बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना
आयोग को खत्म करने की बात क्या कही, आयोग के पक्ष और विपक्ष में बहस तेज हो
गई है। प्रधानमंत्री का जोर इस पर है कि विकास का प्रारूप तैयार करने वाली
इस सबसे पुरानी संस्था को खत्म करके उसकी जगह एक नई संस्था बनाई जाए। इसके
लिए उन्होंने आम लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। लेकिन योजना आयोग के
समर्थकों का मानना है कि चूंकि यह आयोग योजना निर्माण से संबंधित
महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए स्थापित किया गया था और आज भी देश के कई
हिस्सों में भारी असमानता है। इसलिए खत्म करने की बजाय इसे नई दिशा दी
जानी चाहिए। हालांकि योजना आयोग के आलोचकों का कहना है कि देश के संसाधनों
का आकलन करने और उनके अनुरूप योजनाएं बनाने संबंधी अपने काम को पूरा करने
में योजना आयोग विफल रहा है, इसलिए नई संस्था बदलते वक्त की जरूरत है।
बहरहाल इस पूरे प्रसंग ने योजना आयोग को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया
है।
क्या था स्वरूप
योजना
आयोग देश की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाओं में एक है। इसका गठन संविधान के
अनुच्छेद - 39 के तहत किया गया है। यह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता
है, जो इसकी बैठकों की अध्यक्षता करते हैं। चूंकि प्रधानमंत्री इसके पदेन
अध्यक्ष होते हैं, इसलिए इसका कामकाज मुख्य रूप से उपाध्यक्ष देखते हैं। इस
आयोग के कई स्थायी और अस्थायी सदस्य होते हैं। स्थायी सदस्यों में
अर्थशास्त्र, उद्योग, विज्ञान, सामान्य प्रशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के
विशेषज्ञों के अलावा वित्तमंत्री और रक्षामंत्री भी होते हैं, जबकि कुछ
महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री इसके अस्थायी सदस्यों में गिने जाते
हैं। योजना आयोग को साकार करने का श्रेय प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू
को जाता है। उन्होंने ही 15 मार्च, 1950 को इसकी स्थापना की थी। पहली
पंचवर्षीय योजना वर्ष 1951 में शुरू हुई थी।
जिम्मेदारियां कैसी-कैसी
योजना
आयोग का मुख्य काम पंचवर्षीय योजनाएं बनाना है, लेकिन इसके अलावा भी यह कई
जिम्मेदारियां निभाता है। यह सरकार को विभिन्न विषयों पर अपनी राय देता
है। क्षेत्रवार वृद्धि के लक्ष्य तय करना और इसे प्राप्त करने के लिए
संसाधन आवंटित करना भी इसका मुख्य काम है। कृषि और औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने
के लिए संसाधनों का आकलन और फंड आवंटित करना भी इसके कामों का हिस्सा है।
हालांकि बीते कुछ वर्षों से आयोग के कामकाज की आलोचना भी होती रही है। कई
राज्यों ने अपने साथ भेदभाव किए जाने की बात तो उठाई ही, गरीबी की नई-नई
अप्रासंगिक परिभाषा गढ़कर इसने कई विवाद को न्योता भी दिया। इसके बावजूद
आयोग की कार्यशैली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
नई संस्था का स्वरूप
अनुमान
है कि योजना आयोग की जगह जिस थिंक टैंक या नीति निर्धारक संस्था के गठन की
बात कही जा रही है, वह आठ सदस्यों की हो सकती है। इसमें एक अध्यक्ष और सात
सदस्य हो सकते हैं। इसमें उन लोगों को ही रखा जाएगा, जिन्हें देश की
सामाजिक स्थिति, यहां की व्यवस्था और अर्थव्यवस्था की सही जानकारी होगी।
इसका स्वरूप कुछ-कुछ अमेरिकी थिंक टैंक जैसा हो सकता है। हालांकि ऐसा भी
माना जा रहा है कि योजना आयोग की जगह उत्पादकता आयोग या विकास और सुधार
आयोग बन सकता है। केंद्रीय मंत्रालयों को धन आवंटन करने का काम योजना आयोग
की जगह नया योजना विभाग बनाकर वित्त मंत्रालय को सौंपा जा सकता है। इसी तरह
राज्यों को धन आवंटित करने की शक्तियां भी वित्त आयोग को दी जा सकती हैं।