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भारतीय लोग पश्चिमी से सभ्यता की ओर अग्रसर हो रहे हैँ जबकि विदेशी लोग भारतीय संस्कृति को पसंद करते हैँ और उस को अपनाते हैँ आखिर ऐसा क्योँ भारतीय  सभ्यता मेँ हर प्रकार के गुणोँ समाहित हैं चाहे वो वैज्ञानिकोँ हों या तार्किक
आने वाले कुछ दिनोँ मेँ यह कहावत सटीक बैठेगी हिंदुस्तानियोँ के प्रति कव्वा चला हंस की चाल अपनी भी चाल भूल बैठा
भारत के अंदर दो हिंदुस्तान रहते हैं एक पुराना भारत और एक नया भारत पुराना भारत पुराने भारतीय चाहते हैँ कि हमारा खान पान रहन सहन पुराने तरीके से हो लेकिन नई जनरेशन जाती है कि हम नई पीढ़ी के आदमी हैँ हमेँ अपने अनुसार रहने की आजादी दी जाए और न ही भारत के पास वह एनवायरमेंट है जो कि पश्चिमी सभ्यता के पास है न ही इतना इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही हमारी विचारोँ का इतना विकास हुआ है कि हम उनको समाहित कर सकें
हमारे माता पिता चाहते हैँ कि हम उनके इशारोँ पर चलेँ लेकिन हमारी नई पीढ़ी चाहती हैँ कि हमेँ अपने आजादी चाहिए
इसलिए भाइयोँ और बहनोँ भारतीय सभ्यता से अच्छी सभ्यता किसी देश मेँ नहीँ है इसमेँ माँ बाप को आदर भाई बहन को प्यार पत्नी को घरस्थि बच्चों को जीवन
क्या आप जानते हैं की पश्चिमी सभ्यता में लोग अपने बच्चे के लिए कुछ नही करते कमाते हैं और खाते हैं
यदि आप लोगोँ को पश्चिम सभ्यता अच्छी लगती है और आप सोचते हो कि आप मॉडर्न हो गए हो ठीक है आप किसी पार्क मेँ जाइए यदि आपके बच्चे हैँ  यदि आपके पास एक लड़की है और उसका बॉयफ्रेंड उसको किसी पार्क मेँ बैठकर किस करता है और यदि आप खुश होते हैँ तो समझ लीजिए कि आपको पश्चिमी सभ्यताअच्छी लगती है यदि आपको गुस्सा आता है तो आप समझ लीजिए भारतीय सभ्यता से अच्छी कोई सभ्यता नहीँ है और हमेँ इससे खुश होना चाहिए की हम ऐसे देश के नागरिक हैँ ऐसी सभ्यता के ए प्राणी है  जोकि पृथ्वी की सबसे सर्वोत्तम धरती पर हम पैदा हुए हैँ
इसलिए बोलो जय भारत
धन्यवाद

 
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