विभिन्न मुद्दों पर आज जिस तरह मानवाधिकार का मामला सामने आता रहता है, उससे इसके जानकारों के लिए ढेर सारे मौके हैं...
मानवाधिकार सभी मनुष्यों के जन्मजात अधिकार हैं, चाहे वे हमारी राष्ट्रीयता, निवास स्थान, जाति, श्रेणी, लिंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से संबंधित हों। हम सभी बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकारों के समान रूप स हकदार हैं। मानवाधिकारों के सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य में चार पहलू शामिल हैं, जिनकी चर्चा मनुष्य होने के फलस्वरूप सभी द्वारा उपभोग्य दावे, शक्ति, सुविधा और सुरक्षा के रूप में की जाती है।
ऐसे हुई शुरुआत
गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध में हुए विनाश, विध्वंस और दुर्दशा ने संयुक्त राष्ट्र सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणा - 1948 के प्रवर्तन के माध्यम से मानवाधिकार की धारणा दी। इस घोषणा में इसके तीन अनुच्छेदों में निहित अनेक अधिकार शामिल हैं, जिनमें मानवता के संपोषण तथा विकास के लिए जीवन, स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा आदि सम्मिलित हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार विधि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को प्रोत्साहन देने तथा उसकी सुरक्षा करने के लिए कई दिशाओं में कार्य करने के लिए सरकारों के दायित्व निर्धारित करती है।
भारत में मानवाधिकार
अपने देश में मानवाधिकार शब्द, मानवाधिकार परिरक्षण अधिनियम की धारा - 2 (घ) के अंतर्गत परिभाषित है। अधिनियम में मानवाधिकारों के बेहतर परिरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा मानवाधिकार न्यायालयों के गठन का प्रावधान किया गया है। भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कई वर्षों से नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक अधिकारों सहित मानव अधिकार उल्लंघन के सैकड़ों मामले दर्ज करता रहता है। ये उल्लंघन खाद्य अधिकार, स्वास्थ्य अधिकार, शिक्षा अधिकार, हिंसा तथा शोषण के विरुद्ध महिला अधिकार, दुर्व्यवहार तथा शोषण के विरुद्ध बाल अधिकार, प्रवासी अधिकार तथा जाति, सिद्धांत, क्षेत्र तथा धर्म पर आधारित उल्लंघनों से संबंधित हैं।
कोर्स और शैक्षणिक योग्यता
मानवाधिकार के क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा डिग्री स्तर के कई पाठ्यक्रम विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं, जिनमें से कोई भी कोर्स करके इस क्षेत्र में खुद को स्थापित किया जा सकता है। मानवाधिकार के क्षेत्र में पाठ्यक्रम करने हेतु पात्रता सामान्यत: किसी भी विषय में स्नातक डिग्री है।
अवसर कैसे-कैसे
वर्तमान समय में मानव अधिकार के क्षेत्र में कैरियर के उजले अवसर उपलब्ध हैं। सामाजिक न्याय, बाल अपराध संबंधी न्याय, लिंग भेद संबंधी न्याय, परिरक्षक न्याय तथा प्रत्यक्ष सेवा, निगरानी एवं मूल्यांकन, लॉबिंग और नेटवर्किंग, एडवोकेसी, नीति विकास, प्रलेखन एवं अनुसंधान सहित जलवायु न्याय के उभर रहे क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ता के लिए रोजगार के उजले अवसर विद्यमान हैं। कई सरकारी, जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार आयोग, अंतरराष्ट्रीय तथा गैर सरकारी संगठन, जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल, क्राई, ह्यूमन राइट्स वॉच, एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स आदि हैं, जो मानवाधिकार के जानकारों को रोजगार देते हैं। इनके अलावा मानवाधिकार मामलों पर कार्य करने वाली कई संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां हैं, जो मानवाधिकार के जानकारों को रोजगार प्रदान करती हैं। मानवाधिकार के क्षेत्र में वेतन कार्य की प्रकृति के आधार पर निर्भर होता है।
मुख्य संस्थान:
- भारतीय मानवाधिकार संस्थान, नई दिल्ली
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
- एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुंबई
- राष्ट्रीय भारतीय विधि विश्वविद्यालय, बेंगलुरु
- मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
- नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
- मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर