बुलंदियों को छूने के लिए सार्थक काम करना अत्यंत जरूरी है। साथ ही सक्रिय रहना भी अत्यंत आवश्यक है। बैठे रहने से आप कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाएंगे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आपकी सक्रियता भी सार्थक होनी चाहिए। सक्रियता को उपलब्धि मानने की भूल कतई न करें। कठघोड़ा (Rocking Horse) अपनी जगह पर लगातार चलता दिखता है, लेकिन आगे जरा भी नहीं बढ़ता। सक्रियता और उपलब्धि में बहुत अंतर है। एक आदमी अपनी पत्नी के साथ गाड़ी चला रहा था। पत्नी ने कहा- हमलोग गलत दिशा में जा रहे हैं। इस पर पति ने जवाब दिया- कौन परवाह करता है, हम तो बिफोर टाइम चल रहे हैं। क्या बेवकूफी है! जब आप सही दिशा में चल ही नहीं रहे, तो समय से पहले चलें या बाद में, गंतव्य स्थान पर तो कतई नहीं पहुंच सकते।
"किसी किसान का कुत्ता सड़क के किनारे बैठकर आने-जानेवाली गाड़ियों का इंतजार करता रहता था। जैसे ही कोई गाड़ी आती, वह भौंकता हुआ तेजी से उसके पीछे दौड़ता था। पूरे दिन उसका यही काम था। जो गाड़ियां उससे काफी दूर जा रही होती थीं, उनके पीछे भी वह उतनी ही तेजी से दौड़ लगाता था। एक दिन उसके पड़ोसी ने उस किसान से पूछा- क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा कुत्ता कभी किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा? यह सवाल सुनकर उस किसान ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोला- सवाल यह नहीं है कि वह किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि यदि पकड़ ही लिया, तो वह उसका क्या कर लेगा?"
वाकई समाज में कई ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो ऐसे ही निरर्थक कार्यों में खुद को संलग्न रखते हैं। ऐसे में आप अपने जीवन को भला कैसे सफल बना पाएंगे। अपने लक्ष्य के अनुरूप सकारात्मक कार्य करने से ही आप तरक्की की ओर अग्रसर होंगे।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहां खड़े हैं और किस स्थिति में हैं। महत्व तो इस बात का है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। उचित दिशा में बढ़ाए गए कदमों की मदद से ही हम मंजिल तक पहुंच सकते हैं। बिना उद्देश्य के मेहनत और साहस भी बेकार होते हैं। इसलिए आपके जो भी सपने हों, उनको वास्तविक बनाने के लिए सही काम करें, सही दिशा में कदम बढ़ाएं।
इस बाबत टाइम मैनेजमेंट का भी ध्यान रखें। अपनी मंजिल को लेकर आपकी जो भी योजना हो, उसको निर्धारित समय में पूरा करने की कोशिश करें। ऐसे में आपको संबंधित सार्थक काम ही करने होंगे और वैसे तमाम कार्यों से दूर रहना होगा, जिनसे आपका समय बरबाद होता हो और जिनसे आप अपनी राह से भटकते हों। सार्थक कार्य करने की आदत ही तरक्की का मूलमंत्र है।
"किसी किसान का कुत्ता सड़क के किनारे बैठकर आने-जानेवाली गाड़ियों का इंतजार करता रहता था। जैसे ही कोई गाड़ी आती, वह भौंकता हुआ तेजी से उसके पीछे दौड़ता था। पूरे दिन उसका यही काम था। जो गाड़ियां उससे काफी दूर जा रही होती थीं, उनके पीछे भी वह उतनी ही तेजी से दौड़ लगाता था। एक दिन उसके पड़ोसी ने उस किसान से पूछा- क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा कुत्ता कभी किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा? यह सवाल सुनकर उस किसान ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोला- सवाल यह नहीं है कि वह किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि यदि पकड़ ही लिया, तो वह उसका क्या कर लेगा?"
वाकई समाज में कई ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो ऐसे ही निरर्थक कार्यों में खुद को संलग्न रखते हैं। ऐसे में आप अपने जीवन को भला कैसे सफल बना पाएंगे। अपने लक्ष्य के अनुरूप सकारात्मक कार्य करने से ही आप तरक्की की ओर अग्रसर होंगे।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहां खड़े हैं और किस स्थिति में हैं। महत्व तो इस बात का है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। उचित दिशा में बढ़ाए गए कदमों की मदद से ही हम मंजिल तक पहुंच सकते हैं। बिना उद्देश्य के मेहनत और साहस भी बेकार होते हैं। इसलिए आपके जो भी सपने हों, उनको वास्तविक बनाने के लिए सही काम करें, सही दिशा में कदम बढ़ाएं।
इस बाबत टाइम मैनेजमेंट का भी ध्यान रखें। अपनी मंजिल को लेकर आपकी जो भी योजना हो, उसको निर्धारित समय में पूरा करने की कोशिश करें। ऐसे में आपको संबंधित सार्थक काम ही करने होंगे और वैसे तमाम कार्यों से दूर रहना होगा, जिनसे आपका समय बरबाद होता हो और जिनसे आप अपनी राह से भटकते हों। सार्थक कार्य करने की आदत ही तरक्की का मूलमंत्र है।