पृथ्वी
का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से घिरा हुआ है फिर भी विश्वभर में पानी को
लेकर समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। जल का जीवन से बहुत महत्वपूर्ण संबंध है।
आज ग़लत निर्णयों के कारण हरियाली का विनाश किया जा रहा है और जल का धरती
से ग़लत दोहन किया जा रहा है। ऐसी स्थिति मानव सभ्यता को ख़तरे में डाल रही
है। इस ख़तरे को भांपते हुए आज जोर-शोर से जल संरक्षण की बात की जा रही
है। ऐसे में जल संरक्षण की महत्ता को देखते हुए आज पानी के क्षेत्र में भी
करिअर के ढेरों अवसर सामने आ रहे हैं।
क्या है जल विज्ञान
करिअर
काउंसलर उषा अलबुकर्क कहती हैं, ‘जल विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो जल
के उत्पादन, आदान-प्रदान, स्रोत, विलीनता, वाष्पता, हिमपात, उतार-चढ़ाव,
प्रपात, संभरण तथा मापन आदि से संबंधित होता है। जल न सिर्फ जीवन का स्रोत
है बल्कि इसमें आप अपना करिअर बतौर जल वैज्ञानिक संवार सकते हैं। यह
मुख्यरूप से पानी की पृथ्वी और भूमिगत क्रियाओं से संबंधित विज्ञान है।’
इसमें पृथ्वी पर उपस्थित चट्टानों और खनिजों के साथ पानी की भौतिक,
रासायनिक और जैविक क्रियाओं, सजीव शरीर-रचनाओं के साथ इसकी विवेचनात्मक
पारस्परिक क्रियाएँ शामिल हैं। जल विज्ञान के क्षेत्र में
हाइड्रोमिटियोरोलॉजी, भूतल, जल विज्ञान, हाइड्रोजिओलॉजी, ड्रेनेज बेसिन
मैनेजमेंट और जल गुणवत्ता से संबंधित विषय आते हैं। इसकी कई शाखाएँ हैं,
जैसे- रासायनिक जल विज्ञान, पारिस्थितिकी जल विज्ञान, हाइड्रोइन्फॉरमैटिक्स
जल विज्ञान, भूतल जल-विज्ञान। रासायनिक जल विज्ञान के तहत पानी के
रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। जबकि पारिस्थितिकी जल विज्ञान में
जीवित वस्तुओं और जल वैज्ञानिक चक्र के बीच पारस्परिक कि्रयाओं का अध्ययन
किया जाता है। हाइड्रोइन्फॉरमैटिक्स जल विज्ञान के तहत जल विज्ञान और जल
संसाधन अनुप्रयोगों में सूचना प्रौद्योगिकी के अनुकूलन का अध्ययन करते हैं।
रोज़गार के अवसर
उषा
अलबुकर्क के अनुसार, इस क्षेत्र में जल प्रबंधन में गैर तकनीकी एवं तकनीकी
दो तरह के कार्य क्षेत्र होते हैं। तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने वाले
उम्मीदवार के पास केमिकल, मैकेनिकल तथा सिविल इंजीनियरिंग स्तर की योग्यता
ज़रूरी है, जबकि गैर तकनीकी क्षेत्र में उम्मीदवार के लिए सामाजिक,
न्यायिक, वित्तीय, प्रबंधकीय एवं औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने के अवसर
होते हैं। तकनीकी एवं गैर तकनीकी क्वालिफाइड उम्मीदवार को एनएचपीसी तथा
कॉर्पोरेट कम्पनियों के पर्यावरण संकाय में कार्य के अवसर मिल जाते हैं। जल
संरक्षण के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संगठन जल प्रबंधन क्षेत्र का ऐसा एरिया
है, जहां टेक्निकल एवं नॉन टेक्निकल कैंडिडेट के लिए अवसर हैं। इसके अलावा
जियोलॉजिकल, केमिकल इंजीनियरिंग, माइक्रोबायोलॉजी तथा रिसर्च के क्षेत्र
में करिअर बनाया जा सकता है। इसके अलावा पैकेजिंग इंडस्ट्री ने जल को नया
रूप दिया है। इसमें जल प्रबंधन एक्सपर्ट को बोतल बंद पानी का निर्माण करने
वाली
कंपनियाँ हाथों हाथ लेती हैं।
कार्य
जल
वैज्ञानिक जलीय पर्यावरण की सुरक्षा, निगरानी और प्रबंधन के लिए व्यापक
गतिविधियाँ भी संचालित करते हैं। जल विज्ञान के तहत डाटा की व्याख्या तथा
विश्लेषण संबंधी गतिविधियाँ शामिल हैं और जल-वैज्ञानिक निरंतर उनके द्वारा
जाँच की जाने वाली भौतिक प्रक्रियाओं की अनुकरणात्मकता के लिए गणितीय
मॉडल्स का विकास तथा प्रयोग करते हैं। इसके अलावा पानी के नमूने लेना तथा
उनका रासायनिक विश्लेषण करना, नदियों तथा झीलों की स्थितियों की निगरानी के
लिए जीव-विज्ञानियों और पारिस्थितिकीविदों के साथ कार्य करना भी इनके
कार्यक्षेत्र में आता है। साथ ही ये बर्फ, हिम तथा ग्लेशियरों का अध्ययन,
सूखे और बाढ़ का अध्ययन, बाढ़ के कारणों और इससे उत्पन्न समस्याओं के समाधन
की जाँच, भूमि प्रयोग में परिवर्तनों के परिणामों की जाँच करना आदि काम
करते हैं। इसके अलावा जल वैज्ञानिक बनकर आप विभिन्न प्रकार के संगठनों के
लिए काम कर सकते हैं। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में जल वैज्ञानिक को
अच्छे वेतनमान पर नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा आप परामर्शदाता के रूप
में भी काम कर सकते हैं।
जैसे- सिविल
इंजीनियरिंग, पर्यावरणीय प्रबंधन और मूल्याँकन में सेवाएँ उपलब्ध कराना।
इसके अलावा आप नयी विश्लेषणात्मक तकनीकों के जरिए शिक्षण और अनुसंधान कार्य
भी कर सकते हैं। यूटिलिटी कम्पनियाँ और सार्वजनिक प्राधिकरण के साथ जुड़कर
आप जलापूर्ति और सीवरेज सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।
व्यक्तिगत गुण
यदि
आप जल वैज्ञानिक बनना चाहते हैं तो आपके अंदर सहनशीलता, दृढ़ता और
विश्लेषण करने की क्षमता, कौशल होना आवश्यक है। इसके अलावा समूह में कार्य
करने की भावना और बेहतर संवाद के गुण भी इस क्षेत्र में आपको सफ़लता दिलाने
के लिए ज़रूरी है।
कोर्स
जल
प्रदूषण आज चिंता का विषय बनता जा रहा है। जल संवर्धन, संरक्षण और प्रबंधन
के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। यही कारण है कि देशभर के विभिन्न
संस्थानों में जल संरक्षण से संबंधित कई कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।
देशभर के कई विश्वविद्यालय जल-विज्ञान और जल-संसाधन विषयों में स्नातक और
स्नातकोत्तर कोर्स संचालित करती हैं। इनमें से ज़्यादातर कोर्स पूर्ण-कालिक
हैं लेकिन कुछेक में अंश-कालिक आधार पर मॉड्यूलर कोर्स के रूप में प्रवेश
लिया जा सकता है। जल-विज्ञान में करिअर के लिए प्रथम डिग्री का विकल्प उतना
अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन जहां से आप कोर्स कर रहे हैं, वह संस्थान
मान्यता प्राप्त होना चाहिए। ऐसे छात्रों को कंपनियाँ हाथों हाथ अपनी कंपनी
में नियुक्त करती हैं।
जल ही जीवन है पर प्रकृति के ख़ज़ाने से हम
जितना पानी लेते हैं हमारी ज़िम्मेदारी है कि उसका सदुपयोग करें। आज जल
प्रदूषण में लगातार वृद्धि के कारण जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाने
लगा है। ऐसे में जल विज्ञान करिअर के साथ-साथ आय का भी बेहतर ज़रिया बनकर
सामने आ रहा है।
संस्थान (Top Institutes)
- इंजीनियरिंग कॉलेज, रायपुर, छत्तीसगढ़
- इंदिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली
- एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी, वड़ोदरा
- दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, नयी दिल्ली
- श्री गुरुगोबिंद सिंह जी कॉलेज, नांदेड़
- क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरूचिरापल्ली
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की, उत्तराखंड
- आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापट्नम
- अन्ना विश्वविद्यालय, ग्विंडी, तमिलनाडु
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर, तमिलनाडु