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कभी भूकंप तो कभी बाढ़, कभी सुनामी तो कभी दुर्घटना, अक्सर आपदाओं और दुर्घटनाओं के कारण सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं और हजारों की जान आफत में फंसी रहती है। यदि पूरे विश्व का आकलन करें, तो प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में लोग काल के गाल समा जाते हैं। इस दृष्टिकोण से सुविधाओं से युक्त आज के माहौल में डिजास्टर मैनेजमेंट यानी आपदा प्रबंधन पर उचित ध्यान देने की सख्त जरूरत है। विभिन्न संस्थानों में डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स उपलब्ध हैं।
तबाही से सामना करने का दम
आपदाएं चाहे प्राकृतिक हों या मनुष्य जनित, आती ही रहती हैं, और उनसे जान-माल की सुरक्षा के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की जरूरत भी निरंतर बनी रहती है...
कार्य प्रकृति
विभिन्न आपदाओं, खासकर प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना संभव नहीं है, पर वक्त पर उचित सहायता प्रदान कर काफी हद तक धन-जन के नुकसान को रोका जा सकता है। इसके तहत मानवीय सतर्कता बेहद जरूरी है। इसके लिए आज विभिन्न उपकरणों और यंत्रों का भी सहारा लिया जाता है। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स ऐसे कार्यों में दक्ष होते हैं।
व्यक्तिगत कौशल
जनसेवा की भावना जरूरी है। यह काम खतरों से भरा होता है, इसलिए शारीरिक दमखम के साथ-साथ मानसिक रूप से भी मजबूत होना चाहिए। तुरंत निर्णय करने की क्षमता इस क्षेत्र में सफलता के लिए जरूरी है। इसके अलावा अभ्यर्थी को किसी भी समय काम के लिए तैयार रहना चाहिए।
कोर्स व शैक्षणिक योग्यता
डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित कुछ प्रमुख कोर्स हैं : सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमबीए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट आदि। डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित अंडरग्रेजुएट और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए विद्यार्थी के पास 12वीं की डिग्री होनी चाहिए। इस क्षेत्र में मास्टर तथा एमबीए जैसे कोर्स भी हैं, जिनमें दाखिले के लिए स्नातक होना आवश्यक है। रिसर्च से संबंधित पीएचडी की भी सुविधा इस क्षेत्र में है।
कैसे-कैसे मौके
डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए संबंधित सरकारी विभागों में अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा ऐसे कार्यों में लगे एनजीओ में भी मांग बनी रहती है। यूएनओ, वर्ल्ड बैंक, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेड क्रॉस, यूनेस्को जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी आप अपनी सेवा दे सकते हैं। ये संस्थाएं प्रोफेशनल्स के लिए ट्रेनिंग का भी आयोजन कराती हैं। इंश्योरेंस कंपनियां भी ऐसे प्रोफेशनल्स को अपने यहां नियुक्त करती हैं। अनुभव होने पर कंसल्टेंट और उच्च शिक्षा प्राप्त कर टीचर के रूप में भी खुद को स्थापित किया जा सकता है।
  • जमशेदजी टाटा सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, मुंबई
  • www.tiss.edu
  • एनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च संस्थान, हैदराबाद
  • www.eptri.com
  • नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, आईआईटी, कानपुर
  • www.iitk.ac.in
  • देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज), इंदौर
  • www.ins.dauniv.ac.in
  • गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • www.ipu.ac.in
  • एशियन फायर इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर
  • www.asianfire.org.in
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली
  • www.ndmindia.nic.in
  • नेशनल सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर
  • www.ncdcnagpur.nic.in
  • डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भोपाल
  • www.dmibhopal.nic.in
  • इग्नू, नई दिल्ली
  • www.ignou.ac.in
 
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