तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव इसके पहले मुख्यमंत्री बने हैं। चूंकि यह राज्य आंध्र प्रदेश को बांटकर बनाया गया है, इसलिए तेलुगू देशम पार्टी के नेता एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी नए आंध्र प्रदेश (जो अब सीम्रांध बन जाएगा) के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब भाषा के नाम पर गठित किसी राज्य का विभाजन हुआ है। उल्लेखनीय है कि 1956 में भाषा के नाम पर ही आंध्र प्रदेश का गठन किया गया था। तेलंगाना अब एक अलग राज्य भले ही बन गया है, लेकिन अगले दस वर्ष तक इसकी राजधानी हैदराबाद ही रहेगी, जो आंध्र प्रदेश की भी राजधानी होगी।
इतिहास पर एक नजर
तेलंगाना का अर्थ है- तेलुगू भाषियों की भूमि। यह पहले हैदराबाद रियासत के अंतर्गत आता था। हैदराबाद रियासत के विलय के बाद इसके तीन टुकड़े किए गए, जिसमें एक टुकड़े को कर्नाटक, दूसरे को महाराष्ट्र और तीसरे को अलग हैदराबाद राज्य बना दिया गया। बुर्गुला रामकृष्ण राव इसके पहले मुख्यमंत्री बने। भाषाई आधार पर राज्यों को एक करने की सिफारिश राज्य पुनर्गठन आयोग ने सबसे पहले की। इस आयोग का गठन देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने फजल अली के नेतृत्व में करवाया था। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के बाद जब राज्यों का नए सिरे से सीमांकन किया गया, तो सभी तेलुगू भाषी राज्यों को मिलाकर आंध्र प्रदेश बना दिया गया और इस तरह तेलंगाना विधिवत रूप से आंध्र प्रदेश का हिस्सा बन गया।
आंदोलन की शुरुआत
तेलंगाना के लोग इस विलय को स्वीकार नहीं कर पाए। उनका मानना था कि तेलंगाना की भाषा, संस्कृति और लोगों का मिजाज आंध्र प्रदेश से अलग है। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी डर था कि आंध्र प्रदेश के लोग उनके साथ भेदभाव करेंगे। उनकी इसी आशंका को खत्म करने के लिए नेहरू ने आंध्र और तेलंगाना क्षेत्र के नेताओं के बीच जेंटलमेंस एग्रीमेंट करवाया। लेकिन यह समझौता दस साल के अंदर ही निष्प्रभावी हो गया, क्योंकि तेलंगाना के लोगों की शिकायत थी कि उनकी नौकरियां छिनी जा रही हैं और राजस्व का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश में ही खर्च हो रहा है। नतीजतन अलग तेलंगाना की मांग शुरू हो गई। इस आंदोलन के अगुवा बने मर्री चन्ना रेड्डी। कई वर्षों तक हिंसक दौर देखने के बाद इस आंदोलन की बागडोर के. चंद्रशेखर राव के हाथों में आई। उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन कर एक गैर-राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत कर दी। वर्ष 2009 में उनके 11 दिनों के आमरण अनशन के दौरान जब राज्य के हालात बिगड़ने लगे, तो तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने तेलंगाना राज्य गठन की प्रक्रिया शुरू की।
अब भी हैं चुनौतियां
तेलंगाना में गोदावरी और कृष्णा जैसी प्रमुख नदियां बहती जरूर हैं, लेंकिन इसका ज्यादातर क्षेत्र सूखा प्रभावित रहा है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से मिलती सीमा वाले क्षेत्र नक्सलियों के गढ़ माने जाते हैं, जहां सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। पूरे क्षेत्र में बिजली की किल्लत भी एक बड़ी समस्या है।