सेबी का उद्देश्य स्टॉक निवेशकों के हितों का संरक्षण करना और प्रतिभूति बाजार के क्रियान्वयन को व्यवस्थित करना है...
सारदा
घोटाले जैसी निवेश योजनाओं से लाखों छोटे निवेशकों को ठगने और बाजार में
गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सेबी अब ज्यादा मजबूती से कदम उठा सकेगी। बीते
संसद सत्र में जिन महत्वपूर्ण विधेयकों को पास किया गया है, उनमें
प्रतिभूति कानून संशोधन विधेयक - 2014 काफी उल्लेखनीय है। इस विधेयक को
राज्यसभा से मंजूरी मिलने का यही अर्थ है कि अब किसी स्कीम में हुई गड़बड़ी
से सेबी कठोरता से निपट सकेगा। इस संशोधन विधेयक में सेबी को कई अतिरिक्त
शक्तियां दी गई हैं। हालांकि सरकार ने उसे फोन टेपिंग का अधिकार नहीं दिया
है, लेकिन सेबी जांच के लिए कॉल रिकॉर्ड मंगा सकेगा। इतना ही नहीं, अब उसके
पास तलाशी लेने और संदिग्ध कंपनियों से देश अथवा देश से बाहर भी सूचनाएं
हासिल करने का अधिकार होगा। एहतियात के तौर पर नए कानून में यह भी प्रावधान
किया गया है कि कोई तलाशी लेने से पहले सेबी को मुंबई स्थित एक नामित
अदालत से इसकी मंजूरी लेनी होगी।
सेबी का गणित
सेबी
का पूरा नाम द सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (भारतीय
प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) है। यह देश के प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित
करने का काम करता है। इसका उद्देश्य स्टॉक निवेशकों के हितों का संरक्षण
करना और प्रतिभूति बाजार के विकास और नियमन की व्यवस्था करना है। प्रतिभूति
बाजार का अर्थ उस बाजार से है, जहां शेयरों, बांडों और डिबेन्चरों के रूप
में कंपनियों द्वारा जारी की गई प्रतिभूतियां खरीदी और बेची जाती हैं।
सेबी की स्थापना 1988 में हुई थी, लेकिन इसे कानूनी शक्तियां सेबी ऐक्ट -
1992 के तहत 12 अप्रैल, 1992 को मिली। इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि नई
दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में इसके क्रमशः उत्तरी, पूर्वी,
दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। सेबी का प्रमुख अध्यक्ष कहलाता
है, जिसकी नियुक्ति भारत सरकार करती है। अध्यक्ष के अतिरिक्त आठ अन्य
सदस्य भी इस बोर्ड का हिस्सा होते हैं, जिनमें दो वित्त मंत्रालय, एक
रिजर्व बैंक और शेष पांच सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं।
उपेंद्र कुमार सिन्हा अभी इसके अध्यक्ष हैं।
कार्य और शक्तियां
सेबी
के प्रस्तावना में ही इसके कार्यों की झलक मिलती है। प्रस्तावना के
अनुसार, प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करने, प्रतिभूति
बाजार को विनियमित करने और इस बाजार के विकास तथा उससे जुड़े मामलों के
निपटारे के लिए सेबी काम करेगा। इसी कड़ी में यह निवेशकों को जागरूक करने
और उन्हें शिक्षित करने की कोशिश भी करता है। चूंकि प्रतिभूति कानून का
उल्लंघन करने वाले लोग नए तरीके और प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करते हैं,
लिहाजा उनसे लड़ने के लिए सेबी भी योजनाएं बनाता है। सेबी के इन्हीं
कार्यों को देखते हुए इसे कई शक्तियां दी गई हैं। यह निरीक्षण या जांच और
अन्य उद्देश्यों के लिए अपने व्यवसाय के लेनदेन के बारे में शेयर बाजारों
और बिचौलियों से जानकारी ले सकता है। नियमों का उल्लंघन करने पर यह
बिचौलियों और अन्य प्रतिभागियों पर आर्थिक दंड लगा सकता है। यहां तक कि यह
उन्हें अल्पावधि के लिए निलंबित भी कर सकता है। इसके पास इनसाइडर ट्रेडिंग
अथवा मर्चेंट बैंकरों के कार्यों को नियमित करने का भी अधिकार है। कुछ
कंपनियों को एक या एक से अधिक शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने के लिए भी यह
मजबूर कर सकता है। दलालों का पंजीकरण करना भी सेबी के कार्यों का ही
हिस्सा है।