथा राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों
के लिए सभी निर्वाचन के अधीक्षण और नियंत्रण की शक्ति प्राप्त है।
कॉरपोरेशन, नगर निगम, जिला परिषद, जिला पंचायत, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत
और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव कराने की शक्ति राज्य चुनाव आयोग को हासिल
है। राज्य में चुनाव कार्यों की निगरानी मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) करते
हैं, जबकि जिलों में चुनाव की निगरानी का काम जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ)
करते हैं। किसी भी संसदीय या विधानसभा सीट पर चुनाव संपन्न कराने की
जिम्मेदारी रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) की होती है। चुनाव केंद्रों पर
प्रिजाइडिंग ऑफिसर मतदान कराते हैं। इन्हें जिला चुनाव अधिकारी नियुक्त
करते हैं। चुनाव से पहले मतदाता सूची की तैयारी के लिए इलेक्टोरल
रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) जबावदेह होता है। अनुच्छेद 329 निर्वाचन संबंधी
मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप की चर्चा करता है।
नए बदलाव
चुनाव
आयोग ने चुनाव संबंधी शिकायतों के लिए 24 घंटे कॉल सेंटर खोलने की पहल की
है। इस सेंटर पर टोल फ्री नंबर 1950 के जरिए कभी भी शिकायतें दर्ज कराई जा
सकेंगी। इसके अलावा दृष्टिहीन मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन
में ब्रेल लिपि की सुविधा भी जोड़ दी गई है। रूबी प्रसाद
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