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यदि फैशन की बात करें तो फुटवियर के बगैर बात पूरी नहीं होती। भारत सहित पूरे विश्व में फुटवियर फैशन का अनिवार्य हिस्सा है। चाहे पुरुष हों या महिलाएं, बच्चे हों या बड़े, किसी की पर्सनैलिटी को निखारने में फुटवियर की खास भूमिका होती है। फैशनेबल व टिकाऊ फुटवियर की बढ़ती मांग से अब इस फील्ड में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की मांग भी बढ़ने लगी है। ऐसे में इस क्षेत्र में अवसरों में भी तीव्र इजाफा हुआ है।
विषय-वस्तु का स्वरूप
हालांकि फुटवियर टेक्नोलॉजी लेदर इंडस्ट्री का ही एक हिस्सा है, पर अपनी जरूरत और व्यापकता के कारण यह एक अलग इंडस्ट्री के रूप में विकसित होने लगी है, जिसमें चमड़े के अलावा प्लास्टिक, जूट, रबर, फैब्रिक आदि का भी इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होने लगा है। फुटवियर मैन्यूफैक्चरिंग से संबंधित तमाम मशीनरी विकसित हो चुकी है, जिससे ट्रेंड प्रोफेशनल्स इस फील्ड की जरूरत बन गए हैं। इससे संबंधित पाठक्रमों में इसके निर्माण के अलावा शोध संबंधी बातों की भी जानकारी दी जाती है।
तरह-तरह के कोर्स
फुटवियर टेक्नोलॉजी के अंतर्गत कई तरह के कोर्स हैं, जैसे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा, बीटेक, एमटेक आदि। फुलटाइम कोर्सेज के अलावा इस फील्ड में विभिन्न शॉर्ट टर्म कोर्सेज भी उपलब्ध हैं।
शैक्षणिक योग्यता
जो अभ्यर्थी फुटवियर टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, उनके लिए 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। किसी भी संकाय के विद्यार्थी इसमें प्रवेश पा सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद बेहतर कैरियर के लिए पीजी कोर्स भी किया जा सकता है। इसके अलावा फुटवियर टेक्नोलॉजी में बीटेक/एमटेक जैसे पाठक्रम भी हैं। इस कोर्स में इंजीनियरिंग अथवा साइंस के विद्यार्थियों का ही नामांकन हो सकता है। इस फील्ड में विभिन्न डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्ध हैं, जिनमें 10वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी एडमिशन ले सकते हैं।
मौके कहां-कहां
संबंधित कोर्स करने के बाद विभिन्न शू निर्माता कंपनियों में डिजाइनिंग, मार्केटिंग और मैन्यूफैक्चरिंग में अवसर तलाशे जा सकते हैं। देशी-विदेशी कंपनियां शू प्रोफेशनल्स व टेक्निशियंस को अपने यहां मौके देती हैं। शोरूम में भी अवसर मिलते हैं। यदि रुचि हो तो टीचिंग फील्ड में भी कैरियर निर्माण किया जा सकता है। फुटवियर टेक्नोलॉजी में अभ्यर्थियों की सैलरी उनकी शैक्षणिक क्षमता के आधार पर तय होती है। इसके अलावा शू प्रोडक्शन कंपनी की ब्रांडिंग के अनुसार भी वेतनमान निर्धारित किया जाता है। अनुभव होने के बाद शू डिजाइनिंग कंसल्टेंट के रूप में आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। साथ ही शू प्रोडक्शन और शू रिटेलिंग के माध्यम से अपने कारोबार की भी शुरुआत की जा सकती है।
मुख्य संस्था»
एफडीडीआई, नोएडा
कोर्स : डिप्लोमा इन फुटवियर टेक्नोलॉजी, सर्टिफिकेट कोर्स इन फुटवियर मैन्यूफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन फुटवियर टेक्नोलॉजी
www.fddiindia.com »
नेशनल इंस्टीटूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट), नई दिल्ली
कोर्स : बैचलर इन लेदर डिजाइनिंग
www.nift.ac.in/delhi»
सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीटूट, चेन्नई
कोर्स : एमटेक इन फुटवियर साइंस, डिप्लोमा प्रोग्राम इन फुटवियर टेक्नोलॉजी, शॉर्ट टर्म कोर्सेज
http://www.clri.org»
हरबर्ट बटलर टेक्नोलॉजी इंस्टीटूट, कानपुर
कोर्स : बीटेक इन लेदर टेक्नोलॉजी
http://www.hbti.ac.in»
सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीटूट, आगरा
कोर्स : डिप्लोमा इन फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग ऐंड डिजाइन, सर्टिफिकेट इन फुटवियर डिजाइन एेंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट, शॉर्ट टर्म कोर्स इन शू डिजाइनिंग ऐंड प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी, सर्टिफिकेट कोर्स इन बेसिक शू डिजाइनिंग ऐंड पैटर्न मेकिंग
www.cftiagra.org.in»
कर्नाटक इंस्टीटूट ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु
कोर्स : डिप्लोमा इन लेदर टेक्नोलॉजी, सर्टिफिकेट कोर्स इन फुटवियर मैन्यूफैक्चरिंग
www.kiltbangalore.com»
गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता
कोर्स : बीटेक इन लेदर टेक्नोलॉजी
http://www.gcelt.gov.in

पहले जूते, चप्पल, सैंडल आदि सामान्य ढंग के बनते थे, पर अब इनमें उतनी ही डिजाइनिंग होती है, जितनी डिजाइनिंग पोशाकों में होती है। इसलिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ इस फील्ड में क्रिएटिविटी का गुण भी होना चाहिए। कलात्मक सोच हो, तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
शू डिजाइनिंग और फुटवियर प्रोडक्शन के क्षेत्र में यदि आपकी रुचि हो, तो इस फील्ड में कैरियर के कई मौके उपलब्ध हैं।
 
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