सफलता
को लेकर किसी प्रकार का संदेह व्यक्ति को कभी मंजिल तक पहुंचने नहीं देता,
क्योंकि यह संदेह लक्ष्य को लेकर संघर्ष की बढ़ती रफ्तार में ब्रेक का काम
करता है। फ्रैंकलिन डी. रुजवेल्ट ने कहा है- आनेवाले कल की उपलब्धियों में
केवल एक बाधा है, और वह है आज का हमारा संदेह। इसलिए जरूरी है कि बेवजह
संदेह रूपी ब्रेक लगाने से बचें।
अगर हम कार
ब्रेक लगाकर चलाएं तो क्या होगा? हमारी कार कभी पूरी रफ्तार नहीं पकड़
पाएगी, क्योंकि ब्रेक रुकावट पैदा करेंगे। हमारी कार बेहद गर्म होकर खराब
हो जाएगी। अगर कार में ब्रेक डाउन नहीं हुआ तो रुकावट की वजह से इंजन पर
दबाव पड़ेगा। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हमें दो में से एक रास्ते का
चुनना होगा। या तो हम एक्सेलेरेटर और जोर से दबाकर कार को नुकसान पहुंचाने
का खतरा उठाएं, या उसे तेजी से चलाने के लिए ब्रेक हटा लें।
इस
उदाहरण और हमारी जिंदगी में काफी समानता है। हममें से कई लोग जिंदगी की
गाड़ी ब्रेक लगाकर चलाते हैं। जीवन रूपी गाड़ी में आखिर ये ब्रेक क्या हैं?
डर, टालमटोल की आदत, आत्मसम्मान की कमी, हिचक आदि ब्रेक के कई रूप हैं, जो
जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ने से रोकते हैं। यही चीजें हमें कामयाब नहीं
होने नहीं देतीं। भावनाओं के इन ब्रेकों को सही नजरिए, ऊंचे स्वाभिमान,
जिम्मेदारियों से तालमेल और कड़ी मेहनत से हटाया जा सकता है।
सफलता
पाने के लिए सोच-समझकर खतरे उठाने पड़ते हैं। खतरा उठाने का मतलब मूर्खता
भरा कोई काम करना या गैरजिम्मेदारी बरतना नहीं है। योजना बनाकर फायदे के
लिए जोखिम लेने वाले ही ऊंचे पायदान पर पहुंचते हैं। संदेह का ब्रेक न रहने
पर खतरे का सामना होते ही हमें उसका सामना करने का हौसला आता है और फिर
मंजिल पर पहुंचने की संभावना बलवती हो जाती है। जब मुश्किलों पर काबू पाना
नामुमकिन लगता है, तो भागना सबसे आसान तरीका नजर आने लगता है। यह बात
पढ़ाई, नौकरी, शादी, कारोबार और हर क्षेत्र में लागू होती है। यह भी ब्रेक
है, जिसे लगाने की कोई जरूरत नहीं है। हम सबको जिंदगी में ठोकरें लगती हैं,
लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम असफल हैं। मैदान छोड़कर भागने में
असफलता है। चोट लगने पर भी मैदान में डटे रहेंगे, तभी सफलता आपके कदम
चूमेगी। जीवन में अपनी प्राथमिकताएं तय करें। इससे सही दिशा में आगे बढ़ना
सुविधाजनक हो जाता है।
अगर आप कल के
बारे में सोचने के बजाए केवल आज के बारे में सोचते हैं, तो यह दूरदर्शिता
का अभाव है। ऐसे लोग किसी खतरे की आशंका से खुद को आज तक ही सीमित रखते
हैं। सीमित सोच और कार्य के सहारे आप कोई सार्थक लक्ष्य कायम नहीं कर सकते।
इसलिए दूरदर्शी बनें, योजना बनाएं तथा भय, हताशा आदि ब्रेकों को बिना लगाए
ही जिंदगी की गाड़ी को पूरी रफ्तार से दौड़ाने की कोशिश करें।
जीवन की गाड़ी में डर, संकोच आिद ब्रेक न लगाएं। तभी रफ्तार से आगे बढ़ेंगे