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पोर्टफोलियो से पता चलता है कि आपका रिस्क अपेटाइट यानी जोखिम सहने की क्षमता कितनी है। आप कितने अग्रेसिव ट्रेडर हैं? आप निवेश का फैसला लेते वक्त किसे ज्यादा महत्व देते हैं-सुरक्षा को या रिटर्न की संभावना को। पोर्टफोलियो बनाते समय पूरी सावधानी और समझदारी बरतें। हड़बड़ी और लालच में शेयर की खरीदारी नहीं करें और न ही घबराहट में बिकवाली करें।
ज्यादातर खुदरा निवेशक नुकसान के निरंतर थपेड़े खाकर या तो हताश हो जाते हैं या फिर निष्क्रिय हो जाते हैं। शेयर बाजार में ठोस रूप से मुनाफा कमाना एक कठिन लक्ष्य है, जिसे साधने में बड़े-बड़े निवेशकों को मुश्किल पेश आती है।

शेयर बाजार के बारे में एक कहावत है कि यहां घुसना आसान है, लेकिन टिकना बहुत मुश्किल, क्योंकि यहां टिकता वही है जो फायदा कमाता है। ज्यादातर खुदरा निवेशक नुकसान के निरंतर थपेड़े खाकर या तो हताश हो जाते हैं या फिर निष्क्रिय हो जाते हैं। शेयर बाजार में ठोस रूप से मुनाफा कमाना एक कठिन लक्ष्य है, जिसे साधने में बड़े-बड़े निवेशकों को मुश्किल पेश आती है। शेयर बाजार अनिश्चितता से भरा है लेकिन अगर आप कुछ सुनिश्चित नियमों का पालन करें तो यहां आप नुकसान के खतरे को एक हद तक काबू में कर सकते हैं। शेयर में ट्रेडिंग या निवेश की दृष्टि से ऐसा ही एक अनिवार्य नियम है- पोर्टफोलियो मेकिंग। आपके पास चाहे निवेश के लिए चाहे एक हजार रुपए हैं या एक करोड़, लेकिन आपके लिए पोर्टफोलियो का महत्व एक जैसा है। बिना पोर्टफोलियो की संरचना को समझे निवेश करना काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसकी वजह बड़ी साफ है। पोर्टफोलियो का निर्माण हर निवेशक अपनी वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखकर करता है। पोर्टफोलियो से यह भी पता चलता है कि आपका रिस्क अपेटाइट यानी जोखिम सहने की क्षमता कितनी है। आप कितने अग्रेसिव ट्रेडर हैं? आप निवेश का फैसला लेते वक्त किसे ज्यादा महत्व देते हैं-सुरक्षा को या रिटर्न की संभावना को। बहुत से आम निवेशक जिस बात को नहीं समझ पाते हैं, वह है कि पोर्टफोलियो आपके निवेश के आत्मसाक्षात्कार के लिए जरूरी है। यह बात सुनने में दार्शनिक जैसी लगती है लेकिन सोलहों आने सच है। यह मैं अपने दस साल के अनुभव के आधार पर कह रही हूं। दरअसल शेयर बाजार जितना अर्थशास्त्र है, उतना ही मनोविज्ञान। अगर ऐसा नहीं होता तो जरा सी आहट से बाजार सैकड़ों प्वाइंट नीचे नहीं गिर जाता। जिस तरह मार्केट में समग्र स्तर पर सेंटिमेंट्स दशा और दिशा तय करते हैं, उसी तरह व्यक्तिगत स्तर पर भी निवेशक की मानसिक परिपक्वता से यह बात निर्धारित होती है कि निवेश में वह कितना सफल या असफल होगा। कठिन और विकट परिस्थितियों का सामना वह कैसे करेगा। पोर्टफोलियो निर्माण इस लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि जब आप पोर्टफोलियो बनाते हैं तभी आप समझ पाते हैं कि आपके निवेश के मजबूत और कमजोर पहलू क्या-क्या हैं? आपका रुझान किस तरफ है और आपके ट्रेडिंग का स्टाइल क्या है? अगर किसी भी निवेशक को इन सवालों के स्पष्ट उत्तर मिल जाएं तो उसके लिए निवेश की राह आसान हो जाती है। पोर्टफोलियो के इतने महत्वपूर्ण होने की वजह यह है कि इसमें आप विभिन्न प्रकार के शेयरों का समावेश करते हैं। जब भी आप किसी शेयर को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करें तो अपने आप से पूछें कि आपने उस विशेष स्टॉक को पोर्टफोलियो में शामिल करने का निर्णय क्यों किया है। क्या उससे बेहतर कोई शेयर विकल्प के तौर पर मौजूद है? जिस शेयर का चयन आपने अपने पोर्टफोलियो में किया है, उसका अतीत में प्रदर्शन कैसा रहा है। आपने पोर्टफोलियो में किसी शेयर को शामिल करने का फैसला अपने रिसर्च के आधार पर लिया है या किसी मित्र या ब्रोकर की सलाह पर? कई बार तो ऐसा होता है कि अखबारों, पत्रिकाओं में पढ़कर या बिजनेस न्यूज चैनल देखकर लोग किसी शेयर को खरीद लेते हैं। इस क्रम में वे इस बात को नहीं सोचते हैं कि इस शेयर से उनके पोर्टफोलियो पर क्या असर पड़ेगा? क्या यह शेयर उनके पोर्टफोलियो के अनुपात की दृष्टि से उपयुक्त है? दरअसल हर पोर्टफोलियो में विभिन्न प्रकार के शेयरों का एक अनुपात होता है। ठीक उसी तरह जैसे आप कोई व्यंजन बनाते हैं तो उसमें अलग-अलग तरह के मसालों का सम्मिर्शण होता है। जिस तरह एक मसाला या नमक आपकी सब्जी का स्वाद बिगाड़ सकता है उसी तरह एक शेयर अगर गलत मौके पर और गलत मात्रा में खरीदा गया तो वह आपके पोर्टफोलियो का संतुलन बिगाड़ सकता है। इसीलिए हमारी सलाह है कि पोर्टफोलियो बनाते समय पूरी सावधानी और समझदारी बरतें। हड़बड़ी और लालच में शेयर की खरीदारी नहीं करें और न ही घबराहट में बिकवाली करें। अगर आप अपने पोर्टफोलियो का ईमानदारी, धैर्य और सावधानी से खयाल रखेंगे तो आप उम्मीद कर सकते हैं कि पोर्टफोलियो भी आपको मुनाफे की राह पर ले जाएगा।
 
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