परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, अधिक इमोशनल होने की
जरूरत नहीं है। इमोशनल होने से अच्छा है कि आप तार्किक ढंग से सोच-विचार
करें। भावना में बहकर कोई ऐसी बात न करें, जो आपके संबंध ही बिगाड़ दे।
गुस्सा आने के बाद अगर आप हिंसक जैसा महसूस करने लगें, तो आप अपना गुस्सा
किसी कुशन या मेज पर निकाल सकते है, या फिर आप चिल्ला सकते हैं। गुस्से से
बेवजह दूसरों को परेशानी हो जाए और कोई सकारात्मक परिणाम न निकले, ऐसा
गुस्सा किस काम का!
गुस्सा एक मानसिक स्थिति
है, जिसका बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव हमारी रोजाना की जिंदगी पर, संबंधों
पर या किसी भी तरह की उपलब्धि पर पड़ता है। गुस्सा हमारी सोच और व्यवहार को
कई तरह से प्रभावित करता है। इसलिए बहुत जरूरी हो, तभी अपने गुस्से को
व्यक्त करें। इसके साथ ही अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने के ढंग का भी आपको
पता होना चाहिए। जब भी गुस्सा आए, तो यह विश्लेशण जरूर करना चाहिए कि आपको
गुस्सा किस बात पर आया और क्या अपना गुस्सा निकालने से अपको कोई लाभ मिला।
गुस्से से होने वाले नुकसान व फायदे का आकलन जरूर करें। इससे गुस्से की
अभिव्यक्ति की जरूरत को आप समझ सकते हैं।
गुस्सा
आता तो सबको है, लेकिन उस गुस्से को जाहिर करने का तरीका सबका अलग-अलग
होता है। इतना ही नहीं, गुस्से को कंट्रोल करने का तरीका भी सबका अलग-अलग
है। किसी भी तरह की मुसीबत, चिंता, परेशानी, धमकी, निराशा या हार में यह एक
स्वाभाविक प्रक्रिया है और जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को एक नहीं, कई बार
ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। जीवन की समस्याएं हम पर हावी न हों,
इसके लिए कभी-कभी जरूरी है कि आप गुस्सा रूपी अपने अंदर के दबाव को बाहर
करें।
एक और तरीका है अपने गुस्से को शांत
करने का। आपको किसी व्यक्ति पर गुस्सा आ रहा हो और आपको गुस्सा निकालना ही
हो, तो आप उसे लिख कर जाहिर करें। मन के अंदर के भड़ास को उस खत पर
निकालें। फिर उसे बार-बार पढ़ें। तब आपको पता चलेगा कि आप कितने सही हैं और
इसका कितना सकारात्मक असर उस व्यक्ति पर पड़ेगा। ऐसे में यह भी हो सकता है
कि गुस्सा आपको जरूरी ही न लगे या फिर आप गुस्से की बजाय शांत भाव से ही
समस्या का समाधान कर लें।