विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के लिए खुद को प्रेरित करते रहें, कामयाबी आपके कदमों में होगी...
लक्ष्य बनाएं और उसको पाने का आत्मविश्वास भी बनाए रखें। यह काम तो बहुत कठिन है? इसे भला मैं कैसे कर सकता? इस काम में तो इतनी समस्याएं हैं? ऐसे सवाल न सोचें, बल्कि वर्तमान में आपकी जो भी परिस्थितियां हैं, उसका आकलन करते हुए अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने की कोशिश कीजिए। लक्ष्य बड़ा हो, तो पहले छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और उनको पूरा करने का प्रयत्न करें। छोटे-छोटे पग भरते हुए ही आप मंजिल तक पहुंच जाएंगे। ऐसे में कुछ कर दिखाने का आत्मविश्वास जरूरी है। आप नेगेटिव सोच और ऐसे लोगों से दूर रहें।
यदि आपकी इच्छा निराशा से निकलने की है, तो किसी लक्ष्य के लिए उत्साहित हो जाएं। एक आशावादी लक्ष्य विपरीत परिस्थितियों में भी आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। यह निराशा से निकलने का मूलमंत्र भी है। अगर आप अपने अंदर कुछ पाने की प्रेरणा महसूस करेंगे, तो आप उसके लिए प्रयत्नशील भी रहेंगे। अपना आत्मविश्वास मजबूत बनाकर इस तरह की प्रेरणा आप खुद से पा सकते हैं। इसके अलावा दूसरे सफल लोगों को देखकर भी आप प्रेरित हो सकते हैं। महान लोगों के बारे में पढ़ने, उनसे बातें करने और उनके बारे में जानने से आपके अंदर भी सकारात्मक ऊर्जा आती है। जब भी मौका मिले, आप ऐसा करें। इसी एनर्जी से आपको आगे बढ़ने की राह मिलती है। इसलिए लक्ष्य निर्धारित करें और हमेशा उसी पर फोकस्ड रहें। लक्ष्य रहेगा ही नहीं, तो जाएंगे कहां! फिर तो जीवन पशुओं की तरह हो जाएगा।
अपने काम के प्रति लगन से ही आप मंजिल तक पहुंच सकते हैं। इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और नियमित अभ्यास से आप अपनी फील्ड के मास्टर बन जाते हैं। जब एक कोमल रस्सी के बार-बार आने-जाने से पत्थर पर निशान पड़ सकता है, तो फिर नियमित अभ्यास से आप भी किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं।
तरक्की की किसी भी राह में एक बात का ध्यान रखना अत्यंत ही जरूरी है, और वह है समय-समय पर अपने काम की समीक्षा करना। इससे आप यह आकलन कर पाएंगे कि आपका प्रयास कितना सही है या कितनी और कोशिश की जरूरत है। खुद ही अपना आलोचक बनें, ताकि गलत दिशा में जा रहे आपके कदमों पर नियंत्रण बना रहे और गलतियों में सुधार की गुंजाइश हो।