Menu

वेस्ट मैनेजमेंट का उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण को दूर करना तथा बेकार चीजों को भी पुनः इस्तेमाल लायक बनाना है। वर्तमान माहौल में इस फील्ड के प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ी है।
कैरियर
एवेन्यू
पि छले कुछ वर्षों से देश में पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। सरकारी तथा व्यक्तिगत स्तर भी इस दिशा में काफी कार्य हुए हैं। यहां तक कि स्कूली व विश्वविद्यालयी स्तर पर भी पर्यावरण को एक विषय के रूप में शामिल कर लोगों को इसके महत्व और दुरुपयोग पर दुष्परिणाम के बारे में बता जा रहा है। उद्योग-धंधाें से निकलने वाले कूड़े व घर की बेकार चीजों को फेंकने से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। इसकी रोकथाम के लिए रीसाइकिल की प्रक्रिया अपनाई गई, ताकि उन पदार्थों को दोबारा किसी दूसरे रूप में प्रयोग में लाया जा सके। इन अपशिष्ट पदार्थों को फिर से एक नया रूप देने की इस पूरी प्रक्रिया को वेस्ट मैनेजमेंट नाम दिया गया। वेस्ट मैनेजमेंट पर्यावरण प्रबंधन एवं संरक्षण का ही एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। अब तो ई-वेस्ट मैनेजमेंट का चलन जोरों पर है। इसमें ज्यादातर वेस्टेज मेटल इलेक्ट्रॉनिक व प्लास्टिक के होते हैं। मुरादाबाद, दिल्ली तथा मुंबई में धारावी इसके प्रमुख केंद्र हैं। देश में तेजी से खुल रहीं वेस्ट ट्रीटमेंट एजेंसियों ने रोजगार के व्यापक अवसर सामने ला दिए हैं।
ई-वेस्ट मैनेजमेंट
विकासशील देश होने के कारण भारत में ई-वेस्टेज की मात्रा भी तेजी से बढ़ रही है। उसी अनुपात में उसे दोबारा प्रयोग में लाए जाने की प्रक्रिया भी अपनाई जा रही है। ई-वेस्ट के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक कचरों जैसे कंप्यूटर, टीवी, डिस्प्ले डिवाइस, सेलफोन, प्रिंटर, फैक्स मशीन, एलसीडी, सीडी, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, ऑटोमोबाइल कम्पोनेंट, सेंसर, अलार्म, सायरन आदि शामिल हैं।
कार्य का स्वरूप
वेस्ट मैनेजमेंट का पूरा कार्यक्षेत्र एनवॉयरमेंटल साइंटिस्ट व उसके आसपास ही घूमता है। पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य साइंस एवं इंजीनियरिंग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। वातावरण में व्याप्त प्रदूषण को दूर करने के लिए साइंटिस्ट कई तरह की रिसर्च थ्योरी व विधियों को अपनाते हैं। इसलिए देखा जाए तो वेस्ट मैनेजमेंट प्रोसेस में एनवॉयरमेंटल साइंटिस्ट का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड ही होता है, जिसमें एडमिनिस्ट्रेटिव, एडवाइजरी व प्रोटेक्टिव, तीनों ही स्तरों पर काम करना होता है।
कब कर सकते हैं कोर्स
वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित अभी ज्यादा कोर्स प्रचलन में नहीं आ पाए हैं। इन्हें ज्यादातर एनवॉयरमेंटल साइंस के कोर्स के एक विषय के रूप में शामिल किया गया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि इसमें कोर्स बैचलर अथवा मास्टर लेवल के ही होते हैं। इसके तहत 3 साल के बैचलर कोर्स बीएससी/बीई इन एनवॉयरमेंटल साइंस व 2 साल के मास्टर कोर्स एमएससी/ एमटेक इन एनवॉयरमेंटल साइंस आयोजित किए जाते हैं। बीएससी व बीई में प्रवेश साइंस विषयों सहित 12वीं के बाद मिलता है और इसके लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जबकि एमएससी व एमटेक में प्रवेश एनवॉयरमेंटल साइंस में बीएससी अथवा बीटेक के बाद मिलता है। कुछ संस्थान एमफिल अथवा पीएचडी का कोर्स भी कराते हैं। इसमें मास्टर लेवल के कोर्स के बाद रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से कई इंस्टीट्यूट एकवर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स भी करा रहे हैं।
चुनौती भरा है यह काम
वेस्ट मैनेजमेंट अपने अंदर कई तरह के अवयवों को समेटे हुए है। इसके तहत न सिर्फ अपशिष्ट पदार्थों के दोबारा इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी जाती है, बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित होने के लिए कई अन्य तरह के कौशल भी प्रदान किए जाते हैं। यह एक टीम वर्क है, जिसे चुनौती के रूप में अंजाम दिया जाता है। इस फील्ड में सफलता के लिए प्रकृति के साथ लगाव बेहद जरूरी है। शुरू-शुरू में ये सारी चीजें अटपटी जरूर लगती हैं, लेकिन जैसे-जैसे प्रोफेशनल का मन इसमें रमता जाता है, यह प्रोफेशन उसे अच्छा लगने लगता है। इसमें प्रोफेशनल्स को प्रोजेक्ट के रूप में काम करना होता है।
रोजगार के अवसर
इस क्षेत्र में ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स के सामने रोजगार के कई अवसर सामने आते हैं। इस क्रम में वे विभिन्न सरकारी विभागों व एजेंसियों, जैसे फॉरेस्ट एवं एनवॉयरमेंट डिपार्टमेंट, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, अर्बन प्लानिंग, इंडस्ट्री, वाटर रिसोर्सेज, एग्रीकल्चर आदि। इस समय पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित एनजीओ में काम करने के लिए संबंधित प्रोफेशनल्स को बेहतर अवसर मिल रहे हैं। प्राइवेट कंपनियां भी बड़े रोजगार प्रदाता के रूप में सामने आ रही हैं। वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स, फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री एवं टेक्सटाइल मिल्स में प्रोफेशनल्स के लिए अवसर निकलते हैं। कई सरकारी व प्राइवेट कंपनियां रिसर्च क्षेत्र में भी काम करती हैं। बतौर एनवॉयरमेंटल साइंटिस्ट उसमें भी राह तलाशी जा सकती है। एनवॉयरमेंटल जर्नलिस्ट व टीचिंग में भी विकल्प हैं।

मुख्य संस्थान
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एनवॉयरमेंटल मैनेजमेंट, मुंबई
  • www.siesiiem.net
  • डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद
  • www.rmlau.ac.in
  • इंस्टीट्यूट ऑफ एनवॉयरमेंट मैनेजमेंट, लखनऊ
  • www.iemmba.com
  • गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार (हरियाणा)
  • www.gjust.ac.in
  • यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान, जयपुर
  • www.uniraj.ac.in 

0 comments:

Post a Comment

 
Top