फर्जी परीक्षार्थियों की खबर लेने में ऑथेन ट्रैक जैसी तकनीक बेहद कारगर है...
बोर्ड
परीक्षा हो या एंट्रेंस एग्जाम या काउंसलिंग ही क्यों न हो, किसी भी टेस्ट
या परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थियों का बैठना अब आसान नहीं होगा। ऐसे
अभ्यर्थियों को रोकने के लिए विदेशों की तर्ज अपने देश में भी परीक्षाओं
में ऑथेन ट्रैक, मोबाइल ट्रैकर, सीसीटीवी कैमरा, बॉडी स्कैनर जैसी कई
स्तरीय जांच की तकनीक आजमाने की कोशिश हो रही है।
परीक्षा
में असली परीक्षार्थी के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करना और उनका
सत्यापन वर्तमान माहौल में बेहद जरूरी है। पारंपरिक तौर पर सत्यापन के लिए
नाम, फोटो, हस्ताक्षर आदि का मिलान किया जाता है। इसके बावजूद फर्जी
परीक्षार्थियों के पकड़े जाने पर कई प्रतिष्ठित परीक्षाएं तक रद्द हो जाती
हैं और होनहार छात्रों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। इससे समय और धन
दोनों की बर्बादी होती है। इस समस्या से निबटने के लिए और परीक्षा प्रबंधन
को बेहतर बनाने के लिए एक नई तकनीक ऑथेन ट्रैक सामने आई है। मेरिट ट्रैक ने
इस पोर्टेबल गैजेट को पेश किया है। इसे इस्तेमाल करना भी बेहद आसान है।
सही विद्यार्थियों की पहचान के लिए इसे देश के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों,
भर्ती बोर्ड की परीक्षाओं आदि में सफलतापूर्वक आजमाया जा चुका है।
अत्याधुनिक
तकनीक से बने इस वायरलेस गैजेट में पहले रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया होती
है। इसके तहत विभिन्न सेंटरों के उम्मीदवारों की फोटो और अन्य जरूरी
जानकारियां पहले ऑथेन ट्रैक में अपलोड कर ली जाती हैं। फिर उस डाटा की
जांच-परख की जाती है। इस सेवा के तहत सही परीक्षार्थी को मान्य करार दिया
जाता है। इसके तहत संकलित डाटा का मिलान परीक्षा केंद्र पर ही किया जाता
है। बायोमीट्रिक पद्धति, फोटो स्नैप और छात्रों की अन्य जानकारियां इसमें
दर्ज की जाती हैं। यूआईडी कार्ड की तरह असली विद्यार्थी की पहचान के लिए
उनकी कई उंगलियों की छाप ली जाती है। ऑथेन ट्रैक से ही परीक्षा कक्ष में
छात्रों की तस्वीर भी ली जाती है। इसके साथ समय भी दर्ज हो जाता है। इसके
बाद काउंसलिंग के दौरान इस डाटा का मिलान किया जाता है, ताकि फर्जी
विद्यार्थियों को इसमें शामिल होने का मौका न मिले
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