कुछ महान करने के लिए हमें अपने सोच का स्तर भी बड़ा करना होगा। जब विचार ही छोटा होगा, इच्छा ही छोटी होगी, तो आप जीवन में कुछ महान करने के लिए कैसे प्रवृत्त होंगे। यदि हमारी जिंदगी खराब है, तो यह काफी हद तक हमारे जीवन मूल्यों और साथ-ही एक भरपूर जिंदगी जीने की इच्छा के अभाव का नतीजा है। हमारी बंद दिमागी हमें आगे बढ़ने से रोकती है। खुले दिमाग से आगे बढ़ने का विचार करेंगे और फिर निर्धारित योजना के अनुसार काम करेंगे, तभी जीवन में तरक्की कर पाएंगे।
एक मछुवारा था, जो जब भी कोई बड़ी मछली पकड़ता, तो उसे वापस नदी में फेंक देता था, और सिर्फ छोटी मछलियों को ही अपने पास रहने देता था। उसकी इस अजीब हरकत को देखकर एक आदमी ने उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा है? इस पर उस मछुवारे ने जवाब दिया, "मेरी कड़ाही बहुत छोटी है।" बहुत-से लोग जीवन में सफलता इसीलिए हासिल नहीं प्राप्त कर पाते कि वे उस मछुवारे की तरह छोटी कड़ाही ही लेकर घूमते हैं। बंद दिमागी की इस स्थिति में आगे बढ़ने की संभावना भला कहां रह जाती है।
अगर आप लोगों से जिंदगी का कोई एक बड़ा मकसद बताने को कहें, तो अधिकांश मामलों में लोग अस्पष्ट जवाब देंगे, जैसे मैं बड़ा बनना चाहता हूं, सफल होना चाहता हूं, खुश रहना चाहता हूं, अच्छा जीवन गुजारना चाहता हूं आदि। जिनका लक्ष्य स्पष्ट नहीं होता है, वे ही इस तरह का जवाब देते हैं। जीवन का लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए, उसके लिए योजनाएं आपके दिमाग में होनी चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए आपको सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए, यहां तक कि विपरीत परिस्थितियों में भी। तभी आप बड़े-से-बड़े सपने को भी पूरा करने में सफल होंगे।
आपको अपनी प्रतिभा पर यकीन होना चाहिए। तभी आप उसके अनुरूप अपना लक्ष्य निर्धारित कर पाएंगे और सफल होंगे। आपको इच्छा और लक्ष्य का अंतर पता होना चाहिए। उदाहरण के लिए, "मैं वजन घटाना चाहता हूं", यह सिर्फ एक इच्छा है। यह लक्ष्य तब बनता है, जब हम यह तय कर लेते हैं कि मैं 100 दिन में 10 किलोग्राम वजन कम करूंगा। लक्ष्य को लेकर किए गए अपने प्रयासों का आकलन भी आप समय-समय पर करते रहें। मापना ही वह रास्ता है, जिससे हम अपनी तरक्की पर नजर रख सकते हैं। काम छोटा हो या बड़ा, आपको बेहद योजनाबद्ध ढंग से काम करना चाहिए। इसके तहत कार्य-पद्धति और समय का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करेंगे, तो अपनी ऊंची सोच के अनुरूप ही आप ऊंची सफलता प्राप्त करेंगे।