जीवन की परिस्थितियां सीढ़ी की तरह होती हैं, जिस
पर एक-एक कदम आगे बढ़ना होता है। Lift जैसी यहां कोई स्थिति नहीं होती।
यह स्थिति सिर्फ कल्पना में होती है। शॉर्ट कट से न तो पहले किसी को सफलता
मिली, न आज मिलती है और न ही आगे मिलेगी। पल भर में मंजिल पर पहुंचाने का
दावा करने वाले खुद ऐसे लक्ष्य को क्यों नहीं प्राप्त कर लेते?
आप
इस बात से भ्रम में न पड़ें कि जमाना फटाफट का है तो सफलता भी फटाफट मिल
जाएगी। फटाफट जमाने में भी कामयाबी के लिए कोई Shortcut formula नहीं है।
ऐसी मानसिकता से बचें, क्योंकि ऐसी सोच आपको भ्रमित कर सकती है।
Shortcuts To Beat All Shortcuts For Success
Shortcut की जल्दी आपको और नीचे गिरा सकती है। जो लोग इस तरह की मानसिकता रखते हैं,
उनसे दूर रहना ही आपके लिए फायदेमंद है। जो लोग जीवन में बुलंदियों पर
पहुंचते हैं, उसके पीछे वर्षों की उनकी मेहनत का हाथ होता है। चाहे कोई
Medal जीतना हो या कोई पुरस्कार पाना हो या किसी परीक्षा में सफलता प्राप्त
करनी हो, एक दिन में कुछ भी संभव नहीं है। निरंतर अभ्यास से ही सफलता का
परचम लहराया जा सकता है। रातोंरात न तो कोई धनवान बनता है और न ही देश का
प्रमुख। समस्त बड़े काम संपन्न होने के लिए समय की मांग करते हैं, यह अलग
बात है कि उनके लिए की गई मेहनत पर हमारा ध्यान नहीं जाता। ध्यान तब जाता
है, जब कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली जाती है। किसी की सफलता का गहराई से
आकलन करने पर ही हम उसके लंबे संघर्षों का सही-सही मूल्यांकन कर सकते हैं।
No shortcuts to success
जिस
तरह एक दिन में ढेर सारा खाना खा लेने से हम मोटे नहीं हो सकते अथवा एक ही
समय में ढेर सारी दवा लेने पर भी हम फटाफट स्वस्थ नहीं हो सकते, उसी तरह
किसी भी क्षेत्र में कुछ पल काम करके हम शीर्ष पर नहीं पहुंच सकते। सफलता
के लिए शॉर्टकट के चक्कर में पड़ना बेमानी है। किसी भी काम के लिए लंबी
अवधि की योजना बनाएं, इसी में भलाई है। अपने लक्ष्य का निर्धारण करना सबसे
जरूरी है। यदि लक्ष्य ही निर्धारित नहीं होगा, तो आप कोई भी योजना नहीं बना
सकेंगे, चाहे Short Term की योजना हो या Long Terms की। फिर लक्ष्य के
अनुसार अपनी योजना बनाएं। जो भी बाधाएं आएं, उनको दूर करने की कोशिश करें।
बाधाओं से दूर नहीं भागें। जानकारों की सलाह लें और खूब मेहनत करें। इसके
अलावा कोशिश करें कि गलतियों की पुनरावृत्ति न हो।
कामयाबी
की इच्छा हो तो अपनी जिंदगी का पूरा नक्शा तैयार कर लें। हर साल, दो साल
अथवा चार साल की अवधि के बाद खुद का आकलन करें कि आप अपने लक्ष्य के कितना
करीब या दूर हैं।
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