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एक लोककथा के अनुसार एक व्यक्ति ने बड़ी तपस्या की। अंततः ईश्वर उसके सामने प्रकट हुए। उस व्यक्ति ने कहा, भगवन्, मुझे सबसे ज्यादा धनी और स्वस्थ व्यक्ति बना दो। भगवान ने जवाब दिया, तुम जो चाहो, प्राप्त कर सकते हो, बशर्ते उसकी सही कीमत चुका दो। यह सही कीमत क्या है? खुद में, अपने काम में निरंतर सुधार लाना ही जीवन में तरक्की की सही कीमत है।
आप चाहे कारोबार से जुड़े हों, अध्ययन से जुड़े हों या आपका जो भी काम हो, आपको खुद में सुधार लाने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। जीवन में अच्छा इंसान बनने और जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए स्वयं को सुधारने की धनात्मक प्रवृत्ति आपमें अवश्य होनी चाहिए। आपको बेवजह किसी से होड़ करने के लिए खुद को सुधारने की जरूरत नहीं है, बल्कि अपने कॅरियर में आगे बढ़ने के लिए ऐसी सोच विकसित करनी चाहिए।
आत्म सुधार का क्या तात्पर्य है? इसका अर्थ है कि हर काम में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए खुद को प्रेरित करना। आत्म सुधार जीवन में नियमित चलने वाली प्रक्रिया है। इससे आपकी क्षमताओं में विकास होता रहता है और आपके लिए तरक्की की राह आसान होने लगती है।
अधिकांश मामलों में यह देखा जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन में तभी सुधार के लिए प्रवृत्त होता है, जब उसके सामने कोई आदर्श उपस्थित होता है। जब व्यक्ति अपने आदर्श व्यक्ति की जीवनकथा के बारे में जानकारी प्राप्त करता है, तो उसे कई संभावित गलतियों से बचने की सीख मिल जाती है। आदर्श व्यक्ति के जीवन पर नजर डालने से हमें कई ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं, जिनका अनुसरण करने पर आपकी कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाता है।
अपने काम को योनजाबद्ध तरीके से करना, बनाई गई दिनचर्या का अनुशासन के साथ पालन करना, गलतियों से सबक लेने की मनोवृत्ति विकसित करना आदि बातें जीवन में सफल होने के लिए अत्यंत जरूरी हैं। कोई भी व्यक्ति ज्ञान के मामले में कभी भी पूर्ण नहीं हो सकता, यानी सीखने के लिए कुछ-न-कुछ रहता ही है। जब महान व्यक्ति भी हमेशा सीखते रहते हैं, तो फिर आप क्यों नहीं सीख सकते? निरंतर सीखना और खुद में सुधार लाते रहना की सफलता का मूल-मंत्र है। 
 
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