मशहूर शायर मिराज़ फिदा ने क्या खूब कहा है ′परों
की फिक्र में वो ऊंची उड़ान छोड़ गया, जो डर गया वो बुलंद आसमान छोड़
गया।′ महिलाओं की फितरत ही रही है कि वे संसाधनों और नियति पर निर्भर हो कर
भविष्य का रास्ता चुनने के बजाय, मेहनत और लगन को सबसे बड़ी ताकत बनाकर
अपनी राह खुद बनाती हैं...
हाथों
की लकीरों पर मत जाओ गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होतें,
गालिब की इन लाइनों से महिलाओं के हौसले को बखूबी बयां किया जा सकता है। आज
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाएं अपना लोहा मनवाने में पीछे रह रही
हों, फिर चाहे वो माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली अरुणिमा सिन्हा हों या फिर
अपनी बहादुरी के लिए सबसे कम उम्र में अशोक चक्र पाने वाली नीरजा भानोट या
फिर 2016 बैच की यूपीएससी टॉपर (UPSC Topper) रहीं टीना डाबी। ऐसे कारनामों वाली
ख्यातिप्राप्त महिलाओं के अनेक नाम हैं, जिनको अंगुलियों पर गिनना बहुत
मुश्किल है। करियर बनाने के लिए महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा
केंद्रित और गंभीर होती हैं। उनमें खुद की एक अलग पहचान बनाने की ललक होती
है, जो उन्हें अपने पैशन के लिए जुझारू बना देती है। गत 8 मार्च को
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इस अवसर पर करियर के महिला प्रधान
क्षेत्रों पर एक नजर...
महिलाओं के लिए
लोकप्रिय विषय होम साइंस (Home Science) को समान्यतः स्टेट बोर्ड/ सीबीएसई बोर्ड द्वारा एक
वैकल्पिक विषय के रूप में विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। होम साइंस
मान्यताप्राप्त प्रोफेशनल कोर्स है। यह आर्ट व साइंस दोनों विषयों से जुड़ा
हुआ पाठ्यक्रम है। जिस कारण इस पाठ्यक्रम की व्यापकता अधिक है एवं इस विषय
के साथ तीन अन्य कोर विषय न्यूट्रिशन, ह्यूमन डेवलपमेंट और फैमिली रिर्सोस
मैनेजमेंट भी सम्मिलित हो जाते हैं। इन विषयों के जुड़ने से इसकी व्यापकता
सीधे जीवन शैली में स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित विषयों से जुड़ जाती
है। आज के परिवेश में लोग व्यस्त जीवन एवं अपने कार्यशैली से स्वास्थ्य और
पोषण की समस्याओं से जूझ रहे है, ऐसे में इस विषय की महत्ता बहुत बढ़ गई
है। इस विषय को पढ़ने वाले विद्यार्थियों में तार्किक एवं बाैद्धिक क्षमता
होना भी आवश्यक है...
कौन-कौन से हैं कोर्स (Various Courses)
होम
साइंस विषय से बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम के लिए छात्रों का 12वीं में साइंस
स्ट्रीम से होना आवश्यक है। बीएससी होम साइंस 3 वर्ष की अवधि का एक पेशेवर
कोर्स है। इसके बाद जॉब के लिए ट्रेनिंग कर सकते हैं। उच्च शिक्षा की चाह
रखने वाले परास्नातक भी कर सकते है। पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए- होम
साइंस, न्यूट्रिशन एेंड डाइटेटिक्स, फूड साइंस एेंड टेक्नाेलॉजी,
बॉयोकेमेस्ट्री, माइक्रोबॉयोलॉजी या कोई आर्ट विषयों का विकल्प होता है।
कैसे बढ़ें आगे (Career Opportunities)
स्नातक
करने बाद हॉस्पिटल या हेल्थ केयर सेंटर में डायटिशियन न्यूट्रिशनिस्ट,
फूड सेक्टर्स में न्यूट्रिशन कंसल्टेंटस या न्यूट्रिशनिस्ट, फूड इंडस्ट्री
में फूड टेक्नाेलॉजिस्ट या साइंटिस्ट, हेल्थ केयर संस्था में
साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर, टिचिंग प्रोफेशन, टेक्सटाइल, फूड सेक्टर में
बेकिंग या कन्फेक्शनरी का एंटरप्रेन्योर, शोधार्थी (रिसर्चर), या फैमिली
कंसल्टेंट के रूप में अपना करियर बना सकते है।
एयर होस्टेस एक हाई प्रोफाइल प्रोफेशन है और
ज्यादातर यह मेट्रो सिटी दिल्ली व मुंबई जैसे शहरों में ही प्रचलित है।
लोगों से बात करने व देश-विदेश घूमने की चाहत रखने रखने वाली महिलाओं के
लिए यह एक बेहतरीन क्षेत्र है।
फैशन
और फैब्रिक के मामलों में एक महिला से बेहतर भला कौन बता सकता है। आज देश
में फैशन इंडस्ट्री शीर्ष उद्योगों की कोटि में गिनी जा रही है और नित नई
राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसमें प्रवेश कर रही हैं। जाहिर है जब
फैशन उद्योग इतनी बुलंदी पर है तो उसमें रोजगार के मौके भी उतनी ही तेजी से
पैदा होंगे और योग्य प्रोफेशनल्स की मांग जोरों पर होगी। एक फैशन डिजाइनर
को कपड़े की बुनावट, कपड़े के ज्ञान, रंगों, डिजाइनों, सामग्रियों की पूरी
जानकारी होनी चाहिए। फैशन डिजाइनर हर एक सीजन में अपने उच्च कुट्यूर और मास
मार्केट के लिए नए विचारों और नए प्रचलनों को सामने रखते हैं...
शैक्षिक व अन्य योग्यताएं
फैशन
डिजाइनिंग एक प्रोफेशनल कोर्स है। इसके ज्यादातर कोर्स 12वीं के बाद शुरू
होते हैं। इसके तहत फैशन डिजाइनिंग, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, क्लोदिंग
टेक्नोलाॅजी, फैब्रिक ड्राइंग एंव प्रिंटिंग, कलर मिक्सिंग एवं कंप्यूटर
एडेड डिजाइन आदि क्षेत्रों में से किसी एक का चुनाव करना होगा। इसके साथ ही
इसमें क्रिएटिविटी का समावेश होना जरूरी है तभी आप रंग, शेड व टेक्सचर के
संयोजन से आइडिया को रेखाचित्र के जरिए अभिव्यक्त कर पाएंगे। इसमें
सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, यूजी, पीजी तक के कोर्स उपलब्ध
हैं। स्नातक के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य है।
यहां मिलेंगे माैके
फैशन
डिजाइनिंग में एक स्थायी करियर है। इसमें नाम और दाम दोनों खूब है। लेदर
एवं ज्वैलरी इंडस्ट्री, एक्ससेसरी डिजाइन, फैशन फोटोग्राफी, फैशन
जर्नलिज्म, फैशन डिजाइनर, इलस्ट्रेटर, एक्सपोर्ट हाउसों, बुटीक्स, फैशन शो
आर्गेनाइजेशन में करियर का आगाज कर सकते हैं। इसके अलावा टीवी/फिल्म फैशन
प्रोग्राम, प्रोड्यूसर, कॉस्टयूम डिजाइन आदि के रूप में भी नौकरी का अवसर
मिलता है।
एयर होस्टेस एक हाई प्रोफाइल
प्रोफेशन है और ज्यादातर यह मेट्रो सिटी दिल्ली व मुंबई जैसे शहरों में ही
प्रचलित है। इस प्रोफेशन में काम करने वाली महिलाएं एयर होस्टेस के नाम से
जानी जाती है। लोगों से बात करने व देश-विदेश घूमने की चाहत रखने रखने वाली
महिलाओं के लिए यह एक बेहतरीन क्षेत्र है। एक प्लेन में बतौर एयर होस्टेस
प्राथमिक जिम्मेदारी आने वाले यात्री का अभिवादन करना एवं सीट पर व्यवस्थित
बैठाना है। साथ ही यात्रियों के सुरक्षा के लिए समन्वय करना भी उन्हीं की
ही जिम्मेदारी होती है। बतौर एयर होस्टेस करियर को आगे बढ़ाने के लिए
शिक्षा से ज्यादा पर्सनालिटी का आकर्षक होना महत्वपूर्ण होता है। एक एयर
होस्टेस में लंबे समय तक काम करने की भावना, सकारात्मक नजरियां, अच्छी
शारीरिक काया, भाषा पर अच्छी पकड़ एवं खुशनुमा आवाज होनी चाहिए...
कैसे करें एंट्री
एक
एयर होस्टेस बनने के लिए लिए एजुकेशन के साथ व्यक्तित्व का भी विभिन्न
स्तर पर परीक्षण किया जाता है। अंग्रेजी कम्युनिकेशन बहुत मजूबत होना
चाहिए। इसके अलावा एक एयर होस्टेस के लिए लंबाई 157.5 सेंटीमीटर, उम्र
न्यूनतम 18 वर्ष से 25 वर्ष, कंप्लेक्शन गोरा, आंखों की दृष्टि अच्छी हो
एवं शारीरिक रूप से फिट एवं स्वस्थ्य होना आवश्यक है। 12वीं करने के बाद
होटेल मैनेजमेंट या टूरिज्म मैनेजमेंट में डिग्री होनी चाहिए। अन्य विषय
से स्नातक करने वाले होटेल मैनेजमेंट या टूरिज्म मैनेजमेंट में डिप्लोमा या
डिग्री कर सकते है। इसके साथ वह भारत द्वारा मान्य पासपोर्ट के योग्य हो।
ऐसे होगी शुरुआत
शैक्षिक
योग्यता हासिल करने के बाद वह युवती किसी एयर लाइंस कंपनी में आवेदन कर
सकती है। चयन होने के बाद एयर होस्टेस के लिए युवती को 2-3 महीने की
ट्रेनिंग दी जाती है।
आज जिस प्रकार से
वैलनेस इंडस्ट्री तरक्की व ऊंचाइयों की ओर बढ़ रही है उससे साफ जाहिर है कि
इस क्षेत्र में कितनी प्रसिद्धि है। तभी तो आज आधुनिकरण के इस दौर में युवा
न केवल इस करियर को अपना रहें हैं बल्कि इस क्षेत्र में कामयाबी के झंडे
भी गाढ़ रहें हैं। इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों से दुनिया भर में छाई मंदी
के बावजूद भी ये एक ऐसा सेक्टर है जो कभी थमा नहीं, बस लगातार सदाबहार पेड़
की तरह पनपता चला जा रहा है। आज पुरुष हो या महिला, खूबसूरत और प्रिसेंटेबल
दिखने की तमन्ना हर किसी को होती है और ये आज हमारे समाज की पहली मांग भी
है...
क्या है जरूरी योग्यता
इस
व्यवसाय में आगे बढ़ने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन और सॉफ्ट लैंग्वेज का होना
बहुत जरूरी है। इसके अलावा आपको ब्यूटी ट्रेंड के प्रति रूचि और जानकारी
भी होनी चाहिए। फैशन की दुनिया में स्टाइल और ट्रेंड हर दिन बदलते रहते
हैं, इसलिए आपको नई तकनीक, हेयर स्टाइल, मेकअप और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के
बारे में अपडेट रहना होगा। एंटरप्रेन्योर बनने के लिए हमेशा नया सीखने की
प्रवृत्ति और हार्ड वर्किंग होना बहुत जरूरी है।
एंटरप्रेन्योरशिप होगा अच्छा विकल्प
ब्यूटी
बिजनेस में जॉब करने या एंटरप्रेन्योर बनने के लिए जरूरत होती है, कंप्लीट
नॉलेज की। ऐसे में किसी भी अच्छी ब्यूटी एकेडमी से एक कंप्लीट कोर्स करके
आप इस क्षेत्र में नाम कमा सकते हैं। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी को
विषय की कंप्लीट जानकारी देकर आर्थिक दृष्टि से आत्म-निर्भर बनाना है। इस
क्षेत्र में आप एक बेहतर करियर तभी बना सकते हैं जब आपने थ्योरी के साथ-साथ
अच्छे से प्रैक्टिकल भी किया हो, क्योंकि आपका हुनर आपके काम में दिखना
जरूरी होता है। कोर्स को करने के बाद आप किसी ब्यूटीशियन के तौर किसी अच्छे
सैलूर में कार्य करती हैं। इस क्षेत्र में एंटरप्रेन्योरशिप भी एक अच्छा
विकल्प होता है।
समाज सेवा का क्षेत्र उन लोगों के लिए बहुत
मायने रखता है, जो कि बच्चों, गरीबों और वृद्धों के कल्याण व उत्थान के लिए
कार्य करने की इच्छा रखते हैं। उचित योग्यता प्राप्त करके इस क्षेत्र में
एक बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है।
सोशल
वर्कर के तौर पर काम करने के साथ-साथ सेवा और समाज के प्रति आपको अपने
दायित्वों के निर्वहन का भी मौका देता है। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए बहुत
मायने रखता है, जो कि बच्चों, गरीबों और वृद्धों के कल्याण व उत्थान के
लिए कार्य करने की इच्छा रखते हैं। उचित योग्यता प्राप्त करके इस क्षेत्र
में एक बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है...
12वीं के बाद करें कोर्स
इस
क्षेत्र में करियर बनाने के लिए 12वीं के बाद बीएसडब्ल्यू कर सकते हैं।
ग्रेजुएट्स इस क्षेत्र में मास्टर डिग्री प्रोग्राम मास्टर इन सोशल वर्क
(एमएसडब्ल्यू) कर सकते हैं। यह दो वर्ष का डिग्री प्रोग्राम है। इसमें
किसी भी स्ट्रीम से 50% अंकों से स्नातक करने के बाद प्रवेश लिया जा सकता
है। इसमें क्षेत्र में काम करने की बुनियादी समझ क्षमता और प्रबंधन के गुण
को विकसित किया जाता है। इसमें पीएचडी करके अध्यापन करने के क्षेत्र में
भी काम किया जा सकता है।
प्रोग्रामिंग ऑफिसर से होगी शुरुआत
इस
क्षेत्र में सबसे बड़ा भ्रामक इस बात को लेकर होता है कि यह एक चैरिटी है,
यहां नौकरी नहीं होती, जबकि सत्य यह है कि यहां भी नौकरियां होती है। पदों
का क्रम होता है। समय व अनुभव के आधार पर उनका विकास होता है। डिग्री करने
के बाद आप एनजीओ व अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ आदि में
प्रोग्रामिंग ऑफिसर और मैनेजर के रूप करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
आज
के समय इंटीरियर डिनाइनरों का कार्यक्षेत्र मात्र घरों की सजावट तक सीमित न
होकर ऑफिस, होटल, रेस्टोरेंट, ऑडिटोरियम, हॉस्पिटल जैसे सार्वजनिक स्थलों
और प्रदर्शनी स्थल, किऑस्क जैसे आउटडोर की जगहों तक फैला हुआ है। किसी भी
जगह की आंतरिक साज-सज्जा, आकर्षक और व्यवस्थित बनाने की कला या प्रक्रिया
इंटीरियन डिजाइनिंग है।
कोर्सों पर एक नजर
इंटीनियर
डिजाइनर में सौंदर्यबोध होने के साथ-साथ तकनीकी रूप से दक्ष होना भी
आवश्यक है। इंटीरियर डिजाइनिंग में डिग्री डिप्लोमा कई तरह के कोर्स
संचालित किए जाते हैं। संस्थानों के अनुसार इन कोर्सों के नाम और अवधि
अलग-अलग होती है जैसे सीपीटी, मुंबई में बैचलर इन इंटीरियर डिजाइनिंग में
कोर्स की अवधि 5 वर्ष है, वहीं रचना संसद, मुंबई में इंटीरियर डिजाइनिंग
में बीएससी प्रोग्राम 3 वर्ष का है। इन कोर्सों में प्रवेश लेने के लिए कम
से कम 12वीं पास होना अनिवार्य है। शैक्षिक योग्यता के अतिरिक्त युवाओं में
रचनात्मक कौशल होना अनिवार्य है।
क्या होगी जॉब प्रोफाइल
इंटीरियर
डिजाइनर अपनी कलात्कता, रचनात्मक और ज्ञान से किसी भी जगह को जीवंत बनाते
हैं। डिग्री/डिप्लोमा करने के बाद शुरुआत ट्रेनिंग से करनी होती है, जो
आपकी कार्यकुशलता में वृद्धि करता है। इंटीरियर डिजाइनर के लिए इंटीरियर
डिजाइनिंग कंपनियों के अतिरिक्त थियटरों आर्किटेक्चर फर्मों, प्रोडक्शन
हाउस, आदि में कई विकल्प होते हैं। इस क्षेत्र में स्वरोजगार से ज्यादा लाभ
मिलता है।